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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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पाकिस्तान को चटाई थी धूल, 1999 में तोलोलिंग पर कब्जा पर भारत ने पलट दी थी बाजी

पाकिस्तान के धोखे का ही नतीजा था कारगिल युद्ध (Kargil War)। वही कारगिल युद्ध, जिसमें एक बार फिर से पाकिस्तान के दांत भारत ने खट्टे कर दिये थे।
Information Anupam Kumari 2 August 2020
पाकिस्तान को चटाई थी धूल, 1999 में तोलोलिंग पर कब्जा पर भारत ने पलट दी थी बाजी

वह साल था 1999 का। देश के प्रधानमंत्री थे अटल बिहारी वाजपेयी। पाकिस्तान (Pakistan) चुपचाप एक बड़ी साजिश रचने में जुटा हुआ था। भारत के खिलाफ कुछ बड़ा करने की योजना पर वह काम कर रहा था। आखिरकार उसके नापाक इरादों का पता चल ही गया। दोस्ती की आड़ में धोखा देने की जबर्दस्त योजना पाकिस्तान बनाये जा रहा था।

पाकिस्तान के धोखे का ही नतीजा था कारगिल युद्ध (Kargil War)। वही कारगिल युद्ध, जिसमें एक बार फिर से पाकिस्तान के दांत भारत ने खट्टे कर दिये थे। वही कारगिल युद्ध, जिसने पाकिस्तान की उसकी औकात फिर से याद दिला दी थी। वही कारगिल युद्ध, जिसमें पाकिस्तान के भारतीय सेना ने छक्के छुड़ा दिये थे। यह युद्ध लगभग दो माह तक चला था।

भारत ने अपनाया आक्रामक रुख

कारगिल के वे इलाके जो सामरिक रूप से बड़े ही महत्वपूर्ण थे, इन पर पाकिस्तान ने अपना कब्जा जमा लिया था। धोखे से पाकिस्तान ने ऐसा किया था। सीमा से ये इलाके सटे हुए थे। हालांकि, भारत को पता चल ही गया कि पाकिस्तान कैसे धोखा दे रहा है। इसके बाद भारत का रुख पाकिस्तान के प्रति एकदम आक्रामक हो गया था। कई ऑपरेशान भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ एक के बाद एक शुरू कर दिये गये। ऑपरेशन तोलोलिंग भी इन्हीं ऑपरेशन में से एक था।

श्रीनगर लेह राजमार्ग पर तोलोलिंग (Tololing) स्थित है। रणनीतिक तौर पर इस इलाके को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। सामरिक दृष्टि से इसका महत्व इसलिए भी हैं, क्योंकि यह बेहद ऊंचाई पर स्थित है और युद्ध की स्थिति में इसका लाभ मिलता है।

तोड़ दी थी पाकिस्तान की कमर

इसी तोलोलिंग पर पाकिस्तान ने अपना कब्जा जमा लिया था। भारतीय सेना (Indian Army) ने भी इस ऑपरेशन के जरिए पाकिस्तान की हेकड़ी निकालने की सोच ली थी। हुआ भी बिल्कुल यही था। पाकिस्तानी सेना की तो भारतीय सेना ने कमर ही तोड़ कर रख दी थी। जिस दिन पाकिस्तान को भारतीय जांबाजों ने उसकी औकात दिखाई, वह दिन था 13 जून, 1999 का। तोलोलिंग की चोटी पर एक बार फिर से हमार देश के वीर सपूतों ने तिरंगा फहरा दिया था। पाकिस्तान को भारत ने इस तरह से अपना पराक्रम भी दिखा दिया था।

मजबूत स्थिति में था पाकिस्तान

परिस्थितियां आसान नहीं थीं। वह इसलिए कि बहुत ही ऊंचाई पर तब दुश्मन चढ़कर बैठा हुआ था। यहां से भारत की हर गतिविधि पर दुश्मन की नजरें टिकी हुई थीं। तोलोलिंग की चोटी पर जाकर पाकिस्तान बैठा हुआ था और उसे इस बात का पूरा भरोसा था कि यहां से उसे भारत अब हटा नहीं पायेगा। पाकिस्तान इतनी मजबूत स्थिति में यहां था कि एक पत्थर भी यदि वह वहां से गिरा देता तो बड़ा नुकसान भारतीय सेना को उठाना पड़ता।

तोलोलिंग पर लहराया तिरंगा

पाकिस्तान की उम्मीदों के विपरीत भारतीय सैनिकों ने अपने इरादे बुलंद रखे। इतने प्रतिकूल हालात होने के बावजूद उन्होंने ठान लिया कि वे तोलोलिंग की चोटी को वापस हासिल करके रहेंगे। जज्बा तब भारतीय सैनिकों का देखने लायक था। भारतीय फौज ने पूरी ताकत के साथ तोलोलिंग की चोटी को पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त कराने के लिए संघर्ष किया। यह कामयाब भी हुआ। भारतीय सैनिकों की वीरता के सामने पाकिस्तान टिक ही नहीं सका। आखिरकार उन्होंने बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और तोलोलिंग पर एक बार फिर से तिरंगे को लहरा दिया। कारगिल युद्ध के दौरान तोलोलिंग फतेह भारतीय सेना की सबसे बड़ी जीत में से एक था।

इस जीत का महत्व इसलिए भी था, क्योंकि इसकी वजह से युद्ध में भारत अब और मजबूत स्थिति में पहुंच गया था। वही युद्ध का वह प्वाइंट था, जहां से बाजी पलटने लगी थी और भारत का पलड़ा भारी होने लगा था।

राजपूताना रायफल्स का कमाल

तोलोलिंग की चोटी पर फतेह हासिल करने को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स में लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) मोहिंदर पुरी के हवाले से बताया गया था कि वे अपने हेडक्वार्टर इस ऑपरेशन से पहले लौट गये थे। वहां पहुंचने के साथ ही उन्हें फोन पर यह जानकारी दी गई थी कि तोलोलिंग पर राजपूताना राइफल्स के जवानों ने कब्जा जमा लिया है।

निश्चित तौर पर भारत के लिए इस जीत का बड़ा महत्व था, क्योंकि यहीं से भारत की जीत का मार्ग भी प्रशस्त हो गया था। भारतीय सेना के आगे तब पाकिस्तान भीगी बिल्ली बना नजर आया था। आज भी भारतीय सेना के उस पराक्रम को याद किया जाता है।

Anupam Kumari

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