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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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भाजपा का नया दलित कार्ड IPS असीम अरुण सपा-बसपा के लिए परेशानी

असीम अरुण की भाजपा में एंट्री एक पढ़े-लिखे दलित नेता के तौर पर हो रही है। वो बुंदेलखंड और चंबल रीजन में दलितों को लुभाने में कामयाब हो सकते हैं।
भाजपा का नया दलित कार्ड IPS असीम अरुण सपा-बसपा के लिए परेशानी

उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा के बाद एक सीनियर आईपीएस अधिकारी लोगों की चर्चा में आ गए है। ये अफसर कानपुर के पहले कमिश्नर ऑफ पुलिस असीम अरुण हैं। चुनाव आयोग ने जैसे ही तारीखों का ऐलान किया उसके कुछ देर बाद ही असीम ने फेसबुक पर वीआरएस लेकर राजनीति में उतरने की घोषणा कर दी, इसके बाद से ही सब लोग हैरान है। हालांकि उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में चुनाव लड़ने और किसी सीट का साफ इशारा तो नहीं किया है, लेकिन उनके कन्नौज सदर सीट से भाजपा की टिकट पर मैदान में उतरने के कयास लगाए जा रहे हैं।

कन्नौज में समाजवादी पार्टी को कमजोर करने के लिए भाजपा के काम आएंगे

कन्नौज में समाजवादी पार्टी की मजबूत पकड़ है। हाल ही में यहां के बड़े इत्र कारोबारियों पर छापे के बाद से शहर चर्चा के केंद्र में बना हुआ है। छापेमारी (Raid) के बाद अखिलेश यादव ने यहां एक प्रेस कांफ्रेस की थी और छापेमारी को बदले की कार्रवाई के रूप में समूचे कन्नौज के सम्मान से जोड़ने का प्रयास किया। असीम के आने के बाद यहां पर अखिलेश की योजनाओं पर पानी फिर सकता है। साल 1994 बैच के आईपीएस कन्नौज के ही हैं। उनके पिता श्री राम अरुण भी पुलिस अफसर थे और 2 बार यूपी में डीजीपी के पद पर रह चुके हैं जबकि मां शशि अरुण जानी मानी लेखिका थीं।

असीम ने जिस पत्र के जरिए पुलिस सेवा से संन्यास की घोषणा की उसमें भविष्य की उनकी राजनीतिक योजनाओं की साफ झलक दिखती है। उन्होंने बताया कि सीएम योगी के निर्देश पर राजनीति में काम करने के लिए उतर रहे हैं।

बुंदेलखंड-चम्बल के इलाकों में भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होंगे असीम

असीम अरुण की भाजपा में एंट्री एक पढ़े-लिखे दलित नेता के तौर पर हो रही है। वो बुंदेलखंड और चंबल रीजन में दलितों को लुभाने में कामयाब हो सकते हैं। कन्नौज से उनके चुनाव लड़ने की चर्चा तो इसी बात की ओर इशारा करती है। वहीं भाजपा नए दलित चेहरे के जरिए यूपी के सीमावर्ती इलाकों में दलितों को एक बड़ा संदेश देने की कोशिश कर सकती है।

नई दलित पहचान खड़ा करने की कोशिश

चंबल में जंगली मंगली बाल्मीकि और जीता चमार स्वतंत्रता सेनानी थे। लेकिन स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को भुला दिया गया है। किसी पार्टी ने यहां तक कि बसपा ने भी इनकी सुध नहीं ली। लेकिन इस क्षेत्र में भाजपा भूले बिसरे दलित सेनानियों को भुनाने का प्रयास करने की कोशिश कर सकती है। हो सकता है कि ये सब पूर्व आईपीएस अफसर के जरिए ही करने की योजना हो।

इससे यूपी के शेष इलाकों में भी असीम को भाजपा के व्यापक दलित हिंदू नेता के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी। ऐसा मान लेना चाहिए कि रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाए जाने के बाद असीम को भाजपा बड़ी योजना के तहत राजनीति में लॉन्च करने जा रही है। असीम की लॉन्चिंग सपा के साथ बसपा के लिए भी परेशानी का सबब बन सकती है।

हालांकि असीम कितना प्रभावी होंगे ये अभी नहीं कहा जा सकता है। लेकिन उन्होंने जो सार्वजनिक जानकारी साझा की है उसमें ये तो साफ हो गया है कि एक दलित नेता की हैसियत से भाजपा के लिए काम करेंगे। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में सीधे-सीधे अपनी जाति और योजनाओं का उल्लेख तो नहीं किया लेकिन तमाम बातों के साथ लिखा कि आईपीएस की नौकरी और अब ये सम्मान, सब बाबा साहब अंबेडकर द्वारा असवर की समानता के लिए रचित व्यवस्था के कारण संभव है। मैं उनके उच्च आर्दशों का अनुसरण करते हुए अनुसूचित जाति और जनजाति एवं सभी वर्गों के भाइयों और बहनों के सम्मान, सुरक्षा और उत्थान के लिए कार्य करूंगा। मैं समझता हूं कि ये सम्मान मुझे मेरे पिता जी स्व. श्रीराम अरुण जी एवं माता स्व. शशि अरुण जी के पुण्य कर्मों के कारण मिल रहा है। उनकी पुण्य आत्माओं को शत-शत नमन।

पोस्टरबॉय की तरह बन सकते हैं असीम?

ध्रुवीकरण की राजनीति के दौर में व्यापक हिंदू एका के सिद्धांत में असीम का चेहरा पूरी तरह से फिट बैठता है। यूपी भाजपा ने पिछड़ी जातियों का एक बड़ा तबका अपने साथ जोड़ने में कामयाबी पाई है लेकिन अभी तक दलित समुदाय के मतदाताओं में बड़ी सेंधमारी करने में कामयाबी नहीं मिली है। असीम एक जरिया बन सकते हैं।

सोशल मीडिया पर उनकी बहादुरी के जो किस्से साझा किए जा रहे हैं उनमें सबसे ज्यादा इसी बात का उल्लेख भी किया जा रहा है कि कैसे असीम के नेतृत्व में आतंकी सैफुल्लाह को मारा गया था। सैफुल्लाह आईएसआईएस का आतंकी था और असीम को देश की पहली जिला स्तरीय स्वॉट गठित करने के लिए जाना जाता है। इन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सुरक्षा दस्ते और सीबीआई के लिए भी काम किया है। साथ ही यूपी डायल 112 को भी हेड किया है।

सोशल मीडिया पर सवाल भी हो रहे हैं असीम को लेकर

हालांकि सोशल मीडिया पर एक वर्ग असीम अरुण पर सवाल भी उठा रहा है। असीम के राजनीतिक झुकाव की वजह से लोगों ने एक ईमानदार अफसर के रूप में उनकी निष्पक्षता पर तंज कसा है। ये कहा जा रहा है कि पुलिस अफसर के रूप में उन्होंने पार्टी वर्कर की तरह काम किया और अब इसी के पुरस्कार स्वरूप राजनीति में उनकी लॉन्चिंग हो रही है। इसे इस बात से जोड़कर देखा जा रहा है जब शुरु से ही असीम का झुकाव भाजपा की तरफ रहा है तो उन्होंने अपने सारे फैसलों में भी भाजपा की मदद की होगी और एक निष्पक्ष अधिकारी के रूप में काम नहीं किया होगा।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.