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कृष्ण जन्माष्टमी में यहाँ 100 वर्ष से होती है महाभारत काल की राक्षसी पूतना की पूजा

राधागोविंद मंदिर में बड़ी ही भक्ति और श्रद्धा के साथ यहां राक्षसी पूतना की पूजा की जाती है। यहाँ राक्षसी पूतना अपनी गोद में भगवान श्री कृष्ण को लिए हुए हैं।
Information Komal Yadav 8 April 2022
कृष्ण जन्माष्टमी में यहाँ 100 वर्ष से होती है महाभारत काल की राक्षशी पूतना की पूजा

पश्च‍िम बंगाल के हुगली ज‍िले में भगवान  कृष्ण के जन्मदिन पर ऐसा काम होता है जो शायद ही कोई करता हो जी हाँ, यहाँ कृष्ण जन्माष्टमी में श्री कृष्ण को अपनी गोद में ली हुई महाभारत के काल की राक्षसी पूतना की पूजा होती है। और ये पूजा लगातार 100 वर्षो से ज्यादा समय से होती रही है। हुगली के चंदननगर में लीचूपट्टी इलाके के राधा गोविंदबाड़ी में यह मंद‍िर है।

हुगली के चंदन नगर के राधा गोविंदबाड़ी में अधिकारी परिवार के 4 पीढ़ियों के पूर्वजों द्वारा यह पूजा की जाती है। इस पर‍िवार में पूर्वजों के सपने में राक्षसी पूतना के आने के बाद पूतना की मूर्ति की स्थापना की गई थी। इस अधिकारी परिवार के बुजुर्गो ने गौर अधिकारी के अनुसार, चंदननगर में फारसी शासन की स्थापना से पहले करीब 100 वर्ष पहले उनके पूर्वज ने महाभारत काल के राक्षसी पूतना, जिसको राक्षस राजा कंस ने भगवान श्रीकृष्ण का वध करने के लिए श्री कृष्णा को उनका स्तनपान कराने को भेजा था, उसकी मूर्ति की स्थापना की है। वैसे पहले यह मूर्ति छोटी-सी थी लेकिन बाद में इसे और बड़ा किया गया।

चंदननगर के ये अधिकारी परिवार द्वारा बनवाये गए राधागोविंद मंदिर में प्रवेश करते ही एक बड़ी सी राक्षसी पूतना की मूर्ति है। जिसकी दोनों आँखे देखने में काफी डरावनी हैं। उसके बड़े-बड़े दांत काफी भयानक हैं लेकिन काफी राधागोविंद मंदिर में बड़ी ही भक्ति और श्रद्धा के साथ यहां राक्षसी पूतना की पूजा की जाती है। यहाँ राक्षसी पूतना अपनी गोद में भगवान श्री कृष्ण को लिए हुए हैं। मंदिर के अंदर भगवान राधागोविंद, जगन्नाथ, बलराम, सुभद्रा की मूर्तियां भी विराजमान है।

Komal Yadav

Komal Yadav

A Writer, Poet and Commerce Student