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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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प्रिय बापू! प्रधान सेवक समर्थक तुम्हें नहीं गोडसे को सही मानते हैं

बापू सोशल मीडिया के जमाने में समर्थक एक नए शख्स को तुम्हारी जगह देने में आतुर है लेकिन वो नासमझ ये नहीं जानते कि गाँधी बनने के लिए तप और त्याग करना पड़ता है.
Others Ambresh Dwivedi 2 October 2020
प्रिय बापू! प्रधान सेवक समर्थक तुम्हें नहीं गोडसे को सही मानते हैं

प्रिय बापू,

सबसे पहले आपको जन्मदिन की बहुत शुभकामनाएं. एक उन्नत और मजबूत भारत का सपना आपने आने वाली पीढ़ी पर छोड़ दिया था और इस दुनिया से चले गए थे. लेकिन आज की पीढ़ी के नेता और प्रधान सेवक के समर्थक आपको एक विभाजनकारी और मतलबी इंसान मानते हैं. जिन महिलाओं को आपने अपनी बेटी की तरह प्रेम किया आज उनके साथ आपकी तस्वीरे शेयर करते हुए आपको ऐय्याश बताया जाता है.

कितना दुःख लगता होगा ना ये देखकर कि आपके जन्मदिन को सेवा सप्ताह के रूप में मनाने वाले नेता के समर्थक अगले ही पल आपके हत्यारे गोडसे को सही मानने लगते हैं. खैर आपको इससे बुरा नहीं लगता होगा क्योकि आपने हमेशा सभी को सामान नजरों से देखा है.

अपरंच समाचार ये है कि अब इस देश में आपको राष्ट्रपिता मानने से इनकार कर दिया है. अब एक नए राष्ट्रपिता का जन्म हुआ है जिसके समर्थक आपको भगत सिंह की फांसी का मुख्य कारण मानते हैं. आपको बता दूं कि आज के समय में आप और आपका चरखा सोशल मीडिया में एक मीम से ज्यादा कुछ नहीं है. हालाँकि ये मीम पढ़कर आपको भी हंसी आ जाएगी लेकिन इन्हें फैलाने वाले खुद को आपका समर्थक कहते हैं और ये देखकर शायद आपको थोडा दुःख भी हो.

मैं आपके सपनों वाले भारत से नहीं बल्कि बलात्कारी नेताओं से भर चुकी संसद वाले देश से आपको ये पत्र लिख रहा हूँ. उस भारत में जहाँ पर बेरोजगारी, हत्या और लूट अपने चरम पर है. कानून व्यवस्था बेलगाम हो चुकी है और एक रेप पीड़िता को रातों-रात जला दिया जाता है. बापू जिस गुजरात में तुम पैदा हुए उस गुजरात के फर्जी मॉडल को बेचकर सरकार बनाई गई और आज देश उससे त्रस्त हो चुका है.

अब आप सोच रहे होंगे कि जब इतना सब हो रहा है तो सरकारें कहाँ हैं. तो बापू बता दूं की सरकारें हमेशा की तरह अपने आगामी चुनावों में व्यस्त हैं. सरकार अपनी सरकार बनाने में व्यस्त है. एक बात और बापू आज सोशल मीडिया के जमाने में समर्थक एक नए शख्स को तुम्हारी जगह देने में आतुर है लेकिन वो नासमझ ये नहीं जानते कि गाँधी बनने के लिए तप और त्याग करना पड़ता है.

बापू मुझे एक बात समझ नहीं आती है कि आपकी हत्या को सही क्यों समझते हैं? आपके हत्यारे को आज के समय में ये लोग इतना अधिक महत्व क्यों देने लगे हैं. आपका हत्यारा आज पूजा जाता है, आपकी मौत के दृश्य का फिर से चित्रण किया जाता है. आपको फिर से गोली मारी जाती है. और आपको गोली मारने वाला शख्स आज के समय में उनका सबसे बड़ा आइडियल है. कहते हैं कि उसने सही किया नहीं तो दिल्ली भी हमारे हाँथ से निकल जाता.

अब जमाना बदल गया है बापू, अब ट्रोल वाले लोग आ गए हैं. तुमाहरे समर्थन में कोई कुछ कहे तो आज उसे ट्रोल कर दिया जाता है. इन ट्रोल करने वालों से आप परिचित नहीं होंगे, ये समाज के दुश्मन हैं जो खुद को आलोचक कहते हैं.

खैर बापू अच्छा हुआ जो आप आज नहीं हैं नहीं तो आपको बहुत दुःख होता, आप कष्ट में होते. अंत में आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ उन विचारों के लिए जो आज तक मरे नहीं. आप और आपके विचार आज भी कहीं ना कहीं जिन्दा है. और धन्यवाद आपको उन विचारों के लिए जो कहते हैं कि “अहिंसा परमो धर्म:”.

ठीक है बापू अब इससे अधिक कुछ नहीं लिखूंगा…..

 

Ambresh Dwivedi

Ambresh Dwivedi

एक इंजीनियरिंग का लड़का जिसने वही करना शुरू किया जिसमे उसका मन लगता था. कुछ ऐसी कहानियां लिखना जिसे पढने के बाद हर एक पाठक उस जगह खुद को महसूस करने लगे. कभी-कभी ट्रोल करने का मन करता है. बाकी आप पढ़ेंगे तो खुद जानेंगे.