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रतन टाटा का अपने कर्मचारियों के लिए दरियादिली को कोरोना भी नहीं हिला सका

Motivation Taranjeet 27 May 2021
रतन टाटा की इंसानियत और दरियादिली को कोरोना भी नहीं हिला सका

देश इस वक्त महामारी के दौर से गुजर रहा है। लोगों की जान जा रही है, स्वास्थ्य व्यवस्था (Health system) चरमरा गई है। लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। बच्चे अनाथ हो गए हैं, पत्नी का सुहाग छिन गया है, मां-बाप ने जवान बच्चे खो दिए हैं। ऐसे में जब कोरोना वायरस अपने सबसे खतरनाक रूप में हैं तो लोगों की मदद सिर्फ लोग ही कर रहे हैं। आपस में इंसान ही इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं। लोगों से जितना हो पा रहा है उतना अपनी तरफ से योगदान कर रहे हैं, ताकि लोगों को बचाया जा सके और कोरोना वायरस से बाहर निकाला जा सके।

रिटायरमेंट तक मिलेगी सैलरी

लोगों की जान जा रही है, उसके साथ ही सबसे बड़ी समस्या आ रही है कि घर में कमाने वाले लोग नहीं बच रहे हैं। जहां लोगों को अपने परिवार के पालन-पोषण की चिंता है। अब ऐसे में रतन टाटा ने ऐसी मिसाल पेश की है। जिससे बाकी सभी को भी प्रेरित होकर आगे आना चाहिये और इंसानियत के नाते लोगों के जीवन यापन का बोझ उठाना चाहिये। बात अगर रतन टाटा की करें तो अब वो अपने उन सभी कर्मचारियों के परिवार वालों को रिटायरमेंट तक सैलरी देंगे जिन्होंने कोरोना वायरस की वजह से अपनी जान गंवा दी है।

रतन टाटा (Ratan tata) की कंपनी टाटा स्टील ने कोरोना वायरस से मरने वाले कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की घोषणा की है। टाटा स्टील की तरफ से ऐलान किया गया है कि कंपनी कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले कर्मचारियों के परिजनों को कर्मचारी की रिटायरमेंट यानी की 60 साल की उम्र तक उनके परिवार वालों को पूरी सैलरी देती रहेगी। सैलरी का ये अमाउंट मृत कर्मचारी की आखिरी सैलरी के बराबर रहेगा। इसके साथ ही कंपनी ने ये भी बताया है कि इन कर्मचारियों के परिवार वालों को बच्चों की पढ़ाई, मेडिकल और आवास की सुविधाएं भी देती रहेंगी।

फ्रंटलाइन कर्मचारी की मृत्यु पर बच्चों की पढ़ाई का खर्च मिलेगा

इतना ही नहीं रतन टाटा ने और भी कई ऐलान किए हैं। जैसे कि अगर कोई फ्रंटलाइन कर्मचारी काम के दौरान संक्रमित हो जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो कंपनी उसके बच्चों के ग्रेजुएट होने तक उसकी पूरी पढ़ाई का खर्चा उठाएगी। साथ ही उनके स्वास्थ्य का भी काफी ध्यान रका जाएगा।

टाटा मोटर्स के मृत कर्मचारियों के परिवार को 50% सैलरी मिलेगी

जहां एक तरफ टाटा स्टील ने अपने कर्मचारियों के लिए सैलरी देने का ऐलान किया है। तो वहीं टाटा ग्रुप की बाकी कंपनियों का भी ऐसा ही करना है। टाटा मोटर्स ने भी कुछ ऐसा ही ऐलान किया है और कहा है कि कोरोना वायरस से अपनी जान गंवाने वाले कर्मचारियों के परिवार वालों को रिटायरमेंट की उम्र तक अभी की बेसिक सैलरी का 50% सैलरी दी जाएगी, ये सैलरी  Monthly allowance के रूप मे दी जाएगी। साथ ही कंपनी परिवार को राहत पहुंचाने के लिए  One-time payout भी देगी।

टाटा ग्रुप की कंपनियां हमेशा से ही अपने कर्मचारियों की मदद करती रहती है। टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज जैसी कंपनियों ने कर्मचारियों के फायदों के लिए अलग ही स्टैंडर्ड सेट किया हुआ है। टाटा स्टील देश की वो पहली कंपनी थी जिसने अपने कर्मचारियों के लिए 8 घंटे काम, मुनाफा आधारित बोनस, सोशल सिक्योरिटी, मैटरनिटी लीव, कर्मचारी भविष्य निधि जैसी सुविधाओं को बेहतर तरीके से लागू किया हुआ है। टाटा की पहल के बाद ही देश की दूसरी कंपनियों ने भी ऐसे मानदंड अपनाए थे।

छंटनी करने वालों को फटकार लगा चुके हैं रतन टाटा

टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने न केवल एक सफल उद्योगपति के रूप में बल्कि एक महान इंसान और परोपकारी व्यक्ति के रूप में भी इज्जत कमाई है। पिछले साल कोरोना के कारण लोगों का बिजनेस प्रभावित हुआ तो कई कंपनियों ने छंटनी शुरू कर दी थी। उनका कहना था कि कंपनियों की शीर्ष लीडरशिप में सहानुभूति की कमी हो गई है। कर्मचारी अपना पूरा करियर कंपनी के लिए लगाते हैं और कोरोना वायरस महामारी जैसे संकट के समय में इनका सहयोग करने के बजाय ये बेरोजगार हो रहे हैं। टाटा ने कहा कि जिन्होंने आपके लिए काम किया, आपने उन्हें ही छोड़ दिया।

रतन टाटा का कहना था कि मुनाफा कमाना गलत नहीं है, लेकिन मुनाफा कमाने का काम भी नैतिकता से करना चाहिए। आप मुनाफा कमाने के लिए क्या कर रहे हैं, ये आवश्यक है। इतना ही नहीं, कंपनियों को ग्राहकों और शेयरधारकों का भी ध्यान रखना चाहिए। ये तमाम पहलू महत्वपूर्ण हैं। अधिकारियों को खुद से पूछना चाहिए कि उनके द्वारा लिए जा रहे फैसले सही हैं भी या नहीं।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.