
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। लेकिन कोरोना ने पूरा राजनीतिक खेल बिगाड़ दिया है। जहां कोरोना ने नेताओं को राजनीति करने से रोकने की कोशिश की तो वहीं नेताओं ने नया मुद्दा खोज निकाला। ये थे प्रवासी मजदूर, जी हां प्रवासी मजदूरों पर तो अब सभी की नजरें टिक गई हैं। इन मजदूरों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए हर पार्टी खास कर जिनका नाता बिहार विधानसभा चुनाव 2020 से है पूरा जोर लगा रही हैं। साफ बात कहें तो बिहार चुनाव 2020 में प्रवासी मजदूर समीकरण बना और बिगाड़ सकते हैं। आपको बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में ज्यादातर जीत और हार के बीच का अंतर 30 हजार वोटों का पाया गया था। और जो लोग बिहार वापस लौटें हैं वो मजदूर ज्यादातर दलित और अतिपिछड़े समाज के हैं। खासकर उत्तर पूर्व बिहार के लोग बिहार के बाहर से पहुंचे हैं।
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रिझाने में जुटे दल
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की तैयारी चुनाव आयोग ने तो शुरु कर दी है और सभी दलों ने भी प्रवासियों को रिझाने का काम करना शुरु कर दिया है। क्या भाजपा, क्या कांग्रेस इन मजदूरों को अपना वोटर बनाने की कोशिश में आरजेडी से लेकर जेडीयू भी लगे हुए हैं। आपको बता दें कि अब तक बिहार में 25 लाख से ज्यादा लोग लौट चुके हैं और इन सभी को वोटर बनाने का भी अभियान शुरू हो गया है।
प्रवासी मजदूरों को लेकर देश की इस वक्त सबसे मजबूत पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया है को वो नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के काम के आधार पर वोट करेंगे। महामारी के समय में मजदूरों को बिहार लाना और क्वारंटाइन सेंटर में आर्थिक मदद सरकार द्वारा की गई है, जिससे मजदूर खुश है। अब ये तो पार्टी का दावा लेकिन असलियत क्या है ये जब मजदूर वोट करने जाएगा तो वो बता देगा। वहीं कांग्रेस भी पीछे नहीं है, पार्टी का कहना है कि प्रवासी मजदूर किसे वोट देंगे सबको पता है। वैसी सरकार को कोई क्यों वोट देगा जिनके कारण उन्हें पैदल चलकर बिहार आना पड़ा है। जिनके कारण उन्हें क्वारंटाइन सेंटर में इतनी यातानाएं झेलनी पड़ी हैं। उस सरकार को वो कभी वोट नहीं देंगे।
प्रवासी मजदूरों के मामले पर आरजेडी ने भी बड़ा बयान दिया है। और पार्टी का कहना है कि प्रवासी मजदूर तो हमारे साथ हैं। सरकार ने इन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया था और तेजस्वी यादव की कोशिशों के बाद ही प्रवासी घर वापस आ पाए हैं। हालांकि, जेडीयू ने कहा है कि बिहार सरकार ने प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाया है। उनके लिए रोजगार की व्यवस्था की जा रही है और विपक्ष के आरोपों में कोई दम नहीं है।
हालांकि अब ये तो वक्त ही बताएगा कि ये जो लाखों की संख्या में मजदूर अलग अलग शहरों से अपने घर वापिस लौटे हैं और इतनी परेशानी झेली है तो इसका असर किसको होगा। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में प्रवासी मजदूर वोटर के रूप में तो तब्दील होंगे लेकिन किस पार्टी के लिए संजीवनी बनेंगे वो अभी कहा नहीं जा सकता है। हर पार्टी की तरफ से अपना दावा किया जा रहा है लेकिन वोट बैंक तो ये मजदूर किसी एक का ही बनेंगे।