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कोरोना वायरस से बीमार लोगों का इलाज सिर्फ मेडिकल से ही नहीं हो सकता है!

मध्य प्रदेश के इंदौर से लेकर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद तक तो बिहार के मधुबनी, मुंगेर जैसे इलाकों में जो हुआ वो शर्मनाक है।
Logic Taranjeet 3 April 2020

कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को हम संदिग्ध बुला रहे हैं। थोड़ा अजीब लगता है क्योंकि ज्यादातर संदिग्ध हम अपराधियों के लिए इस्तेमाल करते हैं। ये लोग पीड़ित हैं, बीमार हैं, जानलेवा बीमारी के शिकार हैं, लेकिन देश में जगह जगह पर स्वास्थ्यकर्मियों, पुलिस वालों पर हो रहे हमलों के बाद से इन लोगों को भी हम अपराधियों की श्रेणी में रख सकते हैं। मध्य प्रदेश के इंदौर से लेकर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद तक तो बिहार के मधुबनी, मुंगेर जैसे इलाकों में जो हुआ वो शर्मनाक है।

सबसे ज्यादा ताज्जुब करने वाला तो तब्लीगी जमात के कोरोना संदिग्धों की हरकत है। ये लोग तो बेशर्मी की सारी हदें ही पार कर चुके हैं। ये वो बेहूदे लोग है जो कोरोना वॉरियर्स पर थूक रहे हैं। वो वॉरियर्स जो अपनी जान पर खेल कर इनकी जिंदगी बचाने की कोशिश कर रहे हैं। देश ने जनता कर्फ्यू के दिन इन वॉरियर्स का सम्मान किया और ये उनके साथ इस तरह का रवैया कर रहे हैं। कोरोना वॉरियर्स पर हमले की हिमाकत करने वाले ये वायरस ही नहीं आतंक और अपराध के संदिग्धों जैसे लगते हैं। हां ये बीमार है लेकिन ये महज मेडिकल सेवाओं के दायरे में ठीक नहीं होंगे। इनके लिए तो कानूनी इलाज की भी जरूरत पड़ेगी।

मेडिकल इलाज से ज्यादा की जरूरत है

लॉकडाउन लागू होने की शुरुआत में ही अमेरिका की मिसाल देते हुए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कहा था कि अगर लोग कोरोना वायरस को लेकर लागू की गई पाबंदी का पालन नहीं किया गया तो ऐसी स्थिति बन सकती है कि हमें 24 घंटे कर्फ्यू और गोली मारने के आदेश देने पड़ सकते हैं। फिलिपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटर्टे ने तो पुलिस और फौज को क्वारंटीन के दौरान हिंसक प्रदर्शनकारियों से निबटने में गोली चलाने तक का आदेश दे दिया है।

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तेलंगाना से ही डॉक्टरों से दुर्व्यहार की भी खबर आयी थी, कुछ डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में जूनियर डॉक्टरों का मामला उठाया था कि किस तरह मकान मालिकों ने कई डॉक्टरों को घर से बेदखल कर दिया था और वो सड़क पर आ गए थे। दिल्ली में भी डॉक्टरों के साथ मकान मालिकों के दुर्व्यवहार की घटनाओं का पता चला था। फिर गृह मंत्री अमित शाह ने डॉक्टरों से बात की और दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को ऐसे लोगों के खिलाफ एक्शन लेने के निर्देश दिए।

पुलिस वालों को पीटा

मुजफ्फरनगर में पुलिसकर्मियों को मोरना गांव में भीड़ ने पीट पीट कर जख्मी कर दिया। मोरना पुलिस चौकी इंचार्ज लेखराज सिंह और दो सिपाही इस हमले में बुरी तरह जख्मी हो गए। ये पुलिस कर्मी लोगों को लॉकडाउन पर अमल कराने के लिए गए थे। इसके अलावा इंदौर में तो स्वास्थ्यकर्मी एक व्यक्ति की मेडिकल जांच के लिए गए हुए थे। तभी आस पास के लोगों ने पथराव कर दिया। उन लोगों का दावा था कि वहां कोरोना नहीं हुआ है। भला ये कैसे दावा किया जा सकता है कि किसी को कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं हुआ है, अब तो ये भी रिपोर्ट आ चुकी है कि ऊपर से कोरोना वायरस के लक्षण नहीं पाए जाने पर भी चीन में करीब डेढ़ हजार लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।

