Headline

सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

TaazaTadka

हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में जमीनी मुद्दों के ऊपर कितने भारी पड़ेंगे 370 और तीन तलाक

महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 की तारीखों का ऐलान होने के बाद से ही दोनों राज्‍यों में अब सियासी हलचलें काफी ज्यादा बढ़ गई है। 21 अक्‍टूबर को दोनों राज्‍यों में वोट डाले जाएंगे और 24 को इसके नतीजे तय करेंगे कि इस बार किसकी दीवाली काली मनेगी
Logic Politics Tadka Taranjeet 30 September 2019

महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 की तारीखों का ऐलान होने के बाद से ही दोनों राज्‍यों में अब सियासी हलचलें काफी ज्यादा बढ़ गई है। 21 अक्‍टूबर को दोनों राज्‍यों में वोट डाले जाएंगे और 24 को इसके नतीजे तय करेंगे कि इस बार किसकी दीवाली काली मनेगी। महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा में 288 और 90 सीटों पर जनता अपना मत डालेगी तो वहीं अभी फिलहाल दोनों राज्यों में भारतीय जनता पार्टी सरकार में हैं। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन की सरकार है। तो वहीं दूसरी तरफ हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार है।

इस बार के चुनाव काफी अहम माने जा रहे हैं क्योंकि दोनों ही राज्यों में एक अलग सी राजनीति देखने को मिल रही है। जहां हरियाणा में सारी पार्टियां अकेले चुनाव लड़ रही हैं, तो वहीं महाराष्ट्र में 2 मुख्य गठबंधन बन गए हैं, जो मुकाबला कड़ा देने वाले हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना का गठबंधन है, तो वहीं कांग्रेस और एनसीपी ने भी गठबंधन कर लिया हुआ है।

2014 में क्या था नतीजा

अगर बात करें 2014 विधानसभा चुनाव की तो महाराष्ट्र में 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले ही भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना का गठबंधन टूट गया था। इन दोनों दलों ने 25 सालों के बाद अलग-अलग चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 122 और शिवसेना को 63 सीटें मिली थीं। वहीं साल 2014 कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका लगा था। 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में किसी दल को अकेले बहुमत नहीं मिला था, तो ऐशे में एक बार फिर से शिवसेना और बीजेपी साथ आए थे और गठबंधन की सरकार बनाई थी। वहीं कांग्रेस को 42 और एनसीपी को 41 सीटें ही मिली थी।

इसके बाद दूसरा राज्य हरियाणा अगर 2014 विधानसभा चुनाव के नजरिये से देखें तो 90 सीटों वाले इस राज्य में भारतीय जनता पार्टी ने 47 सीटें जीतकर सरकार बना ली थी, तो वहीं इनेलो दूसरे नंबर पर 19 सीटों के साथ रही थी। कांग्रेस को 15 सीटें ही मिली थी। लेकिन इस बार इनेलो का अस्तित्व चुनाव में नजर नहीं आ रहा है क्योंकि परिवार के दो फाड़ हो चुके हैं और वोट पूरी तरह से बंट गया है।

क्या हो सकते हैं विधानसभा चुनाव के मुद्दे

एक लंबे वक्त से हम लोग देख रहे हैं कि हर चुनाव में चाहे फिर वो लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव 2019 हो, जमीनी मुद्दों से हट कर पाकिस्तान, राष्ट्रभक्ति, जवान, शिवभक्ति के नाम पर वोट लिए जाते हैं और इन्हीं के नाम पर प्रचार भी किया जाता है। अर्थव्यवस्था, रोजगार, सड़क, बिजली, पानी, सरकारी योजनाएं, किसान, महिलाएं, गरीबी, महंगाई, सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे अहम और मूल मुद्दे महज घोषणापत्र का ही हिस्सा रह गए हैं। न तो उनके नाम पर वोट मांगे जाते हैं और न ही चुनाव जीतने के बाद किसी तरह का काम इन मुद्दों पर किया जाता है। हर बार भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी को चेहरा बना कर चुनाव लड़ती है तो वहीं कांग्रेस राहुल गांधी को मंदिर भेज कर हिंदू साबित करने की कोशिश करती है और उनकी छवि सुधारने के प्रयास भी किए जाते हैं, लेकिन वो लगातार असफल रहे हैं।

