आमतौर पर भारत में नाथूराम और गाँधी की पूजा करने वालों की कमी नहीं है. कोई गाँधी को राष्ट्रपिता बोलकर सम्मान देता है तो कोई गांधी की हत्या करने वाले गोडसे को देशभक्त बताता है. सोशल मीडिया ने भी इस उन्मादी सोच को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. कई सारे लोग और कई सारे संगठन गोड्से के महिमामंडन में लग गए हैं. काफी समय पहले भी गोड्से की जयंती और पुण्यतिथि मनाने की खबरें आती थी लेकिन उनमें ज्यादा दम नहीं होता है लेकिन इन दिनों तो गोड्से को महानायक और महान स्वतंत्रता सेनानी बताने वालों की बाढ़ सी आ गई है.
इसी के साथ दिलचस्प बात यह है कि गोड्से के समर्थक, प्रशंसक और अनुयायी गांधीजी और नेहरुजी का विरोध करते हैं, उनकी आलोचना करते हैं लेकिन देश के प्रथम गृह मंत्री और लौह पुरुष के नाम से विख्यात सरदार बल्लभ भाई पटेल की शान में कसीदे पढ़ते हैं लेकिन अगर आप गोड्से के बारे में सरदार पटेल के विचारों को जानेंगे तो आपको घोर आश्चर्य होगा. गोड्से समर्थकों के वैचारिक दोगलेपन का भी अहसास हो जाएगा. सरदार पटेल के इस ऐतिहासिक बयान से इस बात का भी पता चल जाता है कि उस दौर में भी बड़ी संख्या में गोड्से के समर्थन मौजूद रहे होंगे.
आतंकवाद की आरोपी और भोपाल लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर आई साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के गोड्से के पक्ष में दिए बयान के बाद की देश में चारों ओर निंदा हुई.
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्रज्ञा के इस बयान के बाद मैं उन्हें कभी माफ नहीं कर पाउंगा. ये अलग बात है कि नरेंद्र मोदी प्रज्ञा पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकें क्योंकि वो भी यह बात अच्छे जानते हैं कि उनके समर्थक गांधी के नहीं बल्कि गोड्से के पुजारी है.
प्रज्ञा ठाकुर ने गोड्से को राष्ट्रवादी और देशभक्त करार दिया था.
30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद 02 फरवरी 1948 को बापू की शोकसभा आयोजित हुई थी. उसमें नेहरु के बाद सरदार पटेल को अपनी शोक संवेदना व्यक्त करनी थी. पटेल जब बोलने के लिए खड़े हुए थें तो उनकी आंखों में आंसूओं की धारा थी. उनकी जबान कांप रही थी. वो कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थें लेकिन मजबूरी थी कि वो कांग्रेस और सरकार के दूसरे बड़े नेता थें.
खुद को संभालते हुए सरदार पटेल ने कहा कि
जब दिल में दर्द भरा होता है तो तब कुछ कहने का दिल नहीं करता. जुबान नहीं खुलती. भाई जवाहर ने सब कुछ कह दिया. मेरी भावनाएं नेहरु के साथ है.
पटेल ने आगे जाकर कहा कि
बापू की हत्या के पीछे हम कह सकते हैं कि यह कुकर्म एक पागल इंसान ने किया है लेकिन मैं यह काम किसी एक पागल व्यक्ति का नहीं मान सकता. देश के गृह मंत्री के तौर पर मैं पक्के तौर पर मानता हूं कि इस पागल इंसान के पीछे कई पागलों का झुंड है. गोड्से के पीछे कितने पागल हैं और जो भी लोग हैं उन्हें मैं पागल कहूं या शैतान कहूं, यह मेरे लिए कहना मुश्किल है.
पटेल ने कहा कि अगर हमारे घर के बच्चे, घर के नौजवान और परिवार का कोई सदस्य भी ऐसे बुरे रास्ते पर चल पड़े तो हमें उनका बहिष्कार करना चाहिए. हमें उन्हें यह समझाना होगा कि ये रास्ता गलत है. इस रास्ते पर चलने वाले लोगों के साथ हम जिंदगी नहीं गुजार सकते.
सरदार पटेल ने नाथूराम गोड्से और उसके समर्थको को कायर करार देते हुए कहा था कि ये लोग सबसे बड़े कायर हैं. इन लोगों ने एक बूढ़े महात्मा पर गोली नहीं चलाई बल्कि इन लोगों ने हमारे देश के मर्म स्थान को गोलियों से लहुलूहान कर दिया है. इस घटना से हिंदुस्तान को जख्म मिला है, उसे भरने में बहुत वक्त लग सकता है. बहुत ही गंदा और बुरा काम हुआ है. गांधीजी की हत्या से ज्यादा बदकिस्मती की बात तो यह है कि हमारे देश के कई लोग और संगठन गोड्से जैसों के समर्थन में खड़े हो गए हैं. कई लोग इसे बहादुरी की घटना बता रहे हैं लेकिन मेरी नजर में यह एक कायराना हरकत है.
सरदार पटेल, जो की भारत के पहले गृहमंत्री थे उन्होंने वास्तव में आरएसएस को लेके अपनी एक चिट्ठी भी लिखी और आरएसएस को बन करने की मांग की
पटेल ने साफ संदेश दिया था कि गोड्से का समर्थन करने वाली ताकतें हिंदुस्तान में हत्यारी और पागलपन से भरी विचारधारा का प्रचार प्रसार करेंगे और हमें इस विचारधारा से निपटना ही होगा. किसी भी हाल में भारत से खून खराबे वाले माहौल को समाप्त करना ही होगा.