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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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शहीद हनुमंथप्पा की पत्नी से ऐसा सलूक किया मुख्यमंत्री से लेके स्मृति ईरानी ने, सुन कर घिन आये

News World Sandeep 14 August 2019
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शहीद हनुमंथप्पा. नाम तो आप भूल गए होंगे. हर शहीद के साथ ऐसा ही होता है. दो चार दिन हमारे देश के राष्ट्रवादी और परम देशभक्त फेसबुकिया सूरमा खूब आंसू बहाते हैं. फिर, दो चार दिन बाद कुछ और लोग शहीद हो जाते हैं और फिर पुराने वाले का नाम भूल जाते हैं.

बहरहाल हम आपके जेहन में एक बार फिर से हनुमंथप्पा की याद ताजा कराए देते हैं.

भारतीय सेना के लांस नायक रहे हनुमंथप्पा सियाचीन में देश की सीमा की सुरक्षा करते हुए बर्फ के नीचे दब कर शहीद हो गए थें. हनुमंथप्पा की इस शहादत को पूरे देश ने सैल्यूट किया था.

मोदी सरकार ने शहीद जवान के परिजनों को नौकरी, मकान, जमीन और बच्चों की शिक्षा का वायदा किया था. हनुमंथप्पा की शहादत पर श्रद्धांजली और घोषणाओं में कोई कमी नहीं की गई. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ट्वीटर पर घोषणा की थी शहीद की पत्नी को मैं सरकारी नौकरी दूंगी.

मिलने पर स्मृति ने कर दिया इंकार

शहीद हनमनुंथप्पा की पत्नी महादेवी ने कहा कि उनकी एक पांच साल की बेटी भी है, जिसके भविष्य की चिंता उन्हें ज्यादा सताती है. उन्हें अपने पति की शहादत का दुख जरुर था लेकिन सरकार जिस तरह से घोषणाएं कर रही थी , उससे उन्हें संतोष भी हो रहा था. महादेवी को लगता था कि उनके पति की शहादत देश के लिए हुई है तो देश भी उनका ख्याल रखेगा. हनुमंथप्पा की शहादत को आज तीन साल हो गए. इसके साथ ही उनके सपने भी एक एक कर टूट गए.

शहीद की पत्नी महादेवी बताती हैं कि.

आज से दो साल पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें रेशम उत्पादन विभाग ने दो सौ रुपये रोज पर अस्थायी नौकरी के लिए प्रस्ताव दिया था. क्या एक शहीद की पत्नी के लिए दो सौ रुपये रोज इंसाफ है ? पूरे देश के देशभक्तों को इस पर जरुर सोचना चाहिए या हमारी राष्ट्रभक्ति सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित है.

मोदी सरकार के इस रवैये से नाखुश होकर महादेवी ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से मिलने का फैसला किया क्योंकि स्मृति ने हनुमंथप्पा की शहादत के वक्त ट्वीट करते हुए महादेवी को नौकरी देने का ऐलान किया था.

लेकिन स्मृति ने महादेवी के साथ ऐसा व्यवहार किया कि वो उसे जिंदगी पर नहीं भूल सकती हैं.

स्मृति ने शहीद हनुमंथप्पा की पत्नी को नौकरी देने से साफ इंकार कर दिया. उन्होंने इस तरह के किसी भी ट्वीट से इंकार कर दिया. स्मृति ने महादेवी से कहा कि मैंने कोई नौकरी देने का वायदा ट्वीटर पर नहीं किया है.

राज्य सरकार ने नहीं दिया साथ

महादेवी के मुताबिक़, उन्होंने ३ साल तक स्थायी रूप से सरकारी नौकरी पाने बाबत मुख्यमंत्री से लेके कलेक्टर तक को चिठ्ठी लिखी. किन्तु अचरज की बात है कि इस के सन्दर्भ में किसी भी विभाग का कोई जवाब नहीं आया.

हनुमंथप्पा की पत्नी एक आर्मी अफसर बनना चाहती थी ताकि अपने पति की ही तरह वो भी देश की सेवा कर सकें और अपनी बेटी का भविष्य बना सकें. लेकिन कितनी अफ़सोस की बात है कि भारत भूमि पर प्राणों का बलिदान करने वाले हनुमंथप्पा की पत्नी को आज तक कोई स्थायी नौकरी नहीं मिली, मिले तो सिर्फ अस्थायी नौकरियाँ और झूठे वादे.

हालांकि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपनी सरकार के दौरान महादेवी को बेगदूर इलाके में चार एकड़ कृषि योग्य भूमि मुहैया कराई है लेकिन इससे परिवार का गुजारा संभव नहीं है.

अब नहीं मांगूंगी किसी से नौकरी

शहीद हनुमंथप्पा की बीवी महादेवी कहती हैं कि केंद्र सरकार की असंवेदनशीलता ने मुझे निराश किया है. अब मैं किसी को भी नौकरी के लिए आवेदन नहीं दूंगी और नहीं नौकरी मांगूंगी. अब मेरा सबसे भरोसा टूट गया है.

source : navbharat times