इस बार हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुद्दे भी कुछ रोचक हैं। अगर दोनों राज्‍यों की बात करें तो अनुच्छेद 370 और तीन तलाक खत्म करने के फैसले के बाद मोदी सरकार 2.0 की ये पहली परीक्षा होने वाली है। दोनों ही राज्यों में इस बार स्थानीय मुद्दों पर कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का मुद्दा ज्‍यादा भारी नजर आएगा, वहीं हाल ही में हुआ हाउडी मोदी इवेंट भी जरूर सभाओं में सुनने को मिलेगा। इसके अलावा महिलाओं का मसीहा बनने की कोशिश भी भारतीय जनता पार्टी के द्वारा की जाएगी और तीन तलाक का मुद्दा पूरे जोर-शोर से उठाया जाने वाला है। और सबसे अहम पाकिस्तान और राष्ट्रभक्ति का मुद्दा तो छोड़ नहीं सकते हैं।

ऐसे में बेसहारा से हुए पड़े विपक्ष के पास महाराष्‍ट्र के विदर्भ में सूखा और किसानों की आत्महत्या, मध्य महाराष्ट्र में बाढ़, मराठा आरक्षण, बीजेपी नेताओं पर रेप के आरोप जैसे मुद्दों को चुनाव में आजमाने का मौका होगा। तो वहीं बीजेपी 370 और तीन तलाक के जरिए विपक्ष की धार को कुंद करने की कोशिश करेगी। जहां तक हरियाणा की बात करें तो बीजेपी साफ कर चुकी है कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने का मुद्दा वो चुनाव में उठाएगी। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सुभाष बराला ने पिछले दिनों इसके संकेत दिए थे। इसके अलावा खट्टर सरकार समाज के सभी वर्गों को रोजगार के मौके देने के अपने दावे को भुनाने की कोशिश करेगी। तो विपक्ष की तरफ से बेरोजगारी, सड़क व्यवस्था, महंगाई और जाट आंदोलन का मुद्दा उठाया जा सकता है।

गठबंधन का पेच

महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं। ऐसे में शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी ने इन सीटों पर गठबंधन कर लिया है और वो मिलकर चुनाव लड़ने वाली है, लेकिन दोनों दलों के सामने चेहरे की चुनौती रहने वाली है। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से देवेंद्र फड़नवीस है तो वहीं शिवसेना भी आदित्य ठाकरे को आगे करने की कोशिश करना चाहेगी। ऐसे ही कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने समाजवादी पार्टी (सपा), पीपुल्स रिपब्लिकन पार्टी (पीआरपी) और लक्ष्मण माने की अध्यक्षता वाले वंचित बहुजन अगाड़ी (वीबीए) गुट के साथ गठबंधन किया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की पार्टी और कांग्रेस महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 125-125 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगी। वहीं बाकी की 38 सीटें छोटे सहयोगी दलों को दी गई हैं। इन दोनों दलों में भी नेतृत्व की चिंता है। कांग्रेस के अशोक चव्हान और एनसीपी के अजीत पवार कोशिश करेंगे की कुर्सी तक पहुंचे।

अगर बात हरियाणा की करें तो इस राज्य में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से तो मनोहर लाल खट्टर ही मैदान में हैं। लेकिन कांग्रेस यहां पर पूरी तरह से गुटबाजी कर रही है, अशोक तंवर, रणदीप सुरजेवाला, भुपिंदर हुड्डा तीनों कब बगावत कर लें कहा नहीं जा सकता है। फिलहाल सभी का उद्देश्य चुनाव जीतने पर होना चाहिए। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के लिए हालांकि सभी ने कमर कस ली है और गिले शिकवे भुला दिए हैं।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.