वर्तमान समय में यूपी के सबसे चर्चित व्यक्ति का नाम है स्वामी प्रसाद मौर्य। ये किसी कोचिंग का वो लड़का है जो खुद तो ट्यूशन छोड़ रहा है और साथ में 10-12 को और ले गया. आगे कितने जाएंगे पता नहीं। स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में जाने से कांग्रेसी बहुत खुश हो रहे हैं. मतलब फूले नहीं समा रहे हैं. ये कांग्रेस वाले पड़ोसी के घर से आ रही खुशबू सूंघकर अपना पेट भरने के मूड में हैं. काहे भाई, क्यों नाच रहे हो. तुम्हें तो ये सोचना चाहिए कि वो तुम्हारे यहाँ क्यों नहीं आया.
हिंदी पिक्चरों में इस डायलॉग की भरमार है. दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. यानी भाजपा छोड़ दो चाहे जहाँ चले जाओ. खुद की लुंगी संभल नहीं रही और दूसरों के कपड़े फटने पर हंसी आ रही है. वाह रे वाह कांग्रेसियों। Swami prasad maurya के सपा में जाने से जितनी ख़ुशी सपा वालों को नहीं हुई होगी उतनी तो तुम्हें हो रही है. क्योंकि तुम्हें पता है कि तुम्हारे पास तो आना नहीं है इससे अच्छा भाजपा के पास भी न रहे. मतलब सामने वाला कमज़ोर हो जाए तो हमें ख़ुशी होगी चाहे खुद के सर में चालीस टाँके काहे न लगे हों.
वैसे एक बात बताएं पार्टी में रोज़ाना एक गिनती का हिसाब रख लो. सुबह शाम एक काउंटिंग होनी चाहिए की कितने हैं. कहीं ऐसा न हो की खुद की पार्टी से दो चार चले जाएं। अब तुम कहोगे की इतने बचें ही नहीं हैं कि गिनती करें। मतलब हद्द हो गई ये तो. अपने लगातार छोड़कर जा रहे हैं तो उन्हें रोकने और बढ़ाने का प्रयास नहीं हो रहा है बल्कि दूसरी पार्टी छोड़कर एक व्यक्ति किसी दूसरी पार्टी में गया है तो इससे तुम्हें ख़ुशी हो रही है.
swami prasad maurya के समाजवादी पार्टी में जाने से तुम्हें ख़ुशी हो रही है न तो खुश हो लो. वैसे तुम्हारी पार्टी के नेता ऐसा कोई काम कर नहीं रहे हैं कि तुम्हें थोड़ी सी ख़ुशी हो इसलिए दूसरो की ख़ुशी में खुश होने का तरीका बढ़िया है. अब कहोगे की हम तो दूसरों की भलाई चाहते हैं. तो भाईसाब कब तक दूसरों की ख़ुशी में खुश होते रहोगे।
वैसे कांग्रेसियों की इतनी ख़ुशी जायज है क्योंकि छोड़ने शब्द से इन्हें नफरत हो गई है कि ये बराबर गैस भी नहीं छोड़ पा रहे हैं. आए दिन कोई न कोई छोड़ कर जा रहा है इसलिए अब ये छोड़ने वाला शब्द अपनी पार्टी की तरफ से सुनना ही नहीं चाहते हैं और जॉइन करने वाली ख़ुशी कोई इन्हें देना नहीं चाहता।