लोकसभा चुनाव 2019 की रणभेरी बज चुकी है। सभी सियासी दलों के सूरमा अपनी अपनी चालें चलना शुरू कर चुके हैं। दो खेमों की लड़ाई में तीसरा पक्ष बड़ी भूमिका अदा करने वाला है। दो योद्धाओं में मुकाबला होने वाला है। एक होंगे निवर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सामने होंगे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी। इसी बीच कांग्रेस की ओर से एक बड़ी खबर आई है जिसने भाजपा और आरएसएस की बेचैनी बढ़ा दी है।
ऐसी सूचना मिली है कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह इस बार पंजाब की अमृतसर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी नेतृत्व से यह पेशकश की है कि मनमोहन को लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया जाए।
मनमोहन सिंह के साथ एक पंक्तियां बड़ी हिट बैठती है कि ” जाने वाले तेरी याद आती है जाने के बाद “। जब मनमोहन पीएम थें तो उन पर नाकामियों के ढेर सारे आरोप लगते थें। विशेष तौर पर नरेंद्र मोदी, अरविंद केजरीवाल, अन्ना हजारे, रामदेव आदि ने मनमोहन सिंह की छवि को बिगाड़ने में बड़ा रोल निभाया।
भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल आन्दोलन के दरम्यान अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल ने तो बाकायदा मनमोहन सिंह को कोयला चोर तक करार दिया। इससे मनमोहन की इमेज को धक्का पहुंचा और कांग्रेस को बड़ी हार का मुंह देखना पड़ गया।
मनमोहन पीएम नहीं रहे और मोदी उनकी जगह आ गए। बहुत सारे मुद्दों जैसे रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, अर्थव्यवस्था आदि के क्षेत्र में लोग उनके कार्यकाल को आज तक याद करते हैं।
कांग्रेस की जनसम्पर्क कमिटी ने यह कहा है कि वैसे तो डॉ मनमोहन सिंह की अवस्था काफी वृद्ध हो चली है लेकिन नए उम्र के वो छात्र एक बार फिर से मनमोहन को पीएम के रूप में देखना चाहते हैं। अपने घर से बाहर रहकर सरकारी नौकरी की तैयारियों में जुटे छात्रों को लगता है कि अगर मनमोहन पीएम बनते हैं तो एक बार फिर से सरकारी क्षेत्र में नौकरियों की बहार आ सकती है। मालूम हो कि मनमोहन सिंह के शासनकाल में जॉब की बहार थी जो मोदी सरकार में गायब सी हो गई।
कांग्रेस को लगता है कि अगर एक बार फिर से मनमोहन सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाए तो कांग्रेस को करोड़ों वोटों का बैठे बिठाए फायदा हो सकता है, इसीलिए मनमोहन सिंह को लोकसभा चुनाव में उतारा जा रहा है।
जिस तरह के आंकड़े सामने आ रहे हैं उससे साफ है कि देश में एक बार फिर गठबंधन की सरकार आने जा रही है।
यूपीए को बाहर से समर्थन देने वाले सहयोगी राहुल गांधी के नाम पर असहमत हो सकते हैं, ऐसे में मनमोहन सर्वश्रेष्ठ विकल्प साबित हो सकते हैं।
इसके अलावा मनमोहन के नाम पर कांग्रेस को पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, दिल्ली, चंडीगढ़ में बड़ी बढ़त मिल सकती है। इसके साथ ही सिक्ख समुदाय का बड़ा समर्थन भी कांग्रेस के साथ जा सकता है। यही वजह है कि मनमोहन एक बार पुनः देश की राजनीति के केंद्र में आ चुके हैं।