Wednesday, 15 January 2025
देश की राजनीति निर्धारित करने वाला यूपी इलेक्शन Up Election 2022 इस बार भी अपने पूरे रंग में आने को तैयार है. चुनावों की धमक शुरू हो चुकी है और इसके साथ ही एंट्री हो चुकी है उन महान मुद्दों कि जिनके भरोसे चुनाव जीता जाता है. आप सोच रहे होंगे की मैं बिजली,पानी,कोरोना और विकास की बातें करूँगा। आप गलत सोच रहे हैं भाईसाब। मैं तो जिन्ना से शुरू करके कब्रिस्तान और शमशान की बातें करने वाला हूँ. जी हाँ, यूपी चुनावों में जिन्ना का जिन सामने आ चुका है.
बिना जिन्ना कैसे हो चुनाव– भाईसाब ये तो हमारे देश का नियम है कि बिना पाकिस्तानियों और पाकिस्तान के बिना हमारे यहाँ चुनाव नहीं होते। चाहे निगम का चुनाव हो या सरपंची का पाकिस्तान तो एक कॉमन मुद्दा है. पार्षद का चुनाव लड़ रहा प्रत्याशी भी कहता दिख जाएगा की मुझे जिताकर सेना के हाँथ मजबूत कीजिए जिससे पाकिस्तान का जड़ से सफाया हो सके. अब जब निगम के चुनाव में पाकिस्तान आता है तो फिर ये तो देश की सत्ता को राह दिखाने वाला यूपी का चुनाव है. जिन्ना इस चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला व्यक्ति होगा। जिन्ना का भूत जहाँ कहीं भी होगा उसे रह-रहकर लगातार चार पांच महीने हिचकी आएगी। लेकिन उसे पता नहीं चलेगा की आखिर ये हिचकियाँ क्यों आ रही हैं. दरअसल उसे इस बात की कतई उम्मीद नहीं होगी कि कई सालों पहले मर चुके व्यक्ति को याद किया जाएगा। लेकिन हमारा यूपी इलेक्शन है ही शानदार की गड़े मुर्दे उखाड़े जाते हैं. जिन्ना के साथ-साथ यहाँ पर कब्रिस्तान और शमशान भी बहुत ज्यादा चर्चित मुद्दे हैं. जब तक बात कब्रिस्तान तक न पहुंच जाए तब तक हमारे यूपी का चुनाव सम्पूर्ण कहा ही नहीं जा सकता है. महंगाई, बेरोजगारी,किसान ये सब एक किनारे में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे होते हैं कि झक्क से पाकिस्तान, कब्रिस्तान और शमशान मैदान में कूदकर आ जाते हैं और बेचारे असल वाले मुद्दे मन मसोस कर रह जाते हैं.
जिन्ना कहीं रॉयल्टी न मांग ले- मुझे ऐसा लगता है कि जिन्ना को रॉयल्टी लेनी चाहिए हमारे सभी नेताओं से. वो नेता जो लगातार जिन्ना और कब्रिस्तान को मुद्दा बनाकर चुनाव जीतते चले आए हैं. एक दिन ये दोनों मिलकर अगर हमारे नेताओं पर कॉपीराइट का केस ठोक दें तो सोचिए कितनी कमाई हो जाएगी इनकी। हर चुनाव में बिना इनकी इजाजत के इनका नाम इस्तेमाल किया जा रहा है ऐसे में रॉयल्टी तो चाहिए न भाई.