भारत के लिए हमेशा से कहा गया है कि ये एकता का देश है। भारत में बेहद विविधताएं हैं, लेकिन इसके बावजूद लोग एक दूसरे के साथ प्यार से और भाईचारे के साथ रहते हैं। हालांकि पिछले कुछ वक्त से ये भाईचारा और प्यार राजनीति की भेंट चढ़ रहा है। असहनशीलता लोगों के अंदर बढ़ती जा रही है। कुछ लोगों के राजतिलक इस भाईचारे और सोहार्द की कुर्बानी देकर ही हुए हैं। सत्ता के खेल में भारत को सबसे ज्यादा जिस चीज का नुकसान पहुंचा है वो इंसानियत, प्यार, दूसरे धर्म-जात के लोगों के प्रति स्नेह है। इन सब चीजों ने पिछले कुछ वक्त में दम तोड़ दिया है। लेकिन फिर भी भारत में लोग अपनी कोशिश नहीं छोड़ रहे हैं। भारतीयों के मन में एकता और भाईचारा अभी भी वास करता है और इसी की मिसाल बीच बीच में छोटी छोटी घटनाओं के माध्यम से देखने को मिल जाती है।
ऐसा ही कुछ हुआ झारखंड के लातेहार में, यहां के गांववालों ने उन सभी तोड़ने वालों के मुंह पर चांटा मारा है। और एक बेहद ही खूबसूरत एकता की मिसाल पेश की है। दरअसल मनिका प्रखंड के सेमरी गांव में हिंदुओं को श्मशान घाट तक जाने का कोई भी रास्ता नहीं था। जिसको देखते हुए सेमरी और बरवाडीह के हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदायों के लोगों ने आपसी सहमति बनाई और रास्ता बनाने का मन बनाया। इसके बाद मुस्लिम समुदाय के आधे दर्जन से अधिक लोगों ने अपनी रैयती भूमि दान देकर श्रमदान से श्मशान घाट तक जाने का रास्ता तैयार किया और सड़क निर्माण का काम शुरु किया। ये सब उस दिन हुआ जब मुस्लिम समुदाय का पर्व हजरत मोहम्मद साहब का जन्मदिन ईद उल मिलादुन्नबी था और उसी दिन हिन्दुओं का बेहद खास प्रव शरद पूर्णिमा भी थी। इस मौके पर दोनों समुदायों ने आपसी भाईचारे की मिसाल कायम की और शमशान-कब्रिस्तान की राजनीति करने वालों को सोचने पर मजबूर कर दिया और उनके फैलाए जहर में अमृत का काम किया है।
दरअसल गांव के दोनों समुदायों के लोग सुबह होते ही श्मशान घाट की ओर कुदाल, गैंता, टोकरी लेकर पहुंचने लगे और सड़क बनाने के काम में जुट गए। सेमरी गांव के ग्राम प्रधान नागेंद्र उरांव ने कहा कि हिंदुओं को श्मशान घाट पर जाने में काफी परेशानी होती थी, क्योंकि वहां तक जाने का अब तक कोई रास्ता नहीं था। उन्होंने बताया कि सेमरी और बरवाडीह गांव के लोगों ने मिलकर फैसला लिया और इसके तहत मुस्लिम समुदाय के लोगों ने श्मशान घाट तक जाने के लिए बेहिचक अपनी जमीन दान में दे दी। इस गांव के लोगों का अंतिम संस्कार उसी श्मशान घाट में किया जाता है लेकिन रास्ता नहीं होने की वजह से यहां के लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था। श्मशान घाट तक रास्ता के लिए रैयती जमीन देने वालों में से वकील अंसारी, अमीर हसन अंसारी, औरंगजेब खान, बिस्मिल्लाह खान, गुलाम हुसैन, सलीम अंसारी समेत अन्य लोग शामिल हैं।
इस मौके पर जमीन देने वाले मुस्लिम परिवार के लोगों ने भी श्रमदान देकर श्मशान घाट तक रास्ता तैयार करने में पूरी मदद की है। ग्रामीणों ने बताया कि हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन और हिंदुओं के शरद पूर्णिमा त्योहार के दिन आपसी भाईचारे की मिसाल पेश करना एक बेहतरीन कदम है और गांव के लोगों ने ही साल से चली आ रही समस्या का आपसी सहमति से निदान कर दिया है। इसमें ना तो किी नेता को और ना ही किसी अधिकारी को बीच में डाला गया, शायद इसी वजह से ये लोग ऐसा काम कर सके और एक दूसरे की मदद कर पाए।