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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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हिन्दुओं की खोखली राजनीति वाली कांग्रेस ने कब कब लिखी झूठी भगवा आतंक स्क्रिप्ट

Politics Tadka Nikita Tomar 22 February 2019
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कांग्रेस हमेशा से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा के खिलाफ रही है…देश में किसी भी प्रकार की कोई भी अमान्य घटना हो तो कांग्रेस की उंगली हमेशा संघ की और रहती है…आखिर क्यों ? संघ पर हमेशा उंगली उठाना बिना किसी ठोस सबूत के ये किसी भी राजनीतिक पार्टी को शोभा नहीं देता…आप किसी की विचारधारा से सहमत और असहमत हो सकते हैं लेकिन किसी को आतंकवाद कहना कहां तक सही है…और वो भी तब जब हिंदुस्तान में रह रहे हैं आप…और हिंदूवादी संगठन को आतंक का नाम देना क्या उचित है? आइये जानते हैं कांग्रेस ने कब कब और किस तरह से हिन्दू संगठनों को भगवा आतंकवादी संघठन का नाम देते हुए भगवा आतंक की झूठी स्क्रिप्ट लिखी है .

आज़ादी से पहले से कांग्रेस के आरएसएस पर आरोप-

कांग्रेस हमेशा से ही आजादी के पहले से हिंदूवादी संगठन आरएसएस पर आरोप लगाती रही है…वह शुरू से ही उसकी विचारधारा के खिलाफ रही है…हर समय कोई न कोई कांग्रेसी नेता संघ के खिलाफ बयान देता मिल जाएगा…इससे साफ साबित होता है कि कांग्रेस को संघ आधी आंख भी नहीं भाता…लेकिन क्या पसंद- नपसंद इस बात का आपको राइट देती है कि आप एक हिंदुवादी संगठन को आतंकवाद की संज्ञा दे सकें…इसके क्या मायने हो सकते हैं क्या आप इसके आड़े किसी गलत शक्तियों पर पर्दा डालने की कोशिश नहीं कर रहे…देश में अराजकता फैलाने का काम तो आपके बयान ही कर जाते हैं जब आप एक हिंदूवादी देश में रहकर उसी पर सवाल उठाते है…

महात्मा गाँधी हत्याकांड-

दरअसल कांग्रेस राजनीतिक और संघ के प्रति इसी विचारधारा के तहत ही महात्मा गांधी की हत्या में आरएसएस को घसीटा गया था…आपको पता हो कि जब गांधी जी की हत्या की पहली रिपोर्ट दर्ज कराई गई वह तुगलक रोड थाने में दर्ज कराई गई…इस FIR में दिनांक 30 जनवरी, 1948 के  समय शाम 5:45 बजे तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कहीं कोई जिक्र नहीं है…लेकिन गांधीजी की हत्या के बाद ही तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने भाषणों में गांधी हत्या के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को दोष देना शुरू कर दिया था… इस बात से साफ तौर पर जाहिर होता है कि नेहरू आरएसएस के संबंध में पूर्वाग्रह से ग्रसित थे…और उन्हें तत्कालीन वामपंथी विचारकों/नेताओं द्वारा लगातार संघ के प्रति भड़काया जा रहा था…इसी के चलते पंडित नेहरू ने संघ को हत्यारा घोषित करने के लिए जबरजस्त प्रयास किए और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने भड़काऊ भाषणों के जरिए संघ से संबंध रखने वालों को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया…कई जगह पर आगजनी करवाई, संघ के कार्यालयों में पथराव करवाया, लेकिन संघ ने इसका सामना किया और उस समय अहिंसा का प्रमाण दिया…जिसके बाद गांधी हत्या में देशभर में अनेकों गिरफ्तारियां हुई लोगों के यहां छापेमारी हुई, कई गवाहियां भी हुई…

जिससे धीरे-धीरे ये साबित होने लगा कि गांधी जी की हत्या में संघ का कोई हाथ नहीं है…और कांग्रेस को मूंह की खानी पड़ी…बाद में भी कई बार फिर से इस मुददे को उठाने के कई बार प्रयास किए गए…लेकिन कांग्रेस संघ के प्रति हमेशा झूठी खूनी स्क्रिप्ट लिखती गई…और यही आज तक होता आ रहा है…ये सिलसिला वहीं नहीं थमा बल्कि नेहरू जी के बाद उनकी पार्टी ने लगातार ये प्रयास जारी रखे…और सभी कांग्रेसी नेता वामपंथी विचारधारा के संक्रमण का पूरी तरह से शिकार हो गए…

