
आज दुनियाभर में कोरोना वायरस (Corona Virus) का खौफ फैला है। हर ओर अफरातफरी का माहौल है। अमेरिका जैसी महाशक्ति इस खतरनाक वायरस के सामने घुटने टेकते नजर आ रही है। अब तक सात लाख से भी अधिक लोग दुनियाभर में Corona virus से संक्रमित हो चुके हैं और इसके कारण 34 हजार से भी अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हालांकि, ऐसा नहीं है कि पहली बार किसी वायरस ने दुनिया की ऐसी हालत की है। कोरोना वायरस की तरह ही रोटा वायरस भी बड़ा ही विनाशकारी साबित हुआ था और वर्ष 2013 में इसके संक्रमण में आने की वजह से दुनियाभर में दो लाख से भी अधिक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।
क्या है रोटा वायरस? (What is Rota virus)
यह एक बेहद खतरनाक और जानलेवा वायरस है, जिसने वर्ष 2013 के दौरान दुनियाभर में बच्चों पर हमला बोला था। इसकी वजह से बच्चों के साथ नवजातों में गंभीर दस्त की समस्या पैदा हो जाती थी। WHO के आंकड़े बताते हैं कि उस दौरान करीब दो लाख 15 हजार की मौत का आकलन लगाया गया था। इसके कारण सबसे अधिक मौत विकासशील देशों में देखी गई है।
क्या है रोटा वायरस के लक्षण? (Symptoms of Rota Virus)
रोटा वायरस दरअसल रियोवायरस परिवार से नाता रखता है। दोहरे स्ट्रैंड वाला यह एक RNA वायरस है। जब इसे इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से देखा गया तो यह बिल्कुल एक चक्के की तरह नजर आ रहा था। नाम इसी की वजह से इसका रोटा रखा गया। दरअसल, लैटिन भाषा में चक्के यानी कि पहिए के लिए रोटा शब्द की इस्तेमाल में आता है। इस वायरस की कई तरह की किस्में हैं। इंसानों में ये सभी बीमारी पैदा करने की वजह बनते हैं। इसे पतले दस्त से पहचाना जा सकता है। यदि शरीर रोटा वायरस के संक्रमण की चपेट में आ जाए तो इसके कारण बुखार की शिकायत तो होती ही है, साथ ही इसके कारण पेट में दर्द होने लगता है। कई बार उल्टी तक की नौबत आ जाती है। इसके अलावा भी अन्य कई प्रकार की जटिलताएं इसकी वजह से पैदा हो जाती हैं।
कैसे फैलता है रोटा वायरस? (Spread of Rota Virus)
रोटा वायरस का संक्रमण मौखिक तरीके से फैलता है। इसका मतलब यह हुआ कि एक इंसान से दूसरे इंसान तक इसके पहुंचाने का माध्यम अपशिष्ट होते हैं। जी हां, चाहे हाथों पर ये अपशिष्ट लग गये हों या फिर खिलौनों पर या किसी भी अन्य वस्तु पर। इसके जरिये एक से दूसरे तक रोटा वायरस पहुंच जाता है। यही वजह है कि बच्चे इसका शिकार सबसे आसानी से होते हैं। फिर इन्हीं बच्चों से रोटा वायरस उन लोगों को भी अपना शिकार बना लेता है, जो उनके सबसे समीप होते हैं। जब रोटा वायरस किसी भी इंसान के शरीर में प्रवेश करता है तो इसकी वजह से शरीर बीमार सा महसूस करने लगता है। शुरू में समझ नहीं आता कि क्या हुआ है, लेकिन बाद में इसके संक्रमण के लक्षण नजर आने लगते हैं। आमतौर पर इसके लक्षण ठीक से नजर नहीं आते। ऐसे में जो लोग इससे संक्रमित लोगों के नजदीक होते हैं, उनमें भी यह वायरस पहुंच जाता है।
क्या है रोटा वायरस का इलाज (Treatments of Rota Virus)
उपचार की बात करें तो रोटा वायरस के संक्रमण के लिए किसी खास तरह का इलाज मौजूद नहीं है। ऐसे में मरीज को केवल पेय पदार्थों का ही सेवन करना पड़ता है। साथ ही उसका आराम करना जरूरी होता है। इलाज के दौरान मरीज के बुखार से लड़ने की कोशिश की जाती है।
रोटा वायरस से होने वाली परेशानिया (Problems during Rota Virus infection)
दस्त और उल्टी बच्चों को इसके संक्रमण की वजह से इतनी होती है कि पानी की उनके शरीर में कमी हो जाती है। अस्पताल में भी भर्ती कराना पड़ता है। नसों के माध्यम से पानी शरीर में पहुंचाया जाता है। यह तरीका काम किया तो ठीक है, अन्यथा पीड़ित की मौत हो जाती है।
रोटा वायरस के टीके (Vaccine for Rota Virus)
विकासशील देशों को इसका टीका मुहैया कराने की कोशिशें जारी हैं, ताकि इसकी वजह से दुनियाभर में हर साल होने वाली मौतों को रोका जा सके। इसका टीका अब जिंदगी की शुरुआत में ही बच्चों को देने के प्रयास किये जा रहे हैं, ताकि बच्चों के बाद में इसका शिकार होने से बचाया जा सके। सबसे पहले इसका टीका प्राप्त करने वाला देश मेक्सिको रहा है। वही मेक्सिको, जो कोरोना वायरस के मामले में इस वक्त कम गंभीर नजर आ रहा है, क्योंकि उसे डर है कि लाॅकडाउन करने से उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा जायेगी।
क्या कहता है डब्ल्यूएचओ? (WHO says)
WHO की ओर से इस बात की अनुशंसा की जा चुकी है कि बच्चों को रोटा वायरस का टीका उसके जन्म लेने के बाद 6 से 12 सप्ताह में दे देना चाहिए। साथ ही इसका टीका बच्चों को देने की अधिकतम उम्र भी 32 सप्ताह निर्धारित की गई है।