भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस बिपिन रावत का निधन हो गया है, एक हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण सीडीएस बिपिन रावत समेत 13 लोगों का निधन हो गया है। इस हादसे के बाद से ही पूरा देश शोक में डूबा हुआ है। बिपिन रावत भारत के पहले सीडीएस बने और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी बताया गया है और साथ ही वो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के भी अच्छे दोस्त थे। उन्हें श्रद्धांजली देने के लिए भी PM, NSS समेत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पालम एयरबेस जाकर सभी 13 शवों को पुष्पांजली दी और परिवार वालों को हौंसला दिया।
सीडीएस बिपिन रावत ने कुछ वक्त में देश की रक्षा में कई बड़े फैसले लिए। उन्होंने चीन और पाकिस्तान के दो मोर्चों के अलावा आतंकवाद की आंतरिक चुनौती को आधे मोर्चे के तौर पर रखते हुए भारत को ढाई मोर्चे के युद्ध के लिए तैयार करने की बात कही थी। हाइब्रिड वॉरफेयर(Hybrid Warfare) और प्रॉक्सी वॉर (proxy war) जैसे मामलों पर बिपिन रावत की बेबाक राय देश के जवानों का हौंसला बढ़ाती रहती थी। हिमालयी फ्रंट पर चीन के साथ करीब 20 महीनों से चल रहे गतिरोध को लेकर भी जनरल बिपिन रावत काफी एक्टिव थे। आसान शब्दों में कहा जाए, तो सीडीएस बिपिन रावत के अचानक निधन से भारत को कई मोर्चों पर झटका लगा है। इनमें सबसे अहम सेना के क्षेत्र में रिफॉर्म्स को लेकर थे।
डिपार्टमेंट ऑफ मिलेट्री अफेयर्स के हेड सीडीएस बिपिन रावत ने कुछ समय पहले ही थिएटर कमांड (Theater Command) बनाए जाने के लिए चल रही तैयारियों को तेज करने की बात तीनों सेनाध्यक्षों से की थी। उनकी ओर से थिएटर कमांड को मूर्तरूप देने के लिए की जा रही स्टडीज की पूरी रिपोर्ट को 6 महीने के अंदर टेबल पर लाने के निर्देश भी जारी किए गए थे। इन रिपोर्ट्स को जमा करने की आखिरी तारीख में भी बदलाव किया गया था। पहले जो रिपोर्ट सितंबर 2022 तक दी जानी थी, उसमें सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने अप्रैल, 2022 कर दिया था। कुछ दिनों पहले ही सीडीएस बिपिन रावत ने तीनों भारतीय सेनाओं के चीफ और टॉप थ्री स्टार सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी, जो थिएटर कमांड के लिए स्टडीज और इस प्लान में तेजी लाने के लिए रोडमैप बना रहे थे।
लंबे समय से अटके थिएटर कमांड के गठन की जिम्मेदारी सीडीएस बिपिन रावत के कंधों पर ही थी, तो उनकी भूमिका को सर्वोच्च कहा जा सकता है। ऐसा माना जा रहा था कि अगले साल अप्रैल में थिएटर कमांड से जुड़ी रिपोर्ट के जमा होने के बाद बिपिन रावत अपने कार्यकाल के खत्म होने से पहले इसके गठन की योजना को पूरा कर सकते थे। इस स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि उनका निधन थिएटर कमांड बनाने की योजना के लिए सबसे बड़ा झटका होगा। नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के सामने सीडीएस बिपिन रावत के इस अधूरे काम को प्राथमिकता के साथ पूरा करने का अघोषित दबाव होगा।
भारत की तीनों सेनाओं को एक साथ कर थिएटर कमांड बनाने के इस मॉडल में चार नए कमांड स्थापित करने की योजना पर काम किया जा रहा था। जिनमें से जमीन पर काम करने वाली दो कमांड (इनमें से एक साइबर कमांड), एक एयर डिफेंस कमांड और एक समुद्री थिएटर कमांड बनाने का काम चल रहा था। इनके तहत भविष्य में होने वाले युद्धों और सैन्य अभियानों के लिए तीनों सेनाओं के संसाधनों के बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने की योजना है। ऐसा माना जा रहा था कि थिएटर कमांड बनाने में करीब 2 सालों का वक्त लग सकता है। अलग-अलग थिएटर कमांड के अनुसार उसमें भारतीय थलसेना (Indian army), भारतीय वायु सेना(Indian Air Force) और भारतीय नौसेना(Indian Navy) की विशेष यूनिट की तैनाती की जानी है।
इन थिएटर कमांड्स की जिम्मेदारी तीनों सेनाओं में से किसी भी अधिकारी को उसके कमांड की प्रकृति और रोल के अनुरूप दी जा सकती है। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों को देखते हुए थिएटर कमांड बनाए जाने के लिए डेडलाइन तय करना बहुत जरूरी है। आसान शब्दों में कहा जाए तो भारत जितनी जल्दी थिएटर कमांड का गठन कर लेगा, उसके लिए ये उतना ही बेहतर होगा।लगातार उभर कर सामने आ रहे जियोस्ट्रेटजिक समीकरणों को देखते हुए थिएटर कमांड की जरूरत को नकारा नहीं जा सकता है। किसी भी संभावित युद्ध से निपटने के लिए थिएटर कमांड ज्यादा प्रभावी होंगी।
इसी साल जून में केंद्र सरकार ने सीडीएस बिपिन रावत की अध्यक्षता में थिएटर कमांड बनाने के प्लान को तेजी से पूरा करने और इसमें खास तौर से भारतीय वायुसेना को शामिल करने के लिए आठ सदस्यों के पैनल का गठन किया था। दरअसल, भारतीय वायुसेना की ओर से थिएटर कमांड को लेकर संसाधनों के बंटवारे, नेतृत्व और सेना प्रमुखों की शक्तियों के कमजोर होने पर चिंता जताई जाती रही है।
हालांकि, अक्टूबर में एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी ने कहा था कि भारतीय वायुसेना तीनों सेनाओं के एकीकरण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और उनकी चिंताओं को योजना प्रक्रिया में शामिल कर लिया गया है। दरअसल, अंडमान और निकोबार के त्रि-सैन्य कमांड और स्ट्रेटजिक फोर्सेस कमांड को छोड़कर पूरे देश में सुरक्षा बलों के अलग-अलग 17 सिंगल सर्विस कमांड बने हुए हैं।
जिनमें से भारतीय थलसेना और भारतीय वायुसेना के अंतर्गत सात-सात कमांड और भारतीय नौसेना के पास तीन कमांड हैं। इन सभी कमांड को मिलाकर थिएटर कमांड बनाने की योजना की जा रही है। जिसमें नॉर्दर्न कमांड को शामिल नहीं किया जाएगा।
उधमपुर स्थित सेना के नॉर्दर्न कमांड, इकलौती ऐसी कमांड होगी, जिसे तीनों सेनाओं के एकीकृत करने के प्लान से बाहर रखा गया है। नॉर्दर्न कमांड को उसकी विशेष भूमिका की वजह से इससे बाहर रखा गया है। दरअसल, नॉर्दर्न कमांड पर पाकिस्तान और चीन से लगी सीमाओं की रक्षा की जिम्मेदारी के साथ ही जम्मू-कश्मीर में आतंकवादविरोधी अभियानों को चलाने की भी जिम्मेदारी है।