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रिपब्लिक के पत्रकारों का जाग रहा है इमान, छोड़ रहे हैं नौकरियां

रिपब्लिक के लिए इनके ट्वीट काफी कुछ दर्शाते हैं। वहीं जो भी रोज की खबरें है उसके खिलाफ जा कर ये बेरोजगारों और अर्थव्यवस्था की बात कर रहे हैं।
Logic Taranjeet 10 September 2020
रिपब्लिक के पत्रकारों का जाग रहा है इमान, छोड़ रहे हैं नौकरियां

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद सुशांत से भी ज्यादा नाम रिया चक्रवर्ती का चला। किसी ने रिया को चुढ़ैल, विष कन्या, काला जादू करने वाली कहा तो किसी ने बिना सोचे समझे ही जज बन दोषी करार कर दिया।

ये सब काम किया हमारे देश की मीडिया ने, पत्रकारिता जब अपना दम तोड़ रही थी और पूरा देश उसे मरता देख रही थी, तो कुछ लोगों के अंदर से आवाज आई और उन्होंने इस मीडिया से दूरी बनाना सही समझा। सुशांत केस में सबसे ज्यादा तारीफ और बदनामी दोनों झेली है मीडिया ने और उसमें भी रिपब्लिक टीवी ने।

बेशक टीआरपी की जंग में R. भारत बहुत आगे निकल गया हो, लेकिन नैतिकता की और इंसानियत की सारे हदें तोड़ दी है।  ये सिर्फ मैं नहीं कह रहा बल्कि अब तो इस चैनल में काम करने वाले एंप्लॉई भी कह रहे हैं। कुछ लोगों ने अपना अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर किया है, जिसमें सभी ने कहा कि इससे ज्यादा हम नहीं कर सकते थे।

रणविजय सिंह ने किए हमले

रणविजय सिंह एक वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने आज तक, दैनिक भास्कर जैसे सस्थानों में काम किया। पिछले काफी वक्त से इंसाफ के नाम पर रिपब्लिक जो कर रहा है वो इनसे भी सहा नहीं गया। जिस तरह से अपने ट्विटर पर खुल कर विरोध करते नजर आ रहे हैं, वो इस बात को दर्शा रहे हैं कि पत्रकार भी अब शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं और वो भी इस तरह की खबरों से परेशान हो गए हैं।

रिपब्लिक के लिए इनके ट्वीट काफी कुछ दर्शाते हैं। वहीं जो भी रोज की खबरें है उसके खिलाफ जा कर ये बेरोजगारों और अर्थव्यवस्था की बात कर रहे हैं। उन्होंने अपने एक ट्वीट में ये तक लिखा की रिपब्लिक की नौकरी से अच्छा है बेरोजगार रहना।

रिपब्लिक की कर्मचारी का फूटा गुस्सा

 रिपब्लिक की ही एक महिला पत्रकार शांताश्री सरकार ने भी कुछ इसी तरह अपनी कंपनी के खिलाफ पोस्ट किया। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और इस्तीफा देने के बाद अपनी कहानी सोशल मीडिया पर लिखी। उन्होंने पूरी कहानी बताई की किस तरह से रिपब्लिक टीवी पर रिया के खिलाफ एजेंडा तैयार किया जाता था।

जो बात रिपब्लिक के खिलाफ होती थी वो दबा दी जाती थी, अलग अलग तरह की रिसर्च करवाता था। वो अपने पोस्ट में साफ लिखती है कि रिपब्लिक टीवी में पत्रकारिता की मौत हो चुकी है औऱ उन पर दबाव बनाया जाता था कि एक पक्ष की स्टोरी ही निकाल कर लाई जाए, जब वो ऐसा नहीं करती थी तो उनसे लंबे लंबे घंटे काम करवाया जाता था।

पत्रकार को लिया हिरासत में

रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों का हाल तो ये हो गया है कि अब उन्हें पुलिस ने भी हिरासत में लेना शुरु कर दिया है। रिपब्लिक के रिपोर्टर, कैमरामैन, और ड्राइवर को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। पुलिस का कहना है कि वो बिना इजाजत के मुख्समंत्री के फार्म हाउस में घुस रहे थे। इन तीनों लोगों में चैनल के रिपोर्टर अनुज कुमार, कैमरामैन यशपालजीत सिंह और ड्राइवर प्रदीप दिलीप धनवडे का नाम बताया जा रहा है।

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A writer, poet, artist, anchor and journalist.