पश्चिम बंगाल में चुनाव है, काफी अहम चुनाव है और विरासत पर सियासत होनी शुरु हो गई है। इस सियासी जंग में भाजपा और टीएमसी टक्कर दे रहे हैं। इस बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विरासत पर राजनीति हो रही है। मोदी सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती को पराक्रम दिवस बना दिया और ममता दीदी ने नेताजी की जयंती को देश नायक दिवस के रूप में मनाने का फैसला कर लिया।
विरासत पर सियासत का इतिहास बेहद पुराना है, कांग्रेस तो इसमें उस्ताद है। गांधी की विरासत पर सियासत करने की कांग्रेस को पुरानी आदत है। लेकिन अब भाजपा ने भी इसका जवाब खोज लिया है और उन्होंने सरदार वल्लभ भाई पटेल की विरासत को अपना बना लिया है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी उसी का प्रमाण है। लेकिन जब चुनावी मौसम बदला तो प्रतीक बदलने की भी जरूरत पड़ गई है, बंगाल में नेताजी से बड़ा नाम तो किसी का हो नहीं सकता है। इसलिए अब उनके नाम को अपना बना लिया जाने की कोशिश की जा रही है।
कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में जब नेताजी की 125वीं जयंती पर कार्यक्रम था जिसमें प्रधानमंत्री खुद मौजूद थे और ममता बनर्जी भी थी। उस कार्यक्रम में जय श्री राम के नारे लगने लगे, तो बस फिर क्या था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंच पर ही ममता बनर्जी नाराज हो गईं। उन्हें जब भाषण देने के लिए बुलाया गया, तो उन्होंने कहा कि सरकार के कार्यक्रम की कोई डिग्निटी होनी चाहिए।
ये सरकार का कार्यक्रम है, किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं है। मैं प्रधानमंत्री जी की आभारी हूं कि आपने कोलकाता में कार्यक्रम बनाया लेकिन, किसी को आमंत्रित कर उसे बेइज्जत करना आपको शोभा नहीं देता। मैं इसका विरोध करती हूं और कुछ नहीं बोलूंगी। जय हिंद, जय बांग्ला
विक्टोरिया मेमोरियल में प्रधानमंत्री के प्रोग्राम से पहले ममता बनर्जी ने कोलकाता के श्याम बाजार से लेकर रेड रोड तक एक पदयात्रा निकाली थी। इसके बाद उन्होंने कहा कि जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इंडियन नेशनल आर्मी का गठन किया, तो उसमें सभी लोगों ने भाग लिया था। इसमें गुजरात, बंगाल, तमिलनाडु के लोग भी शामिल थे और वो हमेशा बांटो और राज करो की नीति के खिलाफ थे।
पश्चिम बंगाल को और यहां की भावनाओं को बाहर के लोग नहीं समझ सकते हैं और भाजपा सरकार इतिहास बदलना चाहती है। नेता वही होता है जो सबको साथ लेकर चलता है। भाजपा को चुनाव में ही बंगाल की याद आई है और नेताजी हमारे लिए देश नायक हैं। नई पीढ़ी नेताजी को नहीं जानती है। नेताजी की मौत का सच उजागर होना चाहिए।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है और भाजपा ने अपने धुरंधर नेताओं को इस चुनाव की रणनीति बनाने के लिए मैदान में उतारा हुआ है। मध्य प्रदेश के तेज तर्रार नेता कैलाश विजयवर्गीय कई सालों से राज्य में बैठे हुए हैं और यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या लगातार राज्य में घूम रहे हैं।
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पैनी नजर बनाए हुए हैं। लगातार रैलियां और जनसभाएं हो रही हैं और ऐसे में ममता बनर्जी को बौखलाहट होना जायज है। उनको पता है कि इस चुनाव में भाजपा से कड़ी टक्कर मिलने वाली है। इसलिए उनकी पार्टी टीएमसी भी कोई चूक नहीं करना चाहती है।