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उज्जैन के महाकालेश्वर में कोई राजा राजपद धारण करके रात क्यों नहीं गुजार सकता

Information Komal Yadav 31 January 2021
उज्जैन के महाकालेश्वर में कोई राजा राजपद धारण करके रात क्यों नहीं गुजार सकता

उज्जैन को भगवान महाकाल(शिव) की नगरी कहते हैं। शिव पुराण के अनुसार उज्जैन का बाबा महाकाल का मंदिर काफी प्राचीन है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना द्वापद युग में भगवान श्री कृष्ण के के जन्म से ही पूर्व हुई थी। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है इसमें भगवान शिव दक्षिण मुखी होकर विराजमान है।

वर्तमान में उज्जैन में जो महाकाल मंदिर स्थित है उसका निर्माण राणौजी शिंदे ने करवाया था। वर्तमान में महाकाल ज्योतिर्लिंग मंदिर के नीचे के भाग में है। मंदिर मध्य के भाग में ओंकारेश्वर महादेव का शिव लिंग है और सबसे ऊपर वाले भाग में नागचंद्रेश्वर मंदिर है जो साल में सिर्फ नागपंचमी पर खुलता है।

महाकालेश्वर मंदिर को 18 महाशक्ति पीठ में शामिल किया गया है। ऐसा माना जाता है की शक्ति पीठ वाली जगह पर जाने से इंसान के शरीर को आंतरिक शक्ति मिलती है। सभी शक्ति पीठ अपनी अलग-अलग शक्तियों के लिये प्रसिद्ध है।

उज्जैन में दूषण का वध :

पुराणों में कहा गया है कि उज्जैन भगवान शिव को बहुत ज्यादा पसंद है। उज्जैन में शिव जी के काफी प्रिय भक्त रहते थे। अवंतिका नगरी में एक ब्राह्मण और उसका परिवार रहा करता था। उस ब्राह्मण के चार बेटे थे। दूषण नाम का राक्षस ने उस नगरी में आतंक मचा रखा था। वह राक्षस वहां के सभी लोगो को परेशान करने करता था।

इस राक्षस के आतंक से बचने के लिए वह ब्राह्मण भगवान शिव की आराधना करने लगा। उस ब्राह्मण की तपस्या से प्रस्सन होकर भगवान शिव धरती को चीर के महाकाल के स्वरूप में प्रकट हुए और फिर उन्होंने उस राक्षस का वध करके उज्जैन नगरी की रक्षा की। उज्जैन के सभी लोगो ने भगवान शिव से उसी स्थान पर हमेशा विराजमान होने की प्रार्थना की। भक्तों के प्रार्थना करने पर भगवान शिव उज्जैन में ही महाकाल ज्योतिर्लिंग के स्वरूप में वहीं विराजमान हो गए।

महाकालेश्वर मंदिर के बारे में कुछ ऐसी बातें जिनसे आप अनजान है :

महाकालेश्वर मंदिर में तजा भस्म चढ़ाई जाती है। वैसे तो आपने कई मंदिरो में भस्म चढ़ाते हुए देखी होगी लेकन उज्जैन के महाकाल में ताजा शव की भस्म से महाकाल को सजाया जाता है।

पुराणों में काल के दो अर्थ है पहला समय और दूसरा मृत्यु। ऐसा माना जाता है कि ये महाकालेश्वर मंदिर पर प्राचीन समय में पूरे विश्व का समय निर्धारित किया गया जाता था । पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां पर राजा चंद्रसेन और गोप बालक ने भगवान शिव के शिवलिंग की स्थापना की थी।

महाकाल के गृर्भगृह में दक्षिणमुखी शिवलिंग है जो माता पार्वती,गणेश जी और कार्तिकेय के साथ में विराजमान है यहां पर एक नंदी दीप भी स्थापित है जो हमेशा ही जलाता रहता है।

उज्जैन के महाकाल से जुड़ी जो अहम बात है वो ये कि यहां पर कोई शाही या राज पद पर विराजमान व्यक्ति रात नहीं गुजार सकता है। ऐसा माना जाता है कि उज्जैन में राजा विक्रमादित्य के बाद कोई भी राजा नहीं टिका। ऐसा माना जाता है कि उज्जैन में केवल एक ही राजा रह सकता है और है वो महाकाल और महाकाल को यहां का राजा माना जाता है इसलिए कोई ओर राजा यहां पर नहीं रह सकता है। जिस वजह से राजा भोज के काल के पश्चात यहां पर किसी राजा ने रात नहीं गुजारी है। इसी प्रथा को मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक मानते है और यहां रात नहीं गुजारते है।

महाकाल मंदिर भक्तो की आस्था का बहुत बड़ा प्रतीक है यही कारण है कि मान्यता कोई भी हो भक्त उसे पूरी करने से पीछे नहीं हटते है। और शायद यही इस मंदिर असल खासियत है जो इसे भारत के बाकी मंदिरों से अलग बनता है।

Komal Yadav

Komal Yadav

A Writer, Poet and Commerce Student