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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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पति-पत्नी के बीच एक ही सीट पर दावेदारी से सरोजनीनगर की सियासत हुई दिलचस्प

लखनऊ के सरोजनीनगर विधानसभा के सीट से बीजेपी में पति दयाशंकर सिंह और पत्नी स्वाती सिंह की एक ही सीट पर दावेदारी से वहाँ के सियासत का समीकरण दिलचस्प हो गया है ।
पति-पत्नी के बीच एक ही सीट पर दावेदारी से सरोजनीनगर की सियासत हुई दिलचस्प

उत्तर प्रदेश के सियासत में हर रोज कुछ नया देखने को मिल रहा है उसी क्रम में आगे बढ़ते हुए उत्तर प्रदेश की सियासत में अब दिलचस्प मोड़ में आ खड़ी हुई है सभी सीटों पर सियासत तो गर्म है ही लेकिन लखनऊ के सरोजनीनगर के सियासत को सुनकर सब हतप्रभ है ।

पति पत्नी दोनों की एक ही सीट पर दावेदारी

लखनऊ के सरोजनीनगर विधानसभा सीट से बीजेपी में पति पत्नी की एक ही सीट पर दावेदारी से वहाँ के सियासत का समीकरण दिलचस्प हो गया है । सरोजनीनगर सीट पर जहाँ एक ओर स्वाती सिंह (Swati Singh)) बीजेपी से विधायक है तो वही दूसरी ओर बिजेपी में उनके पति दयाशंकर सिंह (Daya Shankar Singh) प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर विराजमान है ।

सरोजनीनगर विधानसभा सीट में पिछले कुछ महीनों से दावेदारी वाली उनकी बैनर पोस्टर लगातार देखने को मिल रही है जो इस वक्त आचार सहिंता की वजह से नही दिख रही है , पिछले कुछ महीनों के अहम तारिको पर दयाशंकर सिंह के मौजूदगी वाले बाइक जुलूस , पैदल यात्राओं , और जनसंपर्क के अभियानों से दावेदारी की अटकलें और तेज हुई है , हालांकि उन्होंने कुछ दिन पहले मीडिया से मुख़ातिब होते हुए साफ़ साफ़ संकेत दिए है कि अगर संगठन उनको चुनाव लड़ायेगा तभी वो चुनावी समर में अपना दाव आजमाएंगे ।

स्वाती सिंह को दुबारा टिकट मिलना मुश्किल

उनकी इस दावेदारी से उनकी पत्नी स्वाती सिंह  को दुबारा टिकट मिलने पर संशय दिख रहा है लेकिन देखना यह भी जरूरी है कि जिस सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को काफ़ी मुश्किलें दिख रही थी , उस विधानसभा को जीतकर स्वाति सिंह ने अपनी सामाजिक लोकप्रियता व राजनीतिक प्रबलता को दिखाया भी जिसका पुरस्कार बीजेपी ने उन्हें मंत्रिमंडल में जगह देकर उन्हें दिया था , जिसका राजनीतिक फ़ायदा लेते हुए उन्होंने अपने विधानसभा में अपने कार्यकाल में काफी कार्य भी किया और विधायक निधि को भी पूरी तरह से खर्च कर खुद को जनता का हितैषी भी दिखाया जिससे उनका पार्टी में कद औऱ भी मजबूत हुआ है ।

अब देखना दिलचस्प यह होगा कि भाजपा परिवारवाद को दूर रखते हुए पति पत्नी में से किसी एक को टिकट देती है या दोनो को टिकट देकर परिवारवाद को बढ़ावा देती है