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सी-वोटर के सर्वे : कोरोना ने बढ़ा दी प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता!

सी-वोटर के सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि क्या सरकार संकट से सही तरीके से निपट रही है, तो 93.2 फीसदी लोगों ने इस बात में हां कही।
Information Taranjeet 27 April 2020
सी-वोटर के सर्वे कोरोना ने बढ़ा दी प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता!

कोरोना संकट से निपटने को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को काफी अच्छी अप्रूवल रेटिंग मिली है और सी-वोटर के COVID-19 सर्वे में ये बात सामने आई है। सी-वोटर के सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि क्या सरकार संकट से सही तरीके से निपट रही है, तो 93.2 फीसदी लोगों ने इस बात में हां कही और सरकार के फैसलों के प्रति सहमति दिखाई, जबकि सिर्फ 5.6 फीसदी लोगों ने ही असहमति जताई है। जब ये डेटा मीडिया में हेडलाइन्स बना रहा है, तब थोड़ी गहराई में उतरकर ये समझने की जरूरत है कि इस हाई अप्रूवल रेटिंग के पीछे की वजह क्या है।

मार्च के आखिर में अचानक उछाल

अगर कोई पूरे सी-वोटर ट्रैकर को देखे, तो इसकी शुरुआत 16 मार्च को हुई थी, इससे दिखता है कि शुरुआत में भी मोदी सरकार के पास करीब 75 फीसदी की हाई अप्रूवल रेंटिग थी। हालांकि मार्च के आखिर और अप्रैल की शुरुआत के बीच तेज उछाल से अप्रूवल रेटिंग 90 फीसदी से ऊपर पहुंच गई है। ये तेज उछाल उसी समय हुआ है, जब उन लोगों के अनुपात में भी उछाल आया, जो मानते हैं कि COVID-19 का खतरा वास्तविक है। सी-वोटर सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि क्या आप मानते हैं कि COVID-19 के खतरे को बढ़ा चढ़ाकर बताया जा रहा है, तो 16 मार्च से 31 मार्च तक करीब 31 से 38 फीसदी लोग इस बात से असहमत दिखे हैं, लेकिन 1 अप्रैल को ये आंकड़ा 47 फीसदी तक चला गया और 3 अप्रैल तक ये 50 फीसदी से ऊपर रहा है।

सी-वोटर सर्वे के एक और डेटा में इसी तरह का उछाल देखा गया है। वहीं मार्च के आखिर से अप्रैल के पहले हफ्ते के दौरान उन लोगों के अनुपात में तेज उछाल आया जिन्हें डर था कि उन्हें भी COVID-19 हो सकता है। जब लोगों से पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि आपको या आपके परिवार में किसी को COVID-19 हो सकता है, तो 30 मार्च तक इस डर को महसूस करने वाले 30-36 फीसदी लोग थे, लेकिन 1 अप्रैल को ये आंकड़ा बढ़कर 45 फीसदी तक पहुंच गया और ये तब से 40 फीसदी से ऊपर ही रहा है। ऐसे में देखा जा सकता है कि मोदी सरकार की अप्रूवल रेटिंग में तेज उछाल COVID-19 के डर से जुड़े उछाल के समय ही हुआ है।

‘रैली राउंड द फ्लैग इफैक्ट’

ये हैरानी की बात नहीं है। खतरे की धारणा की वजह से पीएम मोदी की लोकप्रियता लगातार बढ़ी है और भले ही साल 2016 में उरी हमले के बाद की बात हो या फिर फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद की। इन दोनों मामलों में पीएम मोदी को इस तरह देखा गया था कि उन्होंने निर्याणक कार्रवाई की। यही बात COVID-19 संकट को लेकर कही जा सकती है। सरकार के असल प्रदर्शन पर ध्यान दिए बिना धारणा है कि ये निर्णायक रहा है, मुख्य तौर पर कड़े लॉकडाउन की वजह से। मार्च के आखिर और अप्रैल के पहले हफ्ते में मोदी सरकार की अप्रूवल रेटिंग्स में उछाल के समय एक और बड़ी चीज हुई थी, जो कि दिल्ली में तबलीगी जमात के कार्यक्रम के चलते COVID-19 के प्रसार से जुड़ा विवाद था। ये लगभग वही समय था जब मीडिया के बड़े हिस्से का ध्यान प्रवासी कामगारों के संकट से हटकर तबलीगी जमात की तरफ चला गया था।

ये भी संभव है कि महामारी के खतरे में साम्प्रदायिक एंगल के जुड़ने से भी जनसंख्या के एक हिस्से में मोदी के लिए समर्थन बढ़ा हो। असल में संकट के वक्त सत्तारूढ़ के लिए समर्थन भारत तक ही सीमित नहीं है। ये अक्सर दुनियाभर में होता रहता है और अक्सर इसे ‘रैली राउंड द फ्लैग इफैक्ट’ के तौर पर जाना जाता है, अमेरिका में सबसे पहले इस टर्म का इस्तेमाल हुआ था। सत्तारूढ़ अक्सर इस इफैक्ट का इस्तेमाल अपने प्रदर्शन से संबंधित आलोचना में कमी सुनिश्चित करने के लिए करते हैं। Gallup-सी-वोटर सर्वे के मुताबिक, COVID-19 संकट के दौरान दुनियाभर में, यहां तक कि बुरी तरह प्रभावित इटली जैसे देशों में भी, लोगों का झुकाव सत्ता के समर्थन की तरफ रहा है।

पीएम मोदी भी इस दिशा में दिखे कि अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए ‘रैली राउंड द इफैक्ट’ को कैसे इस्तेमाल में लाया जाए। इसकी झलक तब दिखी जब उन्होंने लोगों से 5 अप्रैल को रात 9 बजे 9 मिनट तक मोमबत्ती जलाने और उससे पहले ताली बजाने के लिए अपील की थी। इस दौरान मोदी सरकार की अप्रूवल रेटिंग में तेज उछाल देखा गया था।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.