
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए पीएम केयर्स फंड की शुरुआत की थी। इस लए फंड को प्राइम मिनिस्टर नेशनल रिलीफ फंड की तर्ज पर शुरु किया गया था। हालांकि अभी तक ये समझ नहीं आया कि इसकी जरूरत क्या थी? लेकिन चलो मोदी जी ने किया है तो सही होगा। नाम तो पीएम केयर्स है लेकिन पैसा इसमें सारा जनता का भरा हुआ है। पीएम केयर्स पर पहले से ही विवाद तो चल रहा था लेकिन अब इस विवाद में घी का काम कर दिया है एक आरटीआई ने। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस फंड के बारे में आरटीआई के तहत किसी भी तरह की सूचना देने से ही मना कर दिया है। पीएमओ की तरफ से कहा गया है कि आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत ये फंड पब्लिक अथॉरिटी नहीं है। मतलब पैसा पब्लिक का लेकिन ये प्रॉपर्टी पब्लिक की नहीं है।
दरअसल 1 अप्रैल 2020 को श्रीहर्ष कंदुकुरी नाम के शख्स ने आरटीआई दाखिल कर आवेदन किया था कि फंड से जुड़े ट्रस्ट के दस्तावेज, इसे बनाने और चलाने को लेकर सरकारी आदेश, नोटिफिकेशन, सर्कुलर के बारे में जानकारी दी जाए। जिसके जवाब में बड़ी ही विनम्रता के साथ पीएमओ ने मना कर दिया है कि आपको हम कोई जानकारी नहीं देंगे।
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, कंदुकुरी बेंगलुरू में अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में लॉ के छात्र हैं और उन्होंने कहा कि जब हमारे पास पहले से ही प्राइम मिनिस्टर नेशनल रिलीफ फंड (PMNRF) है, तो एक और फंड की जरूरत मुझे समझ में नहीं आई।
मुझे ट्रस्ट के निर्माण और उद्देश्य को लेकर जिज्ञासा हुई. मैं ट्रस्ट से जुड़े दस्तावेज देखना चाहता था। जब उन्हें 30 दिनों तक कोई जवाब नहीं मिला तो उन्होंने फिर अपील की और इस अपील के बाद 29 मई को पीएमओ की तरफ से जवाब आया। अपने जवाब में पीएमओ ने कहा कि पीएम केयर्स फंड आरटीआई ऐक्ट, 2005 के सेक्शन 2(h) के तहत पब्लिक अथॉरिटी नहीं है। फिर भी पीएम केयर्स फंड से जुड़ी जरूरी जानकारी उसकी वेबसाइट pmcares.gov.in पर देखी जा सकती है।
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आवेदन करने वाले कंदुकुरी का कहना है कि वो फिर आवेदन करेंगे। उन्होंने कहा कि नाम, ट्रस्ट की संरचना, कंट्रोल, राष्ट्रीय प्रतीक का इस्तेमाल, सरकारी डोमेन का इस्तेमाल, हर चीज बताती है कि ये एक पब्लिक प्रॉपर्टी है। प्रधानमंत्री ट्रस्ट के चेयरमैन हैं और तीन कैबिनेट मंत्री इसके सदस्य हैं। ट्रस्ट की बनावट से लगता है कि सरकार का इस पर काफी कंट्रोल है, जिससे ये पब्लिक प्रॉपर्टी हो जाती है।
इससे पहले पीएम केयर्स फंड को लेकर एक ऐक्टिविस्ट विक्रांत तोंगड़ का आरटीआई आवेदन अप्रैल महीने में ही पीएमओ ने खारिज कर दिया था। जिससे ये बात भी बहुत स्पष्ट नहीं है कि दूसरा फंड यानी प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड आरटीआई ऐक्ट के तहत आता है या नहीं। 2008 में सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमिशन (CIC) ने फंड की सूचना सार्वजनिक करने को कहा था लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट की एक बेंच ने अलग-अलग मत दिए थे कि PMNRF ऐक्ट के तहत पब्लिक अथॉरिटी है या नहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मार्च को इस खास पीएम केयर्स फंड की घोषणा ट्विटर के माध्यम से की थी। कोरोना वायरस और ऐसी इमरजेंसी वाली आपदाओं के लिए इसमें डोनेशन दिया जा सकता है। इस खास फंड का फुलफॉर्म The Prime Minister’s Citizen Assistance and Relief in Emergency Situations है। इसके फंड के इस्तेमाल को लेकर विपक्ष ने कई सवाल उठाए थे। पिछले दिनों PMO की तरफ से COVID-19 को लेकर फंड से 3,100 करोड़ रुपए के आवंटन का ऐलान किया गया था। प्रधानमंत्री फंड के ट्रस्ट के चेयरमैन हैं। रक्षा, वित्त और गृहमंत्री भी इसके सदस्य हैं और इसके अलावा प्रधानंत्री तीन प्रतिष्ठित लोगों को बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के लिए नॉमिनेट कर सकते हैं।