
लोकसभा चुनावों ने जिस विमान को लेकर हाहाकार मचा था वो भारत आ गया है लेकिन बड़े-बड़े वैज्ञानिकों के द्वारा बनाए गए राफेल में हमारे एक विपक्षी नेता ने शानदार कमी निकाली है। नेताजी का कहना है कि फ़्रांस से भारत लाते वक्त बीच रास्ते में दो बार राफेल में तेल भरा गया इसका मतलब राफेल कम एवरेज देता है। नेताजी के इस बयान के बाद निर्माता कंपनी हैरान है की आखिर उन्हें यह कमी क्यों नहीं दिखाई दी।
नेताजी ने गिनाई और कमियां- विपक्ष के नेता ने कमियां गिनाते हुए कहा कि ” देखो भइया ये सब मिलकर जनता को पागल बना रहे हैं…..हम अपने घर से कहीं जाते हैं तो एक बार गाड़ी में तेल भरवा लेते हैं और काम करके वापिस आ जाते हैं। लेकिन राफेल हमारी गाडी से महंगा है लेकिन फ़्रांस से लाते वक्त दो बार तेल भरवाया गया। इसका मतलब है कि फ़्रांस ने हमें नकली माल बेचा है और इसका एवरेज है।
वही इतना महंगा और इतना बड़ा विमान है और महज तीन सीटर। मतलब ड्राइवर मिलाकर तीन लोग बैठ सकते है। ये तो बहुत गलत है। मिश्रा का ऑटो एक लाख है और 14 सवारी बैठा लेता है. अरे हम खुद कभी-कभी उसी में बैठकर संसद चले जाते हैं। अब बताइये दो चार सीट ज्यादा होता तो आज सवारी के काम आता, आम आदमी कभी बैठकर दिल्ली या जालंधर जा पाता लेकिन सरकार को आम जनता की फ़िक्र नहीं ।
तीन सीट हैं तो एक में मोदी जी, एक में अमित शाह और एक में राजनाथ सिंह। इसीलिए इन्होनें तीन लोगों वाला राफेल लिया है की झोला उठाकर चलने का वक्त आए तो ये राफेल में जल्दी से जल्दी निकल जाए।
इसके अलावा नेताजी ने रंग पर भी सवाल उठाया। नेताजी ने कहा कि “राफेल का रंग भी तो देश के पहले विमानों जैसा ही है। इसमें ऐसा क्या अलग रंग है जोकि इसे लेकर इतना हल्ला हो रहा है। वही रंग, दे दिया बताओ जो पहले से देश में मौजूद था। कुछ पिंक या पर्पल में देते तो मान लिया जाता कि इतने अधिक पैसे क्यों ले रहे हैं।
नेताजी ने कहा ये भी कोई विमान है आगे से नुकीला। सड़क में चलेगा और बीच में कोई आ गया तो सीधा उसकी मौत है. मोदी जी को आम जनता के जान की परवाह नहीं है इसलिए उन्होंने आगे से नुकीला वाला राफेल लिया है।
भाई हम तो कहते हैं इतने में सौ दो सौ ई-रिक्शा ले लेते और बढ़िया नोएडा-दिल्ली-गाज़ियाबाद की सवारी ले जाते। इतना कहते हुए अपने विज्ञान पर ना के बराबर घमंड में चूर नेताजी आँख मारते हुए वहां से चले गए।
नेताजी के द्वारा बताई गईं इन कमियों के बाद सम्पूर्ण वैज्ञानिक जगत हैरान है और उन्हें अपनी पढ़ाई और टेक्नोलॉजी पर संदेह होने लगा है।