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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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कोविड की लड़ाई में 11 साल की भारत की बच्ची का मॉडल कर देगा कमाल

Motivation Taranjeet 20 April 2021
कोविड की लड़ाई में 11 साल की भारत की बच्ची का मॉडल कर देगा कमाल

हम लोग शायद इस वक्त अपनी जिंदगी के सबसे खतरनाक मोड़ से गुजर रहे हैं। रोज का दिन एक जंग जैसा जा रहा है। रोजाना जब 2.5 लाख से ज्यादा कोरोना के मामले दर्ज हो रहे हैं, तो दिल रोज जोर से धड़क रहा है। लाशों का हुजूम उमड़ा हुआ है। एक के एक ऊपर एक लाशें रखी हुई है। चिताओं को जलाने के लिए लकड़ी खत्म हो गई है। शमशान कब्रिस्तान में जगह नहीं है। पार्कों में चिताएं जलाई जा रही है।

डॉक्टरों-वैज्ञानिकों पर ही है भरोसा

इतना सब जब देश में हो रहा है तो सबकी निगाहें डॉक्टरों पर टिकी हुई है। वैज्ञानिकों की तरफ सब आस भरी निगाहों से देख रहे हैं। क्योंकि इंसान को अपनी जिंदगी की उम्मीद सिर्फ इन्हीं से है।वैज्ञानिक बेहतर वैक्सीन की खोज में लगे हुए हैं, तो डॉक्टर रोज लोगों को जीने की उम्मीद दे रहे हैं। ऐसे में हर कोई चाहता है कि वो अपनी तरफ से कोशिश करे और कोरोना वायरस को हराने की कोशिश करे।

पढ़ा-लिखा, अनपढ़, गांव का, शहर का, जवान, बुजुर्ग सब किसी ना किसी तरह कोरोना वायरस से चल रही जंग में अपना योगदान दे रहे हैं। और ऐसा ही योगदान के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैंय़ ये योगदान एक बच्ची का है, जिसने कोरोना वायरस से लड़ने में मदद की है।

11 साल की लड़की ने कर दिखाया है कमाल

भुवनेश्वर में सिर्फ एक 11 साल की लड़की ने ऐसा मॉडल बना कर रख दिया है, जिससे ये पता लगाया जा सकता है कि कोविड कंटेनमेंट जोन (Covid Containment Zone) कौन सा है। इसे बनाने वाली 11 साल की लड़की का नाम प्रतिभा पिल्लई है जो सिर्फ कक्षा 6 में पढ़ती है।

कोरोना वायरस ह्यूमन डिटेक्टर, इस डिवाइस को इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले यूजर को अपने लैपटॉप में एक एप्लिकेशन को इंस्टॉल करना होता है। उसके बाद ये डिवाइस से कनेक्ट हो जाएगा और डिवाइस को ऐप से लिंक करने के बाद यूजर उस क्षेत्र की रेडियस निर्धारित कर सकता है जिसे वो निगरानी में रखना चाहता है। ऐसे में अगर कोई इस जोन में प्रवेश करता है तो बजर बजेगा और इस डिवाइस पर लगा रेड बल्ब खुद ही जल जाएगा।

कोरोना वायरस के अलावा और जगहों पर भी किया जा सकता है इसका इस्तेमाल

11 साल की लड़की का मानना है कि इस डिवाइस की मदद से कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में मदद मिलेगी और इसका उपयोग बॉर्डर एरियाज(Border areas), एंटीक और ज्वेलरी स्टोर्स के अलावा एजुकेशन सेंटर्स में भी किया जा सकता है। इस डिवाइस के बारे में अगर उन लोगों को बता दिया जाए जिन्हें सुनाई नहीं देता है, तो वो इसकी रेड लाइट देखकर ये समझ सकते हैं कि उन्हें वहां नहीं जाना है। जिससे उन्हें मदद मिलेगी।

प्रतिभा के पिता भूपेश पिल्लई पेश से भारतीय सेना मे कार्यरत है। तो वहीं प्रतिभा की मां बसंती पिल्लई एक हाउस वाइफ हैं। प्रतिभा की ऑनलाइन लर्निंग में पहले से ही काफी ज्यादा रूचि थी। वो इस एप को डेवलप करने के लिए उन टीचर्स का शुक्रिया भी अदा करती हैं जिन्होंने उसकी मदद की है। प्रतिभा काफी होशियार है और काफी दूर का सोचने वाले बच्चों में से है। वो पढ़-लिख कर एक काबिल डॉक्टर बनना चाहती है और साथ ही वो एक Enterpreneur भी बनना चाहती हैं। जिसके जरिये वो एक ऐसे हॉस्पिटल का निर्माण कर सकें, जिसे रोबोट्स के द्वारा चलाया जा सकता हो।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.