मीडिया जिसे एक वक्त पर भारत में सम्मान की नजरों से देखा जाता था। मीडियाकर्मी जेल गए हैं, सही को सही कहने और गलत पर सरकारें हिलाने का जिगरा रखने वाला मीडिया आज अपने सबसे गिरे हुए वक्त से गुजर रहा है। रोज मीडियाकर्मियों को गालियां दी जाती है, उन्हें प्रधानमंत्री का चमचा, गोदी मीडिया, चाटूकारों के नाम से बुलाया जाता है। ऐसे में थोड़ी उम्मीद लोगों की बीबीसी जैसे चैनलों से बच गई है कि वहां पर सीधी सच्ची बात होगी। वहां पर सरकार से सवाल किए जाएंगे ना कि उनसे आम खाने का तरीका और नेता की ताकत के राज जाने जाएंगे।
ऐसा ही कुछ हुआ उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के साथ भी। पहली बात तो ये काबिल-ए-तारीफ बात है कि मौर्य साहब ने BBC को इंटरव्यू देने की जरूरत समझी। लेकिन उन्होंने इंटरव्यू बीच में ही छोड़ दिया क्योंकि उन्हें लगा होगा कि शायद उनसे भी गोदी मीडिया वाले सवाल किए जाएंगे लेकिन वहां असल सवाल किए गए और मुद्दा बना धर्म संसद का। जिसे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) ने जायज ठहरा दिया।
ये वही धर्म संसद है जहां से मुसलमानों के जनसंहार की धमकी दी गई थी। लेकिन जब मौर्य सवालों से घिरे और उन्हें एहसास हुआ कि सब बातें गलत बोल गए हैं तो फौरन इंटरव्यू देना बंद कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने माइक फेंक दिया और अपने सुरक्षाकर्मियों को बुलाकर इंटरव्यू की पूरी वीडियो डिलीट करवा दी। लेकिन बीबीसी का कैमरामैन होशियार था, उसने वो पूरा इंटरव्यू एक चिप से रिकवर कर लिया और उस इंटरव्यू को बीबीसी पर चला दिया।
BBC रिपोर्टर ने केशव मौर्य से सवाल की शुरुआत की अखिलेश यादव से। जिस पर केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव पर गुंडाराज-माफियाराज का आरोप लगा दिया। फिर माफिया पर एक्शन, विकास दुबे का एनकाउंटर और मुख्यमंत्री योगी के मथुरा से चुनाव लड़ने से जुड़े कुछ सवाल होते हैं और वो इनके घुमा फिरा कर जवाब देते हैं। लेकिन इसके बाद सुरु होते हैं धर्म संसद को लेकर सवाल। जिसमें रिपोर्टर पूछता है कि हरिद्वार में धर्म संसद के मंच से हिंसा भड़काने वाले बयान दिए जाते हैं लेकिन मुख्यमंत्री चुप रहते हैं। ऐसे में इस तरह के तत्वों को और बढ़ावा मिलता है। क्या आप लोगों को इस संबंध में बयान देकर सभी धर्म के लोगों को भरोसा नहीं देना चाहिए।
.@BBCHindi के सवालों से गुस्साए यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने इंटरव्यू बीच में ही छोड़ा. माइक निकाल कर फेंक दिया और दावा है कि रिपोर्टर का मास्क खींचकर कैमरे से इंटरव्यू भी डिलीट करवाया जिसे बाद में रिकवर किया गया. #UPElections2022 pic.twitter.com/sJ9BlF7Cqx
— Utkarsh Singh (@UtkarshSingh_) January 11, 2022
इस पर केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं कि भाजपा को किसी प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है। हम सबका साथ-सबका विकास में यकीन रखते हैं। आप लोग सिर्फ हिन्दुओं के धर्माचार्यों की ही क्यों बात करते हैं। बाकी धर्मों के धर्माचार्यों ने क्या-क्या बयान दिए हैं, उन पर क्यों नहीं बात करते हैं। जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटने से पहले जो पलायन होता था, आप उस पर बात क्यों नहीं करते है। आप जब सवाल उठाओ तो सवाल एक तरफ के नहीं होने चाहिए। धर्म संसद भाजपा की नहीं है। वो संतो की होती है। संत क्या कहते हैं, ये उनका अपना मामला है।
