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भइया को PM और CM जाति का चाहिए लेकिन जनगणना आर्थिक हो, ऐसे कैसे चलेगा?

एक भइया जिन्हें अपनी जाति पर गर्व है और उन्हें कोई उनकी जाति वाले नाम से बुलाए तो रुष्ट नहीं होते और जनगणना आर्थिक आधार पर करवानी है.
Logic Ambresh Dwivedi 26 August 2021
भइया को PM और CM जाति का चाहिए लेकिन जनगणना आर्थिक हो, ऐसे कैसे चलेगा?

जाति एक ऐसा शब्द जो हमारे देश में इस कदर घुसा हुआ है जैसे शरीर में डीएनए। चुनाव आते-आते तो समंदर की तरह उछाल मारने लगता है. वैसे आजकल एक विशेष वर्ग के भइया हैं जिन्हें जाति शब्द से नफरत होने लगी है. इन्हें देश में जाति नहीं चाहिए लेकिन पीएम से लेकर सरपंच तक अपनी जाति का जाति का ही चाहिए। मतलब बस पूछ रहे हैं कि भइया इतना दोगलापन कहाँ से लाते हैं. ऐसे कैसे चलेगा मेले प्याले भइया।

अपनी जाति वाला जीतेगा तो बैठने को कहेगा-

ये भइया ऐसे हैं कि जब चुनाव आता है तो सारी रंजिशे भुलाकर अपने जाति के विधायक,सरपंच और सांसद को जिताने में लग जाते हैं. इनका कहना है होता है कि अपनी जाति वाला नेता जीतेगा तो कम से कम घर जाने पर बैठने को कहेगा। उसके घर जाएंगे तो पानी तो पी सकेंगे,हमारे सामने कुर्सी में बैठेगा तो हमारा ईगो हर्ट नहीं होगा। ऐसा सोचकर ये भइया अपने खर्चे से अपनी जाति के नेता का प्रचार करते हैं और उसे जितवा देते हैं. फिर जीतने के बाद वही नेताजी जाते हैं और आरक्षण को बढ़ाने की वकालत संसद में करने लगते हैं. अब भइया को यहाँ बहुत दुःख होता है. भइया सोचते हैं गलती हो गई. गलती ये नहीं कि जाति के आधार पर वोट दिया है बल्कि वो आदमी ही गलत था.

ऐसे भइया सामने वाले में भी हैं- सामने वाले पक्ष में भी ऐसे ही एक भइया हैं. उन्हें बस एक शब्द से मतलब है “कौन जात हो भाई”. चुनाव के समय में इनकी जाति का नेता आएगा और सीधे इनके घरों के आसपास जाकर प्रचार करेगा। ये गुबार में आकर वोट दे देंगे और जब नेता जीतेगा तो सबसे पहले कहेगा की अब जनगणना आर्थिक आधार पर होना चाहिए। लो पकड़ा दिया नेताजी ने लोटा। इन्हें जाति के आधार पर सारे फायदे लेने हैं लेकिन अगर आप इन्हें इनके नाम के आगे लगे शब्द से बुला दें तो ये आहत हो जाते हैं. इन्हें लगता है कि अपमान कर दिया है. इसलिए ये चाहते हैं कि इन्हें इनकी जाति के आधार पर मिलने वाले फायदे और दुगने हो जाएं लेकिन जाति वाले शब्द से इन्हें कोई बुलाए नहीं।

तो दोनों तरफ ये भइया हैं. एक भइया जिन्हें अपनी जाति पर गर्व है और उन्हें कोई उनकी जाति वाले नाम से बुलाए तो रुष्ट नहीं होते और जनगणना आर्थिक आधार पर करवानी है. वही दूसरी तरफ जो भइया हैं उन्हें उनकी जाति वाले से नहीं बुलाइये लेकिन जाति के आधार पर मिलने वाले सारे फायदे देते रहिए।

इन दोनों भैयाओं के लिए एक ही शब्द है “ऐसे कैसे चलेगा भइया”

Ambresh Dwivedi

Ambresh Dwivedi

एक इंजीनियरिंग का लड़का जिसने वही करना शुरू किया जिसमे उसका मन लगता था. कुछ ऐसी कहानियां लिखना जिसे पढने के बाद हर एक पाठक उस जगह खुद को महसूस करने लगे. कभी-कभी ट्रोल करने का मन करता है. बाकी आप पढ़ेंगे तो खुद जानेंगे.