उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) एक ऐसा प्रदेश जहाँ की राजनीति जातीय समीकरण (politics caste equation) से ही चलती है जहां जातीय जनगणना की अनदेखी करना किसी भी दल के लिए चुनाव हार का एक प्रमुख कारण बन सकते है इस मुद्दे को ध्यान रखते हुये अखिलेश जी ने जातीय समीकरण की राजनीति को तूल देना व ऐसी जातियां जिनमे समाजवादी पार्टी की गहरी पैठ न रही है उनमें भी सेंध मारने की कोशिश शुरू कर दी है ।
लगातार हर जाति के लोगो को अखिलेश जी ने जिस तरीके से ग्राउंड पर सेट कर उनको अपनी ओर विश्वास दिलाने की कवायद शुरू की है उसका ही परिणाम अब धीरे धीरे हर एक जनसभा में जुटती भीड़ को देखने को मिल रहा है चाहे वो ब्राह्मण समाज से माता प्रसाद पांडेय , अभिषेक मिश्रा , पवन पांडेय , संतोष पांडेय हो या अन्य कोई ब्राह्मण नेता वो हर जिलों में और अपने गृह जनपदों में ब्राह्मणो का एक मजबूत संगठन तैयार कर रहे है , मल्लाह समाज से राजपाल कश्यप और काजल निषाद ये दोनों अपनी तरफ से अपना सम्पूर्ण योगदान अपनी समाज को जोड़ने में लगे हुए है ।
कुर्मी समाज से नरेश उत्तम पटेल , राम प्रसाद चौधरी और लालजी वर्मा सक्रिय है , इंद्रजीत सरोज पासी समाज से , रामकरण निर्मल रजक समाज से , प्रवीण सोनकर खटीक समाज से अपना संपर्क बना रहे है , आरएस कुशवाहा , केशव देव मौर्या , राजेश कुशवाहा , उमाशंकर सैनी लोग पूरे प्रदेश में कोइरी समाज को जोड़ रहे है , पूर्वांचल के राजभर समाज को ओमप्रकाश राजभर , रामअचल जैसे लोग जो राजभर समाज का एक मजबूत नेता माने जाते है वो अपने समाज को साइकिल पर लाने के लिए पूरा मेहनत कर रहे है , पश्चिम में देखा जाए तो जयंत चौधरी जाट व गुर्जर समाज को जोड़ने में कोई कशर नही छोड़ रहे है ,
जातीय समीकरण की राजनीति की बिसात जिस तरीके से अखिलेश जी पूरे प्रदेश में अपने कुशल नेतृत्व व संगठन के बदौलत बिछाए हुए है उसका फ़ायदा आने वाले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश के चुनाव में उनको काफ़ी सुखद व सरल साबित करेगा ।