जिस बीमारी ने दुनिया भर के मेडिकल विशेषज्ञों के सामने चुनौती खड़ी कर रखी है। जब दो-दो बार निगेटिव आने के बाद तीसरी बार के टेस्ट में कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट आ रही हो, भला कोई ये कैसे दावा कर सकता है कि किसी को कोरोना नहीं हुआ है। बिहार के मुंगेर में एक बच्ची की मौत के बाद मेडिकल टीम आस पास के लोगों की जांच के लिए पहुंची थी। मेडिकल टीम मालूम करना चाह रही थी कि जांच में कुछ पता चलता है तो भी नहीं तो एहतियातन लोगों को क्वारंटीन में रहने की सलाह दी जाए। मेडिकल टीम के पहुंचते ही स्थानीय लोगों ने हंगामा कर दिया और लोगों के हंगामे के चलते पुलिस को बुलाया गया, लेकिन लोग पुलिस की गाड़ी पर ही पथराव करने लगे। कोरोना वायरस की जांच के सिलसिले में स्वास्थ्यकर्मियों पर पत्थरबाजी की घटनाएं हाल में कई बार हुई हैं।

गाजियाबाद में तो हद हो गई

वहीं इन सबमें बेशर्मी वाली हरकत तो गाजियाबाद के अस्पताल में हुई, जब वहां पर क्वारांटीन किए गए लोगों ने वॉर्ड में बिना कपड़ों के घूमना शुरु कर दिया। इतना ही नहीं ये लोग अश्लील गाने और वीडियो देखने लगे वो भी नर्सों के सामने और सपोर्ट स्टाफ से बीड़ी सिगरेट मांगने लगे। नर्सों को शिकायत करनी पड़ी और कड़े एक्शन लेने पड़े।

अब तक जो पता चला है, तब्लीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज में हुए कार्यक्रम ने देश के 20 राज्यों को खतरे में डाल दिया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जमात के कार्यक्रम में करीब 4 हजार लोग मरकज पहुंचे थे और 2 हजार से ज्यादा लोगों को तो आखिरी दिन जबरन निकाला ही गया है। वो तो दिल्ली पुलिस की भी नहीं सुन रहे थे और थक हार कर गृह मंत्रालय को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मदद लेनी पड़ी थी। जैसे जैसे जांच आगे बढ़ रही है तब्लीगी जमात को लेकर नई जानकारी सामने आ रही है।

जमात के लोगों ने परेशान कर दिया है

निजामुद्दीन के मरकज से निकले तब्लीगी जमात के लोगों ने देश भर की पुलिस के लिए कितनी चुनौतियां पैदा कर दी है, वो लगातार जूझ रहे हैं और उनका पता लगाने के लिए दर दर भटक रहे हैं और जैसे तैसे करीब पहुंचते हैं तो हमले के शिकार तक हो जा रहे हैं। पुलिस को तब्लीगी जमात के लोगों का पता लगाने के लिए एंटी टेरसिस्ट स्क्वॉड, सर्विलांस, फोन ट्रैकिंग, सिम कार्ड लोकेशन की तो मदद लेनी ही पड़ रही है और घर घर जाकर भी पता लगाना पड़ रहा है क्योंकि कई लोगों के तो फोन नंबर तक नहीं मिले हैं। ऐसे लोगों का पता लगाने के लिए उनके यात्रा विवरण के जरिये उन तक पहुंचने की कोशिश करनी पड़ रही है।

निजामुद्दीन मरकज से तब्लीगी जमात के 167 लोगों को तुगलकाबाद क्वारंटीन सेंटर लेकर जाकर रखा गया है और वहां से खबर आयी है कि ये लोग सेंटर पर जगह जगह थूक रहे हैं। ध्यान रहे, थूक के जरिये कोरोना के फैलने का खतरा रहता है। दिल्ली सरकार के अधिकारी के मुताबिक, ये लोग देखरेख में जुटे मेडिकल स्टाफ पर भी थूक रहे हैं और उनको गालियां दे रहे हैं। क्वारंटीन सेंटर की पूरी इमारत में ये लोग मनमाने तरीके से घूम रहे हैं और इलाज में सहयोग की कौन कहे, कदम कदम पर किसी न किसी तरीके से अड़ंगे डालने की कोशिश कर रहे हैं। सोचिये भला, सिर्फ मेडिकल साइंस के जरिये ऐसे लोगों का इलाज मुमकिन है क्या? सही बात तो ये है कि जिन अत्याधुनिक तौर तरीकों से देश भर की पुलिस ऐसे भगोड़ों को ढूंढ रही, असल बात तो ये है कि वही तरीके इनके खिलाफ इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.