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एमपी के लिए सीएम लेकर पहुंचे थे मोतीलाल वोरा, मगर खुद ही बन गए सूबे के मुखिया

Information Anupam Kumari 26 February 2021
एमपी के लिए सीएम लेकर पहुंचे थे मोतीलाल वोरा, मगर खुद ही बन गए सूबे के मुखिया

एक वक्त मध्य प्रदेश कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। वर्ष 1985 में यहां विधानसभा चुनाव हो रहे थे। चुनाव के नतीजों का सभी को बेसब्री से इंतजार था। आखिरकार चुनाव परिणाम घोषित कर दिए गए।

अर्जुन सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। जनता उनके काम को पसंद कर रही थी। इसलिए एक बार फिर से चुनाव में कांग्रेस जीत गई थी। अर्जुन को विधायक दल का नेता चुन लिया गया था। इस तरह से उन्होंने एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी। अर्जुन ने 12 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था।

अर्जुन सिंह पहुंचे राजीव गांधी से मिलने

मुख्यमंत्री बनने के साथ ही वे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के आमंत्रण पर दिल्ली पहुंचे थे। राजीव गांधी इंदिरा कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उस वक्त मोतीलाल वोरा (Motilal Vora) मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे। वे भी अर्जुन सिंह के साथ दिल्ली पहुंच गए थे।

राजीव गांधी और अर्जुन सिंह की मुलाकात हुई। राजीव गांधी ने अर्जुन सिंह को एक ऑफर दिया। उन्होंने उनसे कहा कि वे पंजाब के राज्यपाल (Governor of Punjab) की जिम्मेवारी संभाल लें। पंजाब की स्थिति तब तक बहुत बिगड़ चुकी थी।

खड़ा हो गया यह सवाल कि मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा ?

आखिरकार अर्जुन सिंह इसके लिए तैयार हो गए। बातचीत राजीव और अर्जुन सिंह के बीच हो रही थी। मोतीलाल वोरा भी वहां थे। मध्य प्रदेश कांग्रेस के कई नेता भी वहीं पर थे। अब सवाल था कि मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा।

राजीव गांधी ने अर्जुन सिंह से यह सवाल किया। उन्होंने उनसे पूछा कि भोपाल में आपकी जगह किसे दे दी जाए। सारे कांग्रेसी नेता वहां खड़े थे। अर्जुन सिंह ने इशारा करके कहा वोरा। इस तरह से मोतीलाल वोरा के मुख्यमंत्री बनने पर मुहर लग गई।

मोतीलाल वोरा बन गए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री

अगले ही दिन मोतीलाल वोरा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिए गए। यह तारीख 13 मार्च की थी। अर्जुन सिंह के मुख्यमंत्री बनने के अगले ही दिन की यह तारीख थी। कई लोग इसके बारे में कुछ और भी बताते हैं। वे कहते हैं कि कांग्रेसियों की ओर इशारा करते वक्त अर्जुन ने ‘वो रहा’ कहा था। राजीव गांधी इसे ठीक से नहीं समझ सके थे।

उन्होंने समझा कि अर्जुन सिंह ने वोरा कहा है। इस तरह से मोतीलाल वोरा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए थे।

फिर से बदलनी थी मुख्यमंत्री की कुर्सी

बीच में मध्य प्रदेश का राजनीतिक घटनाक्रम खूब बदला। एक बार फिर से अर्जुन सिंह पंजाब से वापस बुला लिए गए थे। उन्हें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया था। फिर 1989 का साल आया। जनवरी में राजीव गांधी मुख्यमंत्रियों को खूब बदल रहे थे। कैबिनेट मंत्री भी वे बदल रहे थे। अर्जुन सिंह को भी बदलना था। दिल्ली उन्हें लाना था। इंदिरा कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अर्जुन नियुक्त कर दिए गए थे।

माधव राव सिंधिया को मिली जिम्मेवारी

अब अर्जुन सिंह की जगह किसी और को मुख्यमंत्री बनाना था। यह जिम्मेवारी माधव राव सिंधिया को दी जा रही थी। वे तब केंद्र सरकार में रेल मंत्री थे। भोपाल के लिए वे हवाई जहाज से रवाना हो गए। सिंधिया अकेले भोपाल नहीं गए। उनके साथ मोतीलाल वोरा भी गए थे। भोपाल ये दोनों ही नेता पहुंच गए थे। हालांकि, सिंधिया के मन में कुछ और चल रहा था।

दिल्ली छोड़ने का उनका मन नहीं था। दिल्ली से उन्हें बड़ा प्यार था। भोपाल पहुंचने के बाद वे एयरपोर्ट से बाहर निकले। फिर उन्होंने टेलीफोन बूथ खोजना शुरू किया। किसी तरह से एक टेलीफोन बूथ मिला।

फोन पर की राजीव गांधी से बात

उन्होंने राजीव गांधी से फोन पर बात की। उन्हें बताया कि वे मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहते हैं। शुरू में राजीव गांधी तैयार नहीं थे। आखिरकार, राजीव गांधी उनकी बात मान गए। अब सवाल था कि मुख्यमंत्री बनेगा कौन? माधवराव सिंधिया ने मोतीलाल वोरा का नाम उन्हें सुझा दिया। इस तरह से मोती लाल वोरा के नाम पर एक बार फिर से मुहर लग गई।

वोरा फिर से मुख्यमंत्री बन गए। उन्होंने 25 जनवरी, 1989 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इस तरह से दूसरी बार वे एक ही विधानसभा में मुख्यमंत्री बन गए थे। यह विधानसभा वर्ष 1985 से 1990 तक चली थी। मोतीलाल वोरा ने हमेशा इसका एहसान भी माना। अर्जुन सिंह और माधवराव सिंधिया के वे हमेशा एहसानमंद रहे। उन्होंने हमेशा यह माना कि मुख्यमंत्री वे इन्हीं दोनों की वजह से बने।

फिर सिंधिया भी बनना चाहते थे मुख्यमंत्री

बाद में हालांकि सिंधिया भी मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। उन्हें जब अवसर मिला था, तो उन्होंने मना कर दिया था। अब जब वे मुख्यमंत्री बनना चाह रहे थे, तब बाजी दिग्विजय सिंह मार ले गए थे। इसलिए कि नरसिंह राव तब तक आ गए थे। चीजें बहुत बदल गई थीं।

Anupam Kumari

Anupam Kumari

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