चार मीनार बम धमाका –

जिसके बाद देश में होने वाले सभी बम ब्लास्ट में चाहे वह मुंबई बम धमाका हो या फिर कोई भी आपत्तिजनक घटना में कांग्रेस की उंगलिया संघ पर ही टिकी रही…18 मई 2007 में हैदराबाद की चार मीनार के पास स्थित मस्जिद के वख़ुखाने में जब धमाका हुआ तो इसमें धमाके में 58 लोग घायल हुए और 9 लोग मारे गए…इस धमाके में पहले चरमपंथी संगठन के हरकत उल जमात-ए-इस्लामी पर इंजाम लगे…लेकिन तीन साल बाद इस धमाके में नया खुलासा हुआ और स्वामी असीमानंद को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया…और साथ ही इस धमाके का अभियुक्त “अभिनव भारत” संगठन से जुड़े असीमानंद सहित अन्य लोकेश शर्मा, देवेंद्र गुप्ता और आरएसएस की साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बनाया गया…बहरहाल कोर्ट ने मामले में सबूत न मिलने पर सभी को बरी भी कर दिया…लेकिन केवल यही एक ब्लास्ट ऐसा मामला नहीं है जब कट्टर दक्षिणपंथी संगठनों पर आतंक फैलाने के आरोप लगे हो…

अजमेर शरीफ ब्लास्ट

11 अक्तूबर 2007 को अजमेर शरीफ दरगाह के पास एक बड़ा बम धमाका हुआ जिसमें 3 लोग मारे गए और 17 लोग घायल हुए…इसपर भी कांग्रेस ने उंगलिया उठाना बंद नहीं किया और राजस्थान से तत्कालीन गृहमंत्री शांति धारीवाल ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगा डाला…और कहा कि बीजेपी को इसकी पूरी जानकारी थी…लेकिन संघ (RSS) के लोग इस धमाके में शामिल थे इसलिए बीजेपी सरकार आंख मूंद कर बैठी रही…इस समय भगवा आतंकवाद का दौर चालू हो गया…कांग्रेस ने इस शब्द को बढ़ावा दिया…हालांकि इस मामले में स्पेशल एनआईए कोर्ट ने मुख्य अभियुक्त रहे असीमानंद औऱ अन्य पांचों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया…औऱ 2007 में मारे जा चुके संघ प्रचारक सुनील जोशी, भावेश पटेल और देवेन्द्र गुप्ता को इसका दोषी ठहराया..संघ प्रचारक सुनील जोशी की हत्या 2007 में की गई थी…इसकी जांच NIA को सौंपी गई…इस जांच का उद्देश्य देश में उस वक्त कथित “भगवा आतंकवाद” के आरोपों की जांच करना था… जोशी की हत्या के मामले में संघ से जुड़ी प्रज्ञा ठाकुर सहित अन्य लोगों पर मामला दर्ज हुआ औऱ इन सभी के खिलाफ हत्या करने, सबूतों को छुपाने और आर्म्स एक्ट के तहत मामला पंजीकृत किया गया…हालांकि जोशी हत्या मामले में देवास कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सहित आठों अभियुक्तों को बरी कर दिया…

लगातार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, अभिनव भारत के सदस्य स्वामी असीमानंद पर आरोप लगते रहे…यानि देश में जो भी गतिविधियां होती रही उन सब में सबसे पहले इनका नाम आना तय था…

समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट

दिल्ली से पाकिस्तान के लाहौर जा रही समझौता एक्सप्रेस में जब बम धमाका हुआ तो इस धमाके में 68 लोगों की मौत हुई…यह एक बड़ा बम धमाका था जिसने पूरे देश को हिला दिया और दोनों ही देशों में इस धमाके की कड़ी निंदा हुई…हरियाणा ने इस केस की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया…और पहली गिरफ्तारी में मप्र. इंदौर के दो संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया गया…और फिर हैदराबाद की मक्का मदीना, अजमेर शरीफ दरगाह और मालेगांव बम धमाकों के तार एक-दूसरे से जुड़े बताए गए और इसी के चलते फिर से अभिनव भारत के स्वामी असीमानंद सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया गया…SIT का कहना था कि ये सभी आरोपी गुजरात, जम्मू और वाराणसी के मंदिरों में हुए इस्लामी आतंकवाद से दुखी थे इसलिए बम का बदला बम से लेना चाहते थे…

