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कोरोना पर भारी पड़ी मां की ममता जिसे देख नर्स और डॉक्टर्स की भी आखें नम हो गयी

Information Komal Yadav 18 April 2021
कोरोना पर भारी पड़ी मां की ममता जिसे देख नर्स और डॉक्टर्स की भी आखें नम हो गयी

बिहार DMCH,  में एक माँ अपने 5 महीने के कोरोना पॉजिटिव बच्चे के लिए मां का फर्ज देख सभी की आंखें भर आयी । खुद कोरोना से Negative होने के बाद भी एक माँ ने कोरोना पॉजिटिव बच्चे को अपने सीने से लगा के रखा हैं।

5  महीने का बच्चा हुआ कोरोना पॉजिटिव

दरअसल, DMCH में एक 5 महीने के बच्चे की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव थी जिससे उसे हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। हालाँकि बच्चे की मां और उसके पिता दोनों की रिपोर्ट निगेटिव थी। बच्चे की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद पिछले दो दिनों से बच्चे को आइसोलेशन वार्ड (Isolation ward)में रखा गया और बच्चे की माँ को उस वॉर्ड के बाहर बैठती

इस बच्चे का दो दिनों से रो रो कर हाल बेहाल हो गया था। जाहिर सी बात है एक नन्ही सी जान आखिर कब तक अपनी माँ के बिना रह सकती है। बच्चा पूरी-पूरी रात रोता और उसकी रोने की आवाज सुनकर उसकी माँ वॉर्ड के बहार बिलख बिलख कर रोती। हालाँकि बच्चे की ये हालत उसकी मां  से देखि नहीं गयी और एक माँ की ममता कोरोना पर भरी पड़ गयी। उस माँ बिना अपनी जान की परवाह किये अपने बच्चे को अपने सीने से लगाने का निर्णय कर लिया।

माँ की ममता के आगे नहीं चला किसी का जोर

बस फिर क्या था माँ अपने बच्चे को स्तनपान करने के लिए आइसोलेशन वॉर्ड में जाने की जिद पे अड़ गयी हालाँकि उसकी इस जिद पर नर्स, डॉक्टर और गार्ड सभीने उसे रोकने की कोशिश की पर एक मां की ममता को कोई नहीं रोक पाया। बिना PPE किट पहने वो माँ आइसोलेशन वॉर्ड के अंदर गयी और अपने बच्चे को स्तनपान करने लगी। माँ की गोद में आते ही बच्चा मुस्कुराते हुए माँ का स्तनपान करने लगा। माँ की अपने बच्चे के लिए ममता देखकर सभी लोगो की आखें नम हो गयी।

कोरोना नेगिटिव होकर भी इस माँ ये अपने कोरोना पॉजिटिव बच्चे को अपने सीने से लगते वक्त बिलकुल भी नहीं कतराई और बीना कुछ सोचे समझे मौत के मुँह में जाने को तैयार हो गयी। उस माँ ने बिना किसी सुरक्षा कवच के आइसोलेशन वॉर्ड में जाने का फैसला लिया और अपने बच्चे को अपनी गोद में लेकर उसकी सेवा में लग गयी।

माँ-बाप की ममता का कोई मोल नहीं होता

हालाँकि इस हॉस्पिटल में कुछ ही दिन पहले एक पिता की कोरोना की वजह से मौत हो गयी लेकिन उनके बेटे ने अपने पिता का सव ले जाने से मना कर दिया उसके बाद किसी समाज सेवी संस्था ने उस पिता के दाह-संस्कार किया इससे साफ़ जाहिर होता है की बच्चे परस्थिति के हिसाब से बदलना जानते है लेकिन माँ-बाप उन परस्थिति का डटकर सामना भी करते है और अपने बच्चो के लिए अपनी जान भी दावपे लगा देते है।

Komal Yadav

Komal Yadav

A Writer, Poet and Commerce Student