नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों के बाद मोदी के शपथग्रहण में नितीश कुमार ने कई सवाल खड़े किये| इसके बाद कहा जाने लगा कि अब नितीश एनडीए छोड़ने वाले हैं| हालाँकि उन्होंने ऐसा नहीं किया| प्रशांत किशोर बीजेपी की धुर विरोधी ममता दीदी के पास जा बैठे हैं, ऐसे में नितीश मुश्किल भंवर में हैं, वो आखिर अपने चाणक्य को चुने या बीजेपी को?
दरअसल नितीश कुमार अब बीजेपी से संतुष्ट नहीं है| भले ही उन्होंने ये कहा हो कि वो आगामी विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ लड़ेंगे लेकिन अंदर ही अंदर वो जानते हैं कि पूर्ण बहुमत दल प्राप्त बीजेपी कभी भी उन्हें नकार सकती है| उन्हें नकारने का सबसे बड़ा कारण बन सकते हैं प्रशांत किशोर जो कि ममता बनर्जी को फिर से जिताने की प्लानिंग कर रहे हैं| खबरें हैं कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में ममता दीदी के लिए प्रशांत ही प्लानिंग बनायेगे| इससे पहले वो 2014 लोकसभा में मोदी, पंजाब में कैप्टन, बिहार में नितीश और आंध्रप्रदेश में जगन को जिता चुके है| तो ऐसे रणनीतिकार को भला कौन छोड़ना चाहेगा| तो वही बीजेपी को भी छोड़ना मुश्किल है क्योकि उसका जनाधार बहुत मजबूत है और उसके दमपर ही इस बार नितीश बिहार की सत्ता में वापिस आयेंगे|
नितीश कुमार अब एक ऐसे भंवर में फंस चुके है जहाँ से उन्हें निकलना आसान नहीं होगा| प्रशांत किशोर को जेडीयू के वारिश के रूप में भी देखा जाता है| ऐसे में अगर प्रशांत को छोड़ते हैं तो पार्टी का भविष्य खतरे में आ जाता है| तो वही अगर बीजेपी को छोड़ते हैं तो आगामी विधानसभा चुनाव जीतना मुश्किल है|
बीजेपी इस बात को अच्छे से जानती हैं कि प्रशांत किशोर में गजब की चुनावी समझ है| प्रशांत किशोर के पास दुनियाभर का डेटा है और चुनाव जिताने वाली एक माहिर टीम है| ऐसे में कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि प्रशांत किशोर जिस स्कूल के स्टूडेंट हैं अमित शाह उस स्कूल के प्रिंसिपल है| भले ये कहके बीजेपी ने खुद को बड़ा बता दिया लेकिन किशोर की समझ को वो कम नहीं आंक सकते| ऐसे में नितीश पर ये दवाब बनाया जाएगा कि वो प्रशांत किशोर को रोकें| अगर नहीं रोकते हैं को एनडीए से बाहर चले जाएँ|