इस मामले में सभी विपक्षी दलों ने संघ और बीजेपी पर आरोपों की झड़ी लगा दी…यहां तक की मायावती ने ये तक कह डाला कि आरएसएस देश के टुकड़े करना चाहता है…और आरजेडी ने तो मामला गरम देख इसपर रोटी सैंकने की भी कोशिश की और संघ प्रमुख मोहन भागवत की गिरफ्तारी की भी मांग कर डाली…एक मैंगजीन में ये खुलासा किया गया कि धमाके की मंजूरी मोहन भागवत ने दी थी…इसके बाद कांग्रेस को संघ पर एक बार फिर हमला करने का मौका मिल गया…और कांग्रेस ने जमकर संघ के खिलाफ बयानबाजी की…

हालांकि इस मामले में सरकारी अधिकारियों की गवाही अभी जारी है…और मुख्य अभियुक्त असीमानंद जमानत पर रिहा है…

मालेगांव धमाका

29 दिसंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए ब्लास्ट से 7 लोगों की मौत हुई थी…इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित पर आरोप लगे थे…जिसमें दोनों को जमानत मिल चुकी है…लेकिन जब कर्नल की जमानत को लेकर मामला गरम था तब कांग्रेस ने हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों को बचाने का आरोप लगाया…और बीजेपी सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया था…इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने ट्वीट भी किया और कहा कि सारे ब्लास्ट के केसों में बीजेपी संघ से जुड़े लोगों को बचा रही है…

दिग्विजय सिंह कई बार संघ पर साफ तौर पर आरोप लगाते रहे हैं यहां तक की वे ये भी कह चुके हैं कि जितने भी बम धमाके हुए उन सभी के पीछे संघी विचारधारा है…ये कहना उनका उपरोक्त ट्वीट से भी साबित होता है…और तो और दिग्विजय सिंह संघ पर बम बनाने के आरोप भी लगा चुके हैं…बता दें कि 2013 में कुक्षी में हुए कांग्रेस सम्मेलन में दिग्विजय सिंह ने बयान दिया की RSS बम बनाने वाली फेक्ट्री चला रहा है…ताकि देश में आतंकवाद फैलाया जा सके…और सिंह ने RSS की पोशाक का भी सम्मेलन में मजाक उड़ाया था…

हिन्दू धर्म के प्रति कांग्रेस की खोखली राजनीति-

कांग्रेस हमेशा से संघ पर राजानीति करती रही है…चाहे वह देश में हुए बम धमाके हो या फिर पाकिस्तान से हुआ कोई आतंकी हमला…कांग्रेस के बड़े दिग्गज नेता संघ की विचारधारा से भले ही सहमत न हो लेकिन संघ को एक हिंदू आतंकवादी संगठन कहना कहा तक उचित है…जब देश में ही इस तरह के द्वेष का माहौल है तो फिर बाहर की नकारात्मक शक्तियां और हावी होना शुरू हो जाती है…यदि कांग्रेस बात करती है हिंदू आतंकवाद की तो वे ये बताए की जब देश में ही पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगते रहे हैं तो उसमें कांग्रेस ने क्या किया…70 सालों से देश के आतंकवाद को खत्म करने में कांग्रेस अपनी कितनी भूमिका निभा पाई…..फिर इसपर आज तक कांग्रेस पार्टी क्यों एक्शन नहीं ले पाई? क्या आरोपों से कांग्रेस की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है…

साहब बहुत वक्त मिला आपको इस मसले को सुलझाने का लेकिन आपने इसपर इसलिए ध्यान नहीं दिया क्योंकि जबतक इस प्रकार के कोई आतंकी हमले न हो या फिर देश में कोई धमाका न हो तब तक आप आरोप लगाने की राह देखते रहे…आपका ध्यान अपनी गद्दी और संघ को आतंकवादी संगठन घोषित करने की ओर ज्यादा रहा…आपने संघ पर आरोप लगाने का एक भी मौका नहीं छोड़ा…

ये है देश की एकता जिसमें हिंदुत्व की बात करने वाली कांग्रेस और नेता जनेऊ या फिर मंदिर जाकर अपने हिंदू होने का परिचय देते है…लेकिन एक हिंदुवादी संस्था की विचारधारा के प्रति इतने कट्टर हैं कि इतने सालों में अबतक देश में बढ़ रहे आतंक को खत्म नहीं कर पाए…केवल आरोपों का इंतजार करते रहे…हर बार कांग्रेस ने भगवा स्क्रिप्ट लिखने का प्रयास किया न कि आतंकवाद का खात्मा करने की और ध्यान दिया..और कांग्रेस का ये सिलसिला आज भी जारी है….

Nikita Tomar

Nikita Tomar

Journalist | Content Writer