
टिकटॉक तो एक राजनीतिक हथियार है, इसकी ताकत काफी ज्यादा है। 20 जून को अमेरिका में लड़कों ने टिकटॉक के ही जरिये डोाल्ड ट्रंप की चुनावी रैली को फ्लॉप करा दिया। ये एक बहुत बड़ा सोशल कम्युनिटी ऐप के रूप में देखा जाता है, लेकिन लगतार इस पर जासूसी करने के आरोप लगते रहे हैं। अब आलम ये हो गया कि सरकार को इसे बैन करना पड़ा। अब कहने को तो कहा जा रहा है कि इससे चीन पर हमला किया है, डिजिटल स्ट्राइक हो गई है। एलएसी पर हुए तनाव के जवाब में अगर सरकार ने ये जवाब दिया है तो ये उचित नहीं है। क्योंकि 20 जवानों की शहादत का कर्ज हम इन 59 ऐप्स के बैन से नहीं चुका सकते हैं। इससे कई गुणा ज्यादा कीमती थी, उन जवानों की जान।
आईफोन यूजर्स की जासूसी हो चुकी है
हालांकि सरकार ने भी ऐसा नहीं कहा है कि इसका लेना देना जवानों की शहादत से है। ये तो सोशल मीडिया और सोशल मीडिया से प्रेरित पत्रकारों के कथन है। सरकार ने तो जासूसी, डेटा से जुड़े मामलों में इन 59 ऐप्स को बैन किया है। अभी पिछले हफ्ते ही खबर आयी थी कि टिकटॉक ने भारतीय आईफोन यूजर्स की जासूसी की थी। iPhone के यूजर जब iOS 14 का बीटा वर्जन टेस्ट कर रहे थे, तब टिकटॉक ने फोन में जासूसी की, वो भी बेहद बारीकी से। यूजर फोन पर जो भी लिख रहे थे, साधारण टेक्स्ट हो या पासवर्ड, उसे टिकटॉक कैप्चर करके अपने सर्वर पर डाल रहा था।
जब ये बात सामने आई तो टिकटॉक की पेरेंट कंपनी बाइट डांस ने इसे महज एक बग कहा और सारा दोष गूगल के पुरान सॉफ्टवेयर पर डाल दिया। पिछले दिनों इस तरह की कई बातें सामने आई थी जिसमें टिकटॉक पर इंडियन आईफोन यूजर्स की जासूसी करने का आरोप लगा। जिन ऐप्स को सरकार ने बैन किया है उनमें टिकटॉक के अलावा यूसी ब्राउजर और शेयरइट भी शामिल है। ये तीनों बहुत बड़ी ऐप्स है और इन तीनों को लेकर भारत सरकार की तमाम एजेंसियों ने समय समय पर सरकार से इन्हें बैन करने की मांग की है। जून के पहले हफ्ते में भी ऐसी 42 ऐप्स की सूची सामने आई थी, लेकिन एक्शन इस बार हो गया।
बाकी कंपनियों पर भी जल्द हो एक्शन
हालांकि सरकार ने अभी जिन ऐप्स को बैन किया है वो ज्यादातर सोशल मीडिया की है या उनसे जुड़ी है। लेकिन इसके अलावा और भी कई बड़ी टेक कंपनियां हैं, जिनमें भारी चीनी निवेश है। जैसे ओला कैब्स, स्विगी, पेटीएम, पॉलिसी बाजार, ड्रीम इलेवन, बायजूस, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, जोमैटो, बिग बास्केट, लेंसकार्ट, हाइक इन सबमें चीनी कंपनिया इंवेस्टर है। काफी कंपनियां तो ऐसी भी है जिनमें चीनी कंपनियां लीड इंवेस्टर है और सबसे ज्यादा शेयर लेकर बैठा है। अलीबाबा, टेनसेंट, सेलिंग कैपिटल, टीआर कैपिटल जैसे इंवेस्टर्स ने इन कंपनियों में इंवेस्ट किया हुआ है। तो इन कंपनियों के पास जो भी डेटा है वो सब इन्हीं चीनी कंपनियों की संपत्ति है। आने वाले दिनों में ऐसी कंपनियों पर भी सरकार समेत सोशल मीडिया का फोकस हो सकता है। खासकर जिन कंपनियों में अलीबाबा और टेनसेंट जैसी कंपनियों का निवेश है। सरकार को इन ऐप्स पर भी जल्द ही कोई कदम उठाना चाहिए।