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कांग्रेस के पास 7000 उम्मीदवार, UP Election 2022 में फायदा या सिर्फ खाली बर्तन?

विधानसभा चुनाव के बहाने पार्टी लोकसभा चुनावों की जमीन तैयार करने में जुटी है। कांग्रेस को भरोसा है कि इस बार दलित अल्पसंख्यक मतों के साथ पुराने जनाधार का काफी हिस्सा उसके साथ जुड़ने जा रहा है।
यूपी में कांग्रेस को मिल रही है मजबूती, क्या रंग लाएगी प्रियंका की मेहनत?

उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल दुरुस्त है और अब तो तारीखों का भी ऐलान हो चुका है। इस बार चुनावों से पहले माहौल बनाने के लिए जो ओपिनियन पोल (Opinion Poll ) का सहारा लिया जाता है, उसमें कहा जा रहा है कि भाजपा फिर से सत्ता में वापसी करने वाली हालांकि उसे लगभग 100 सीटों का नुकसान हो रहा है। वहीं समाजवादी पार्टी सत्ता से दूर ही रह जाएगी। लेकिन किसी का भी ध्यान कांग्रेस की तरफ नहीं जा रहा है। सवाल उठना लाज्मी है कि जो प्रियंका गांधी ने कई सालों से जमीन पर काम किया है उसका फल उन्हें मिलेगा या नहीं? सत्ता तो नहीं लेकिन पुनर्जन्म कि तरफ कांग्रेस जा सकेगी या नहीं?

2024 में विपक्ष की राह तय करेगा यूपी चुनाव

यूपी में कांग्रेस का मजबूती से बने रहना उसके लिए यूपी में सरकार बनाने या बिगाड़ने से ज्यादा महत्वपूर्ण है। साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ये जीवन और मरण का सवाल बना हुआ है क्योंकि देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में कांग्रेस की सेहत से ही केंद्र में नरेंद्र मोदी के सामने पार्टी की विपक्षी हैसियत तय होगी। यूपी में कांग्रेस को जो भी आधार मिलेगा, वो तय केरेगा कि केंद्र की राजनीति में मोदी के खिलाफ मजबूत विपक्ष किसी गांधी या वाड्रा के पीछे खड़ा होगा या फिर उनका नेतृत्व क्षेत्रीय नेता के रूप में कोई तीसरी ताकत करेगा?

यूपी में लंबे वक्त बाद ऐसा दिखा है जब कांग्रेस में दीर्घकालिक राजनीतिक योजना पर काम हो रहा है। मोदी 2.0 के बाद से ही कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के लिए पूरा जोर लगाया हुआ है। खासकर यूपी से कांग्रेस और गांधी परिवार को एक ऐसे जनादेश की उम्मीद है जो हिंदी बेल्ट के साथ ही समूचे देश में विपक्षी दलों को बड़ा संदेश देने वाला साबित हो। कांग्रेस के पास कुछ भी खोने के लिए नहीं है और अब तक यूपी प्रियंका गांधी वाड्रा का दूसरा घर बना हुआ है। बाकी चीजों पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन सांगठनिक लिहाज से देखें तो पिछले 2 सालों से कांग्रेस नेताओं की मेहनत रंग लाती दिख रही है।

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25 सालों में सबसे मजबूत कांग्रेस संगठन

ढाई दशकों में ये पहला चुनाव होगा जब हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के विधानसभा टिकट में दिलचस्पी दिखाई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बताया कि अब तक सात हजार पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने विधानसभा चुनाव के लिए टिकट पर दावेदारी पेश की है और चुनाव की घोषणा होने तक संख्या में और इजाफे की उम्मीद है।

पार्टी सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है। पार्टी की योग्यता शर्तों के साथ हर एक सीट पर 10 से 20 दावेदार सामने आए हैं। लल्लू ने दावा किया कि इस बार कांग्रेस यूपी में सभी राजनीतिक पूर्वानुमान ध्वस्त करने जा रही है। पिछली बार कांग्रेस ने 100 सीटों पर गठबंधन में चुनाव लड़ा था और मात्र 7 सीट जीतने में कामयाब रही थी।

