
पाकिस्तानी ने दिसंबर 1971 में भारत पर आक्रमण कर दिया था। दोनों देशों के बीच युद्ध का आगाज हो गया था। पायलट ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की अभी-अभी शादी हुई थी। उन्हें भारत-पाकिस्तान के युद्ध की खबर मिली। उन्होंने अपनी पत्नी मनजीत से जल्द लौटने का वादा किया। दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए वे निकल पड़े।
अपनी सुरक्षा टीम के साथ कश्मीर में निर्मलजीत तैनात हुए। यहां पर वे 18 नेट स्क्वाड्रन विमान के साथ थे। श्रीनगर एयरफील्ड पर पाकिस्तान के जेट विमान हमला कर रहे थे। 17 दिसंबर को उन्होंने हमला शुरू किया था। पाकिस्तान के 6 साइबर जेट विमान हमले में शामिल थे। सुबह करीब 8 बजे दुश्मनों के आक्रमण की चेतावनी मिली थी।
घना धुंध एयरफील्ड में छाया हुआ था। निर्मलजीत अपने साथी बलदीर सिंह घुम्मन के साथ तैयार थे। घुम्मन ने 8 बजकर 4 मिनट पर अपना विमान उड़ाने का संकेत दे दिया। कोई उत्तर नहीं मिला तो वे अपना विमान लेकर उड़ गए।
जी-मैन के नाम से घुम्मन को उनके दोस्त जानते थे। वे सीनियर पायलट थे। घुम्मन के जाने के बाद निर्मलजीत भी अपने विमान को लेकर रनवे पर पहुंचे। इसी वक्त उनके विमान के बगल में दुश्मनों के बम गिरे। किसी तरीके से निर्मलजीत ने अपने विमान को बचाया। उन्होंने हवा में अपना विमान उड़ा दिया।
एक विमान का पीछा घुम्मन कर रहे थे। पाकिस्तान के दो विमानों के पीछे निर्मलजीत भी लगे हुए थे। एक वह विमान भी था, जिसने उनके विमान के बगल में बम गिराया था। ये दोनों बहादुर सिपाही दुश्मनों के पीछे थे। दुश्मनों को हराने के लिए वे मुस्तैद थे।
बम बरस रहे थे। श्रीनगर एयरफील्ड पर सब धुआं-धुआं दिख रहा था। बहुत दूर तक देख पाना कठिन था। इस वक्त टीम की अगुवाई कमांडो चंगजी कर रहे थे। उन्हें 1965 के युद्ध का बड़ा अनुभव था।
घुम्मन दुश्मनों के पीछे थे। इधर निर्मलजीत भी यही कर रहे थे। एयरफील्ड से इनका संपर्क टूट गया था। हालांकि, संचार व्यवस्था तब भी काम कर रही थी। घुम्मन को निर्मलजीत की आवाज सुनाई पड़ी।
निर्मलजीत कह रहे थे- दो सबर जेट जहाजों का पीछा कर रहा हूं। उन्हें मैं जाने नहीं दूंगा। बस इसके कुछ ही समय के बाद पाकिस्तान का एक विमान निर्मलजीत ने मार गिराया।
फिर उन्होंने संदेश भेजा। कहा- मुकाबला कर रहा हूं। बहुत मजा आ रहा है। मेरे दोनों तरफ दुश्मन के दो सबर जेट हैं। एक का पीछा कर रहा हूं। दूसरा मेरे साथ-साथ उड़ रहा है।
अपने साथी की सहायता घुम्मन करना चाहते थे। ऐसा करना हालांकि मुमकिन नहीं था। उन्हें भी दूसरे विमानों को मारना था। हवा में तभी एक धमाके की आवाज सुनने को मिली। दुश्मन पाकिस्तान का सेबर जेट निर्मलजीत ने गिरा दिया था।
दुश्मनों के दो विमान निर्मलजीत बहादुरी से मारकर गिरा चुके थे। जोश उनमें खूब भरा हुआ था। वे इसका पूरा आनंद उठा रहे थे।
अब उनकी बराबरी में चलने वाले विमान की बारी थी। दुश्मन का सेबर जेट उनके बगल में था। निर्मलजीत ने अब इस पर निशाना साधा। उन्होंने इस सेबर जेट के पीछे अपना विमान ले लिया। निशाने पर लेकर उन्होंने इसे मार गिराया।
बड़ी बहादुरी से निर्मलजीत दुश्मनों से लड़ रहे थे। पाकिस्तान के तीन विमानों को उन्होंने मार गिराया था। कुछ ही समय के बाद इस बहादुर ऑफिसर का अंतिम संदेश सुनने को मिला। अपने दोस्त घुम्मन को उन्होंने यह संदेश भेजा।
निर्मलजीत ने कहा- मेरा विमान शायद दुश्मनों के निशाने पर आ गया है। घुम्मन अब मोर्चा तुम्हीं संभालो। आखिरी संदेश निर्मलजीत ने दे दिया।
बस इसके तुरंत बाद उनके विमान पर दुश्मनों का हमला हुआ। उन्होंने अपना नियंत्रण खो दिया। तेजी से विमान जमीन की तरफ गिरने लगा। अपने विमान से बाहर निकलने की निर्मलजीत ने बड़ी कोशिश की। इंजेक्शन सिस्टम लॉक हो गया था।
ऐसे में विमान से बाहर निकलना उनके लिए मुश्किल हो गया। वे विमान में ही रह गए। बडगाम के पास विमान क्रैश कर गया। देश के लिए निर्मलजीत सिंह सेखों वीरगति को प्राप्त हो गए।
शहादत के बाद निर्मलजीत सिंह सेखों को परमवीर चक्र से नवाजा गया। उनकी पत्नी विधवा हो चुकी थीं, लेकिन उन्हें निर्मलजीत पर गर्व था। देश के लिए शहीद होने वाले निर्मलजीत सिंह सेखों परमवीर चक्र पाने वाले पहले वायु सैनिक भी बने। आखिरकार युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को मात दी। निर्मलजीत का बलिदान सार्थक हो गया।