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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

TaazaTadka

ज़िन्दगी भर मेरे साथ चलो ,मेरे पास वो सबकुछ होगा जो सफ़र में मुझे चाहिए

कितना प्यार करते हैं
जरा रुकिए क्या है प्रेम की असल परिभाषा?

दुनिया के लिए तुम एक इंसान हो, लेकिन एक इंसान के लिए तुम पूरी दुनिया हो.

किसी के द्वारा अत्यधिक प्रेम मिलने से आपको शक्ति मिलती है, और किसी को अत्यधिक प्रेम करने से आपको साहस मिलता है.

प्यार इस बारे में नहीं है कि आप कितने दिनों से, हफ़्तों से या महीनो से साथ हैं, ये बस इस बारे में है की हर रोज आप एक दुसरे से कितना प्यार करते हैं.

ज़िन्दगी भर मेरे साथ चलो….और मेरे पास वो सबकुछ होगा जो इस सफ़र के लिए मुझे चाहिए!

प्यार हवा की तरह है…हम इसे देख नहीं सकते लेकिन महसूस ज़रुर कर सकते हैं.

अपने दिल को सुरक्षित रखे, यह बहुत नाजुक होता है। कुछ छोटी छोटी बातें और घटनाये इस पर गहन प्रभाव छोड़ देती है। एक बहुमूल्य पत्थर को जोड़ कर रखने के लिए सोने और चांदी की परत देनी पड़ती है। उसी तरह ज्ञान और विवेक की परत आपके दिल को दिव्यता से जोड़ कर रखती है। मन और दिल को साफ और स्वास्थ्य रखने के लिए दिव्यता से उत्तम कुछ भी नहीं है। फिर गुजरता हुआ समय और घटनाये आपको स्पर्श भी नहीं कर पायेंगी और न कोई घाव दे पाएगी।

जब कोई बहुत प्रेम अभिव्यक्त करता हैं तो अक्सर उस पर कैसे प्रतिक्रिया करना या आभार व्यक्त करना आपको समझ में नहीं आता। सच्चे प्रेम को पाने की क्षमता प्रेम को देने या बाँटने से आती है। जितना आप अधिक केंद्रित होते हे उतना अपने अनुभव के आधार पर यह समझ पाते हैं कि प्रेम सिर्फ एक भावना नहीं हैं, वह आपका शाश्वत आस्तित्व है, फिर चाहे कितना भी प्रेम किसी भी रूप में अभिव्यक्त किया जाए आप अपने आप को स्वयं में पाते है।

प्रेम के प्रकार | Types of love

प्रेम के तीन प्रकार होते है।

  • प्रेम जो आकर्षण से मिलता है।
  • प्रेम जो सुख सुविधा से मिलता है।
  • दिव्य प्रेम।

प्रेम जो आकर्षण से मिलता हैं वह क्षणिक होता हैं क्युकी वह अनभिज्ञ या सम्मोहन की वजय से होता है। इसमें आपका आकर्षण से जल्दी ही मोह भंग हो जाता हैं और आप ऊब जाते है। यह प्रेम धीरे धीरे कम होने लगता हैं और भय, अनिश्चिता, असुरक्षा और उदासी लाता है।

जो प्रेम सुख सुविधा से मिलता हैं वह घनिष्टता लाता हैं परन्तु उसमे कोई जोश, उत्साह , या आनंद नहीं होता है। उदहारण के लिए आप एक नवीन मित्र की तुलना में अपने पुराने मित्र के साथ अधिक सुविधापूर्ण महसूस करते है क्युकी वह आपसे परिचित है। उपरोक्त दोनों को दिव्य प्रेम पीछे छोड़ देता है। यह सदाबहार नवीनतम रहता है। आप जितना इसके निकट जाएँगे उतना ही इसमें अधिक आकर्षण और गहनता आती है। इसमें कभी भी उबासी नहीं आती हैं और यह हर किसी को उत्साहित रखता है।

सांसारिक प्रेम सागर के जैसा हैं, परन्तु सागर की भी सतह होती है। दिव्य प्रेम आकाश के जैसा हैं जिसकी कोई सीमा नहीं है। सागर की सतह से आकाश के ओर की ऊँची उड़ान को भरे। प्राचीन प्रेम इन सभी संबंधो से परे हैं और इसमें सभी सम्बन्ध सम्मलित होते है।

पहली नज़र में प्रेम | Love at first sight

अक्सर लोग पहली नज़र में प्रेम को अनुभव करते है। फिर जैसे समय गुजरता है , यह कम और दूषित हो जाता हैं और घृणा में परिवर्तित होकर गायब हो जाता है। जब वही प्रेम वृक्ष बन जाता हैं जिसमे ज्ञान की खाद डाली गई हो तो वह प्राचीन प्रेम का रूप लेकर जन्म जन्मांतर साथ रहता है। वह हमारी स्वयं की चेतना है। आप इस वर्तमान शरीर,नाम, स्वरूप और संबंधो से सीमित नहीं है। आपको अपना अतीत और प्राचीनता पता न हो लेकिन बस इतना जान ले कि आप प्राचीन हैं , यह भी पर्याप्त है।

जब प्रेम को चोट लगती हैं तो वह क्रोध बन जाता हैं, जब वह विक्षोभ होता हैं तो वह ईर्ष्या बन जाता हैं , जब उसका प्रवाह होता हैं तो वह करुणा हैं और जब वह प्रज्वलित होता हैं तो वह परमान्द बन जाता हैं।

Sumit Rawat

Sumit Rawat

I am Sumit Rawat a passianate blogger .