भगवान शिव देवों के देव कहे जाते हैं। उन्हें महादेव की संज्ञा दी गई है। भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करते हैं। हमेशा ही भगवान शिव ने सृष्टि का कल्याण किया है। धर्मशास्त्रों में भगवान शिव के 19 अवतार का भी उल्लेख मिलता है। भगवान शिव ने अलग-अलग अवतार अलग-अलग उद्देश्यों को अंजाम देने के लिए लिये थे।
इसी तरह का भगवान शिव का एक अवतार बिल्कुल अलग रहा था। उनका वृषभ अवतार एक ऐसे उद्देश्य की पूर्ति के लिए था, जिसके बारे में जानकर कोई भी हैरान रह जाता है। जी हां, उनके इस अवतार का नाम वृषभ था। उन्होंने यह अवतार इसलिए लिया था, ताकि वे भगवान विष्णु के पुत्रों का वध कर सकें।
इसके पीछे की कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। समुद्र मंथन चल रहा था। देवताओं और दानवों, दोनों की इस पर नजरें थीं। समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश निकला था। जो भी अमृत को पी जाता, वह अमर हो जाता। किसी तरह से इसे दानवों से बचाना था।
दानव यदि अमृत पी जाते, तो वे अमर हो जाते। इसके बाद सृष्टि का वह हाल होता, जिसकी कोई कल्पना तक नहीं कर सकता। किसी तरह से दानवों को इससे दूर भगाना था। ऐसे में देवताओं ने इसका एक उपाय किया।
भगवान शिव ने कई अप्सराएं प्रकट कर दीं। इन अप्सराओं ने इन दानवों को मोहित करना शुरू कर दिया। ये दानव इन अप्सराओं की सुंदरता को निहारने में वे व्यस्त हो गए। उन्होंने इन अप्सराओं को पकड़ लिया। दानव इन अप्सराओं को लेकर पाताल लोक पहुंच गए।
वहां उन्होंने इन्हें कैद कर दिया। इसके बाद दानवों को समुद्र मंथन का ध्यान आया। वे फिर वहां लौट आए। उन्हें अमृतपान करना था। वहां पहुंचे तो उन्हें पता चला कि देवता सारा अमृत पी गए हैं। अब कुछ भी नहीं बचा है। दानवों को इससे बहुत गुस्सा आ गया। दानवों ने कहा कि अब वे युद्ध करेंगे।
देवताओं और दानवों के बीच बड़ा युद्ध शुरू हो गया। यह युद्ध कई दिनों तक चला था। देवता अमृतपान कर चुके थे। वे अमर हो गए थे। ऐसे में देवताओं को हराना दानवों के लिए अब मुमकिन नहीं था। आखिरकार युद्ध में देवता ही भारी पड़े।
दानवों को अब किसी तरह से अपनी जान बचानी थी। दानव पाताल लोक की ओर भागने लगे। भगवान विष्णु अब इन दानवों का वध करने के लिए उनके पीछे दौड़ पड़े। पीछा करते-करते वे पाताल लोक में भी पहुंच गए। वहां पर भगवान विष्णु ने सभी दानवों का वध कर दिया। इस तरह से सारे दानव समाप्त हो गए।
वहां उन्होंने अप्सराओं को कैद देखा। इन अप्सराओं को उन्होंने आजाद करवा लिया। भगवान विष्णु को देखकर ये अप्सराएं उन पर मोहित हो गईं। अप्सराओं के मन में भगवान विष्णु को अपना जीवनसाथी बनाने की बात आ गई। उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की। भगवान शिव से उन्होंने उन्हें वरदान देने के लिए कहा।
भगवान शिव ने भगवान विष्णु को इन अप्सराओं से विवाह करने के लिए कह दिया। साथ ही उन्होंने पाताल लोक में ही उन्हें रहने के लिए भी कहा। इस तरह से भगवान विष्णु वहीं रहने लगे। इन अप्सराओं से उन्हें कई पुत्र हुए थे। हालांकि, ये पुत्र देवताओं की तरह बिल्कुल भी नहीं थे।
बिल्कुल दानवों की तरह ये बर्ताव कर रहे थे। भगवान विष्णु के पुत्रों ने अब तीनो लोक में आतंक मचा दिया था। देवता त्राहि-त्राहि करने लगे थे। अब कोई उपाय नहीं दिख रहा था। ऐसे में देवता भगवान शिव के पास पहुंचे थे। उन्होंने उनसे मदद मांगी थी।
भगवान शिव ने अब वृषभ अवतार ले लिया। बैल का रूप धारण करके वे इन विष्णुपुत्रों का विनाश करने पहुंच गए। सारे विष्णुपुत्रों का उन्होंने संहार कर डाला। भगवान विष्णु इससे बहुत गुस्सा हुए। वृषभ और उनके बीच कई दिनों तक युद्ध चलता रहा। आखिरकार इसका कोई परिणाम नहीं निकला।
अप्सराओं ने तब भगवान शिव से भगवान विष्णु को वरदान मुक्त करने के लिए कहा। इसके बाद भगवान विष्णु को सच्चाई का एहसास हुआ। जब भगवान शिव ने उन्हें विष्णु लोक लौट जाने के लिए कह दिया। इस तरह से भगवान शिव ने एक अवतार भगवान विष्णु के पुत्रों के वध के लिए भी लिया था।