
कांग्रेस पार्टी के कुछ सदस्यों के द्वारा एक बार फिर से कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) और केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) के चुनाव कराए जाने की मांग उठाई जा रही है। हाल ही में हुई कार्यसमिति की बैठक में आनंद शर्मा और गुलाम नबी आजाद समेत पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव की मांग को फिर से दोहराया है और इसका जिक्र पिछले साल पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र में भी किया गया था। जिसके बाद काफी बवाल मचा था। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बाद में ऐलान किया कि इस साल जून तक कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुन लिया जाएगा लेकिन सीडब्ल्यूसी और सीईसी चुनाव कराने की तारीख और उसके लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी, इसे लेकर स्पष्टता नहीं दी गई है।
एआईसीसी के सदस्यों का कहना है कि हमारी मांग हमेशा यही रही है कि पार्टी के संविधान को कायम रखा जाए और संविधान यही कहता है कि सीडब्ल्यूसी और सीईसी के एक हिस्से का चुनाव किया जाएगा, उनको नामांकित नहीं किया जाएगा।
कांग्रेस के संविधान के अनुभाग XIX (ए) में सीडब्ल्यूसी की संरचना को लेकर स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कार्यसमिति में कांग्रेस का अध्यक्ष शामिल होगा, संसद में कांग्रेस पार्टी का नेता शामिल होगा, और 23 अन्य सदस्य होंगे जिनमें से 12 का चुनाव एआईसीसी द्वारा किया जाएगा, जो कार्यसमिति द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार होगा और बाकी सदस्य अध्यक्ष द्वारा नियुक्त किए जाएंगे।
फिर आगे चलकर सीडब्लूसी को कांग्रेस की सर्वोच्च कार्यकारी अथॉरिटी बताया गया है, जिसके पास कांग्रेस द्वारा निर्धारित की गई नीतियों और कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने के अधिकार होंगे। इस तरह सीडब्ल्यूसी पार्टी के अंदर एक बहुत प्रभावशाली इकाई बन जाती है। लेकिन आज इसकी शक्तियां तकरीबन खत्म कर दी गई हैं और अध्यक्ष की मर्जी और इच्छा का पालन करने के अलावा, उनके पास कोई विकल्प नहीं रह गया है। सीडब्ल्यूसी अब पार्टी अध्यक्ष कार्यालय का विस्तार मात्र है।
कुछ कांग्रेस नेताओं को अब यही बातें चुभ रही है और वो कह रहे हैं कि एक चुनी हुई सीडब्ल्यूसी और एक नामांकित सीडब्ल्यूसी का हिस्सा होने में वही अंतर है, जो एक लोकसभा सांसद और एक मनोनीत राज्य सभा सांसद के बीच होता है। चुना हुआ सीडब्ल्यूसी सदस्य जरूरत पड़ने पर बगावत भी कर सकता है लेकिन वो कम से कम अपने पैरों पर खड़ा हो पाएगा और उसे जरा-जरा सी बात पर झिड़का नहीं जा सकेगा और उसके पास कुछ शक्तियां और विवेकाधिकार होंगे।
हालांकि एक मत ये भी कहता है कि सीडब्ल्यूसी के चुनाव, कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से पहले कराए जाएं। हालांकि अभी सीडब्ल्यूसी चुनावों की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर, वेणुगोपाल ने कहा था कि इस बात पर स्पष्टता की जरूरत है कि संविधान सीडब्ल्यूसी और अध्यक्ष के चुनाव, एक साथ कराए जाने की इजाजत देता है कि नहीं।