
मैकदे में किसने कितनी पी खुदा जानें मगर, मैकदा तो मेरी बस्ती के कई घर पी गया… जैसे ही लॉकडाउन 3.0 के पहले दिन शराब की दुकानें खुली तो मेराज फैजाबादी की ये पंक्तियां सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। और होनी भी चाहिए क्योंकि मेराज ने जो बात कही वो एकदम सही साबित हो रही है। कोरोना अपना तांडव कर रहा है, तो वहीं शराब की दुकानों के बाहर 1-1 किलोमीटर की लंबी लाइनें लगाकर लोगों ने ये दिखा दिया कि उनके लिए जिंदगी से ज्यादा जरूरी अपनी शराब है। लोगों को पीने का मूड हैं लेकिन जीने का नहीं। कोरोना वायरस एक महामारी हैं, जो लाखों लोगों की जान ले चुकी है। इसे रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन किया था जो कि अभी भी जारी तो है लेकिन इस बार यानी की पार्ट 3 में काफी सारी रियायतें दी गई हैं। इसी में शराब की दुकानें खोलने का फैसला लिया गया था, लेकिन शर्तों के साथ। हां शराब से भारत को राजस्व मिलता है काफी मात्रा में ये भारत के लिए आर्थिक रूप से जरूरी है। लेकिन लोगों की तड़प ने उन सभी शर्तों को तोड़ दिया जो सरकार ने रखी थी।
कई प्रदेशों में राज्य सरकार ने शराब की दुकानें खोलने का जैसे ही आदेश दिया इसके बाद से ही पूरे देश की तस्वीर ही बजल गई। लोगों ने शराब की दुकान खुलने का स्वागत बैंड बाजे से किया,नारियल फोड़े गए, ताली बजाई गई। सुबह 4-4 बजे से लोग शराब लेने के लिए लाइनें लगा कर खड़े हो गए। न तो सोशल डिस्टेंसिंग दिखीं और न किसी तरह का लॉकडाउन। ये ठीक वैसी लाइनें थी, जो नोटबंदी के वक्त लोगों ने बैंकों के बाहर लगा ली थी।
लोगों के अंदर शराब पीने की इतनी तलब थी कि वो भूल गए कि भारत में हर दिन 1700-1800 कोरोना के केस आते हैं। कोरोना खत्म नहीं हुआ है और भारत में अगर ये रुका नहीं तो हमारी आबादी 135 करोड़ है। अमेरिका, इटली की हमारे सामने आबादी कुछ भी नहीं है। जब वहां इतना बुरा हाल है तो हमारा क्या होगा। साथ में हमारे पास तो उतनी किट्स और सुविधाएं भी नहीं है जो इन देशों के सामने खड़े हो सकें। फिर भी अगर इन देशों में ये आलम रहा है तो हमारा क्या होगा?
ये सोच कर ही जी घबरा जाता है लेकिन शराबियों के इस जज्बे को देख कर समझ आ गया कि न तो हमें आने वाले कल की परवाह है। और न ही अपने परिवार की चिंता है, मतलब है तो बस अपनी शराब से और अपनी अय्याशी से। इसमें सोचना सरकारों को भी था, आपने अपनी कमाई के लिए ठेके खोलें, ठीक है ये फैसला एक वक्त पर आ कर लेना जरूरी था। देश में आर्थिक महामारी को भी रोकना जरूरी है, लेकिन क्या आपने इस शराब की दुकानें खोलने से पहले किसी तरह की रणनीति बनाई थी। अगर बनाई थी तो वो फेल कैसे हो गई। 2 गज की दूरी तो छोड़ों लोगों ने 2 इंच की दूरी नहीं रखी। जब सिर्फ शराब की दुकानें खुलने से ऐसा नजारा था, तो ऐसे में हमारे कई नेता कहते हैं कि राज्यों को खोल दिया जाए। इनमें काफी लोकप्रिय नाम शामिल है, अरविंद केजरीवाल समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि भईया हमारे राज्य खोल दो। तो दिल्ली में तो पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा।
Read More :-सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट के जजों की नियुक्तियों में चल रहा है भाई-भतीजावाद
भारत में सब कुछ हम सिर्फ जनता के ऊपर नहीं छोड़ सकते हैं, जनता लोकडाउन की वजह से काफी तनाव में लोगों को पार्टी करने को नहीं मिल रहा, बाहर घूमने नहीं जा पा रहे हैं, ऐसे में अगर आप लॉकडाउन में ढील देंगे और सोचेंगे की जनता खुद से सब कुछ कर लेगी। तो ऐसा नहीं होने वाला है, शराब की दुकानों के बाहर हुए इस कांड को तो आप सिर्फ एक उदाहरण समझिए, ऐसा पता नहीं कितना कुछ हो सकता है। कोरोना के विरुद्ध इस जंग में भारत काफी बेहतर स्थिति में रहा है, तो इसे खराब होने से पहले रोकिए और जितना जरूरी हो सिर्फ उतना ही लॉकडाउन खोलिए।