डॉक्टर प्रियंका रेड्डी का रेप और उसके बाद जली हुई लाश मिलने से हर कोई गुस्से में हैं। एक बार फिर से महिलाओं की सुरक्षा की मांग सड़क से लेकर संसद तक उठ गई है। समाजवादी पार्टी की नेता और राज्यसभा सांसद जया बच्चन कठोर सजा की मांग करती है। तो वहीं राज्यसभा के सभापति वैंकया नायडू कहते हैं कि इसके लिए मानसिकता जिम्मेदार है। नेताओं ने खेद जता दिया, लोगों ने मोमबत्तियां जला दी, एंकरों ने आंसू बहा दिए, लेकिन हर किसी ने एक ही बात कही कि संसद में कानून बनना चाहिए। बिलकुल सही बात है संसद में फांसी की सजा का कानून बनना चाहिए। निर्भया के वक्त भी शायद कुछ यही मांग उठी थी। लेकिन जो कानून बनाने वाले हैं, वो कितना पानी में हैं?
क्या आप जानते हैं कि हमारी संसद में 43 फीसदी ऐसे सांसद हैं, जो कि आपराधिक मामलों से घिरे हुए हैं। और 29 फीसदी ऐसे नेता है जिन पर रेप, हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण जैसे मामले दर्ज है। 539 कुल सांसद है इस वक्त हमारी लोकसभा में जिनमें से 233 आपराधिक मामलों में और 159 जघन्य अपराधों में लिप्त है। इन्हीं में 3 सांसदों पर तो रेप के आरोप भी है। इनमें एक भारतीय जनता पार्टी के बंगाल के बिशनुपुर से सांसद सौमित्र खान है, तो वहीं केरल से कांग्रेस के हिबी इडन और आंध्र प्रदेश से वाईएसआर कांग्रेस के कुरुवा माधव पर रेप के आरोप है। अभी इन जैसे सांसदों से हम उम्मीद करते हैं कि ये संसद में सख्त कानून बनाएंगे।
आपको क्या लगता है कि सिर्फ लोकसभा में ही आपने ऐसे आपराधिक मामलों से लिप्त सांसद भेजे हैं। जी नहीं विधानसभाओं में भी कुछ ऐसा ही हाल है। कुल 45 विधायक ऐसे हैं जिन पर महिलाओं के साथ अपराध करने का आरोप लगा हुआ है। अभी महाराष्ट्र में चुनाव हुए थे और उसमें जनता ने 62 फीसदी विधायक ऐसे चुने हैं जिन पर आपराधिक मामले चल रहे हैं और 40 फीसदी ऐसे हैं जिन पर गंभीर मामले हैं। शिवसेना के 31, भाजपा के 65, एनसीपी के 32, कांग्रेस के 26 विधायकों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं।
चिनमयानंद, सैंगर, आरजेडी के राजबल्लभ यादव, कांग्रेस के ब्रजेश पांडे, भाजपा के पूर्व मंत्री एमजे अकबर, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी, आम आदमी पार्टी के संदीप कुमार, हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा, भंवरी देवी सेक्स स्कैंडल के आरोपी कांग्रेस विधायक मलखान सिंह और महिपाल मदेरना, सपा के गायत्री प्रजापति, कांग्रेस के एम विंसेंट, जैसे कई नेता हैं। इनके अलावा भाजपा के पूर्व विधायक विजय जॉली, हरियाणा के भाजपा विधायक उमेश अग्रवाल, हरक सिंह रावत, यूपी से भाजपा के विधायक कुशाग्र सागर, आरजेडी के अरुण यादव भी इसमें शामिल है। जो महिलाओं के साथ आपराधिक गतिविधियों में आरोपी ठहराए गए हैं। कुछ जेल गए तो कुछ नेता होने की वजह से बच गए, लेकिन ये सभी किसी न किसी सरकार का हिस्सा रहे हैं और संसद, विधानसभा जैसी संवैधानिक जगहों पर बैठे हैं। जहां कानून बनते हैं वहां पर ऐसे आरोपी भी बैठे हैं।
इन लोगों ने सदनों में बैठ कर प्रियंका रेड्डी को न्याय दिलाने की बात कही। लेकिन किसी ने अपने नेताओं के किए अन्याय पर कोई संज्ञान नहीं लिया। हालांकि अगर आंकड़ें देखें तो इनमें भाजपा की संख्या काफी ज्यादा है, लेकिन पीछे कोई नहीं है। कांग्रेस हो या फिर आरजेडी या खुद को आम आदमी बताने वाले केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सभी के नेता महिलाओं के खिलाफ अपराध करते हुए पकड़े गए हैं। आज हम प्रियंका रेड्डी को लेकर गुस्से में हैं, लेकिन एक वक्त था जब निर्भया के लिए भी यही आवाज गूंजी थी। लोगों ने लाठी खाई, आंसू गैस के गोले चले, तब लगा था कि शायद अब बदलाव आएगा। लेकिन कुछ नहीं हुआ, हमने उन्हीं को चुन कर संविधान के मंदिरों में बिठा रखा है जिन्होंने शायद कभी संविधान का पालन ही नहीं किया है।
ट्विटर पर ट्रेंड करा #priyankareddy #savegirls, #stoprape, #womeninsecure लेकिन 2 दिन बाद सब अपने काम पर लौट गए और प्रियंका को इंसाफ की मांग वहीं की वहीं रह गई। आज प्रियंका, ट्विंकल, आसिफा, निर्भया इन सबकी आत्मा पूछ रही होगी कि क्या ये लोग हमारे लिए सच में खड़े थे या सिर्फ अपना टाइम पास करने के लिए मोमबत्तियां जला गए थे। निर्भया की मां आज तक इंसाफ के लिए लड़ रही है, लेकिन इन नेताओं से किसी ने सवाल नहीं किया।