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क्या अखिलेश के लिए ब्राह्मण सजाएंगे मुख्यमंत्री का ताज?

ब्राह्मण समाज योगी सरकार बनने के बाद से ये आरोप लगाता आ रहा है कि वो ठाकुरों की सरकार है और ब्राह्मणों के लिए कुछ खास नहीं किया है।
क्या अखिलेश के लिए ब्राह्मण सजाएंगे मुख्यमंत्री का ताज?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) में जाति और धर्म का कितना अहम योगदान होता है, इस बात से कोई अनजान नहीं है। इस बार उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वोट के लिए हर कोई लड़ रहा है। जहां एक तरफ माना जा रहा है कि ब्राह्मण समुदाय भारतीय जनता पार्टी से नाराज चल रहे हैं, तो वहीं इसका फायदा समाजवादी पार्टी उठाने में लगी है। अखिलेश यादव चुनाव से पहले ब्राह्मणों को अपने पक्ष में लाने की तरफ कर रहे हैं। ऐसे में राजधानी लखनऊ के गोसाईगंज में लगाई गई भगवान परशुराम मूर्ति और 68 फीट उंचे फरसे का अखिलेश ने अनावरण किया। इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने परशुराम की पूजा अर्चना की और आशीर्वाद लेकर चुनावी बिगुल फूंका।

अखिलेश यादव ने एक हाथ में भगवान परशुराम का फरसा तो दूसरे हाथ में भगवान श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र को लेकर ब्राह्मण समाज से समाजवादी पार्टी की सरकार बनाने का आह्वान किया। इसके साथ ही पूर्वांचल के ठाकुर बाहुबलियों के नाम लिए बिना इशारों-इशारों में भाजपा की योगी सरकार के कठघरे में खड़ा करने से भी वो नहीं चूके।

वैसे भी ब्राह्मण समाज योगी सरकार बनने के बाद से ये आरोप लगाता आ रहा है कि वो ठाकुरों की सरकार है और ब्राह्मणों के लिए कुछ खास नहीं किया है। बल्कि योगी आदित्यनाथ ने कई ब्राह्मण नेताओं के खिलाफ मुकदमे भी बनाएं थे, जिनकी वजह से वो सरकार के खिलाफ हो चुके हैं। इसी का फायदा उठाकर अखिलेश सत्ता में वापसी करने का सपना देख रहे हैं। जिस तरह से भगवान परशुराम के बहाने अखिलेश सूबे में ठाकुर बनाम ब्राह्मण की सियासी बिसात बिछा रहे हैं, वो भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।

भगवान परशुराम की मूर्ति का अनावरण किया

अखिलेश ने भगवान परशुराम की मूर्ति का अनावरण किया और इसके बाद उन्होंने ब्राह्मण समाज से कहा कि सूबे में जब समाजवादी पार्टी की सरकार बन जाने के बाद भगवान परशुराम जयंती की छुट्टी फिर से शुरु कर दी जाएगी। जिसे भारतीय जनता पार्टी ने सरकार में आते ही खत्म कर दिया था। साथ ही उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि ब्राह्मण समाज जिस पार्टी के साथ रहता है, सरकार उसी पार्टी की बनती है और इस बार ब्राह्मणों ने तय कर लिया है कि समाजवादी पार्टी के साथ रहना है और सरकार बनानी है, तो हमारी सरकार बनने से कोई नहीं रोक सकता है।

भगवान परशुराम की मूर्ति की स्थापना और मंदिर के सामने फरसा लगवाने वाले सपा के नेता और पूर्व विधायक संतोष पांडे ने कहा कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगवान परशुराम के दर्शन करने यहां पहुंचे। ब्राह्मण समाज के साथ प्रदेश के सभी समाज बहुत खुश हैं कि लखनऊ में भगवान परशुराम का दिव्य मंदिर बना है। ऐसे में निश्चित रूप से यूपी का ब्राह्मण समाज 2022 चुनाव में सपा के पक्ष में एक तरफा वोट करेगा, क्योंकि भाजपा ने ब्राह्मणों को ठगने का काम किया है।

भाजपा को अखिलेश ने माफियाओं के बहाने घेरा

वहीं अखिलेश यादव भगवान परशुराम के बहाने ब्राह्मण को सियासी हवा देने से भी चूके नहीं। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा अगर अपराधी और माफिया किसी पार्टी में हैं तो वो भाजपा में ही है। हमारे बाबा मुख्यमंत्री अभी तक माफियाओं की सूची जारी नहीं कर पाए। अखिलेश ने कहा कि मेरा सवाल ये है कि माफियाओं की लिस्ट क्यों नहीं जारी की जा रही है? अखिलेश यादव ने कहा कि बनारस, जौनपूर, चंदौली, गाजीपुर का माफिया कौन है? भदोही से लेकर सोनभद्र और गाजीपुर तकमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ठाकुर कौन माफिया है और सरकार न तो उनकी सूची जारी कर रही है और न ही उन पर किसी तरह की कार्रवाई कर रही है। इसी कारण जनता को सरकार और प्रशासन की तरफ से कोई न्याय नहीं मिल पा रहा है।

वहीं सपा नेता ने योगी आदित्यनाथ पर जातिवाद का आरोप लगाया और कहा कि योगी आदित्यनाथ दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यकों के घर तोड़ देते हैं लेकिन अपनी जाति वाले माफियाओं पर बूल्डोजर नहीं चलते हैं? प्रदेश के सारे टॉप माफिया आज भाजपा में हैं। इसलिए योगी यूपी के माफियाओं की सूची जारी नहीं करते हैं।

क्यों माफियाओं की लिस्ट जारी नहीं करती योगी सरकार

दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ठाकुर समाज से आते हैं, इसलिए विपक्षी दल खास तौर से अखिलेश यादव इन माफियाओं के बहाने भारतीय जनता पार्टी और योगी सरकार को घेर रहे हैं। साथ ही इशारों में ये भी कह रहे हैं कि योगी सरकार में ठाकुर माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। अखिलेश ने कहा कि आप आंकड़े निकाल लो और देख लो कि अगर आज जो खुले में माफिया घूम रहे हैं तो वो भाजपा की ही देन है।

पूर्वांचल में ठाकुर बनाम ब्राह्मण की सियासी टकरार जगजाहिर है। ऐसे में योगी और भाजपा को घेरने के लिए सपा और अन्य विपक्षी दल इसे ही सबसे बड़ा हथियार बना रहे हैं। ऐसा माना जा सकता है कि इससे अखिलेश यादव ब्राह्मण वोट बैंक पर ध्यान दे रहे हैं क्योंकि यूपी में लगभग 12 फीसदी ब्राह्मण आबादी है। और ब्राह्मणों को अपने पाले में लाकर पूर्वांचल में यादव, मुस्लिम, राजभर और अतिपिछड़ी जातियों के सहारे सत्ता में वापसी करने का प्लान है।

वैसे भी यूपी में ब्राह्मण की संख्या ठाकुर समाज के वोटों से ज्यादा है। साल 2017 में ब्राह्मण समाज ने एकजुट होकर भाजपा को वोट दिया था, लेकिन सत्ता में आने पर योगी आदित्यनाथ को भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री बना दिया गया था। ऐसे में अब 2022 में ब्राह्मणों को अपने पाले में लाने के लिए सपा, बसपा समेत सभी विपक्षी दल जुटे हैं। तो वहीं भाजपा भी उन्हें अपने साथ रखने की कोशिश में हैं।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.