बड़े पैमाने पर कांग्रेस का टिकट चाहने वाले क्या फर्क डालेंगे ये देखने वाली बात होगी। फिलहाल कांग्रेस ने आवेदकों के लिए टिकट विंडो बंद कर दी है। लेकिन दावा है कि अभी भी आवेदक आ रहे हैं। जिनकी दावेदारी खुद प्रदेश अध्यक्ष आगे बढ़ा रहे उनका नाम दावेदारों की लिस्ट में शामिल किया जा रहा है। कांग्रेस में दावेदारों की भीड़ को इस लिहाज से अहम है कि प्रत्येक दावेदार से पार्टी कोष में 11 हजार रुपये जमा करने, हर दावेदार को सदस्यता लक्ष्य पूरा करने और बनाए गए सदस्यों के जरिए पार्टी कोष में पांच-पांच रुपये का शुल्क जमा करने जैसी शर्तें पूरी करने को कहा गया था। शर्तें निचले स्तर तक पार्टी के सांगठनिक और आर्थिक ढांचे को मजबूत बनाने के लिए है। कहना नहीं कि प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले अभी भी कांग्रेस का सांगठनिक ढांचा निचले स्तर पर कमजोर है।

महिलाओं की व्यापक हिस्सेदारी

कांग्रेस का मानना है कि मौजूदा विधायकों का टिकट बरकरार रहेगा। उन नेताओं को भी टिकट मिलेगा जो पिछले चुनाव या बाद में हुए उपचुनावों में दूसरे नंबर पर रहें। वैसे चार दर्जन से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस ने अनाधिकारिक रूप से दावेदारों को संदेश देकर संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में भेज दिया है। इनमें प्रियंका के बाद संगठन से जुड़े तमाम पदाधिकारी और नागरिकता कानून में आंदोलन करने वाले चेहरे शामिल हैं। टिकट वितरण में युवाओं, महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदाय का विशेष ख्याल रखा जा रहा है। हालांकि टिकट वितरण का अनुपात क्या होगा ये खुलासा तो नहीं किया जा रहा लेकिन पहले से ही तय है कि इस बार 40 प्रतिशत महिलाओं और बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यक चेहरों को दावेदारी मिलेगी।

कांग्रेस का चुनावी प्लान क्या है?

कांग्रेस सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। अंदरखाने की जानकारी ये है कि पार्टी तीन मोर्चों पर चुनाव की तैयारी कर रही है। पहला मोर्चे के तहत करीब चार दर्जन से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस की नजर है। ये वो सीटें हैं जहां या तो पार्टी के सीटिंग विधायक हैं, या बढ़िया मतों के साथ दूसरे और तीसरे नंबर पर है। कांग्रेस के सबसे क्रीम कैंडिडेट इन्हीं चार दर्जन सीटों पर नजर आएंगे। बाकी की सभी सीटों को पार्टी दो तरह से डील करने की कोशिशें हैं। एक तो ज्यादातर सीटों पर महिलाओं और जातीय धार्मिक भागीदारी के जरिए एक फॉर्मूला सेट करने की कोशिश होगी। इन सीटों से पार्टी को हार जीत की बहुत उम्मीद नहीं है। लेकिन यहां वोट प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश की जाएगी।

भाजपा और विपक्षी गठबंधन से उम्मीद कर रही है कांग्रेस

तो वहीं दूसरा तरीका भाजपा में बड़े पैमाने पर सीटिंग विधायकों के टिकट कटने की आशंका है। उधर, अभी भाजपा और सपा के नेतृत्व में सहयोगियों के साथ साझेदारी साफ नहीं हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि सीटों के बंटवारे में तमाम असंतुष्ट इधर से उधर हो सकते हैं। अलग-अलग पार्टियों से दावेदार निर्वाचन क्षेत्रों में लगातार कैम्पेन कर रहे हैं। लेकिन ये तय नहीं कि कौन सा विधायक किस सीट से कांग्रेस में आएगा।

ये सब अभी अनुमानों का खेल है क्योंकि हर बार चुनाव में नाराज नेता पाला बदल लेते हैं और नाराजगी का सबसे बड़ा कारण टिकट ना मिलना होता है। ऐसे में कांग्रेस कुछ सीटों को खाली रख सकती है ताकि कोई बागी नेता आता है तो उसे टिकट दी जा सके। कांग्रेस को उम्मीद है कि गठबंधनों के सीट शेयरिंग के बाद कई असंतुष्ट उसके काम आ सकते हैं। इसके साथ ही कई बड़े जातिगत नेता भी नाराजगी में पाला बदल सकते हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश, अवध क्षेत्र और बुंदेलखंड में पार्टी की नजरें हैं।

कुल मिलाकर कांग्रेस का मकसद उत्तर प्रदेश में एक ऐसी पहेली को सुलझाना है जिसमें भविष्य में पार्टी के सामने खड़े तमाम सवालों के जवाब खुद निकलकर सामने आए। विधानसभा चुनाव के बहाने पार्टी लोकसभा चुनावों की जमीन तैयार करने में जुटी है। कांग्रेस को भरोसा है कि इस बार दलित अल्पसंख्यक मतों के साथ पुराने जनाधार का काफी हिस्सा उसके साथ जुड़ने जा रहा है।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.