बीबीसी रिपोर्टर का अगला सवाल होता है कि विवादास्पद यति नरसिंहानंद गाजियाबाद जिले में और साध्वी अन्नपूर्णा तो अलीगढ़ में रहती हैं। ये सब इलाके यूपी में हैं। ये लोग आए दिन भड़काने वाले बयान देते हैं, इन पर यूपी सरकार कार्रवाई क्यों नहीं करती है। इस सवाल पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य तमतमा उठते हैं। वो जवाब में कहते हैं कि कोई माहौल बनाने की कोशिश नहीं करते हैं। जो उचित बात होती है, जो उनके प्लेटफॉर्म में उनको उचित लगती है, वो कहते होंगे।
आप ऐसे सवाल लेकर आ रहे हैं जो राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े नहीं हैं। उन चीजों को मैंने देखा भी नहीं है जिस विषय की आप मुझसे चर्चा कर रहे हैं। लेकिन जब धर्माचार्यों की बात करो, तो धर्माचार्य केवल हिन्दू धर्माचार्य नहीं होते हैं। मुस्लिम धर्माचार्य भी होते हैं। ईसाई धर्माचार्य भी होते हैं। और कौन-कौन क्या बातें कर रहा है उन चार बातों को एकत्र करके सवाल करिए। मैं हर सवाल का जवाब दूंगा। आप विषय पहले बताते तो मैं तैयारी करके आपको जवाब देता।
बीबीसी का रिपोर्टर उसके बाद केशव मौर्य को याद दिलाता है कि भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के मामलों में राजद्रोह के आरोप में केस दर्ज किए गए हैं। लेकिन सवाल खत्म होने से पहले मौर्य कहते हैं राष्ट्रद्रोह अलग विषय है। आप राष्ट्रद्रोह को और जो लोगों के मौलिक अधिकार हैं, उससे मत जोड़िए। भारत में रहकर अगर कोई पाकिस्तान जिन्दाबाद का नारा लगाएगा तो उसे सहन नहीं किया जाएगा। वो निश्चित रूप से देशद्रोही की श्रेणी में आएगा और जरूर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन ये जो धर्म संसद होती है, वो सभी धर्माचार्यों की होती है। सभी सम्प्रदायों की होती है। जिनमें वो अपनी बात कहते हैं।
इसके बाद केशव प्रसाद मौर्य बीबीसी रिपोर्टर से कहते हैं कि वो सिर्फ चुनाव को लेकर सवाल करें। रिपोर्टर अनंत झणाणे ने इस पर कहा कि ये सब चुनाव से जुड़े सवाल हैं। इस पर मौर्य भड़क जाते हैं। वो रिपोर्टर से कहते हैं, आप पत्रकार नहीं किसी के एजेंट लग रहे हैं। इसके बाद वो अपने जैकेट पर लगा माइक निकालकर हटा देते हैं। कैमरा बंद करने को कहते हैं। बीबीसी का कहना है कि उन्होंने अपने हाथ से बीबीसी रिपोर्टर का कोविड मास्क खींच लेते हैं और सुरक्षाकर्मियों को बुलाकर दोनों कैमरों से इंटरव्यू का वीडियो डिलीट करवा देते हैं। हालांकि वो बाद में खेद भी जताते हैं कि ऐसा नहीं होना चाहिए था।
बीबीसी का कैमरामैन डिप्टी सीएम केशव मौर्य, उनके सुरक्षाकर्मियों से ज्यादा होशियार था। उसने दोनों कैमरों की चिप से उस वीडियो को फिर से निकाला और बीबीसी साइट पर चलवा दिया। बीबीसी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से इस संबंध में शिकायत दर्ज कराकर नाराजगी भी जता दी है। हालांकि इसका कोई असर नहीं होगा लेकिन भारतीय मीडिया जगत को एक बार फिर से बीबीसी ने सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। जब तक भारतीय मीडिया खामोश रहेगा और सत्ता पक्ष से सवाल नहीं करेगा तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी।