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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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गये तो बहुत रूस के दर्गाव्स गांव में, मगर आज तक लौट के आ सका न कोई

Information Anupam Kumari 30 January 2021
गये तो बहुत रूस के दर्गाव्स गांव में, मगर आज तक लौट के आ सका न कोई

रूस में एक अनोखा गांव है। इस गांव का नाम दर्गाव्स है। यह उत्तरी ओसेटिया में स्थित है। यह एकदम वीरान इलाका है। यह एक खास वजह से दुनियाभर में मशहूर है। इसे मुर्दों का शहर भी कहते हैं। इसे ऐसा कहने के पीछे एक बहुत बड़ी वजह है। यहां आपको बहुत सी इमारतें बनी हुईं दिख जाएंगी। सफेद पत्थरों से ये इमारतें तैयार की गई हैं।

इमारतों में दफन हैं लाशें

तहखाने जैसी ये इमारतें नजर आती हैं। कई इमारतें इनमें से चार मंजिला भी हैं। इमारतों में दरअसल लाशें दफनाए गई हैं। जी हां, हर मंजिल में यहां लोगों के शव दफन किए हुए मिलते हैं। जितनी ऊंची इमारत, उसमें उतनी ही अधिक लाशें दफनाए गई हैं। दर्गाव्स गांव के बारे में कहा जाता है कि कोई भी यहां से लौटकर नहीं आता। यह इलाका पूरी तरह से सुनसान है। यहां पहुंचने की हिम्मत भी कोई नहीं करता है।

एक-एक परिवार के लिए

ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच दर्गाव्स गांव स्थित है। स्थानीय लोग यहां अपने परिजनों को मरने के बाद दफना देते थे। बताया जाता है कि यह एक बहुत बड़ा कब्रिस्तान है। इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था। जितनी भी इमारतें हैं, सभी का संबंध एक-एक परिवार से है। हर इमारत में एक खास परिवार के सदस्यों की ही लाशें दफनाई गई हैं।

गुफाओं जैसी संरचना

इस जगह के बारे में कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। ये इमारतें गुफाओं के जैसी नजर आती हैं। ऐसा कहते हैं कि जो इनमें चला गया, वह लौट कर कभी भी नहीं आता है। वैसे, इस रहस्यमई जगह को देखने के लिए पर्यटक भी इसके आसपास पहुंचते रहते हैं। दर्गाव्स तक पहुंचना बिल्कुल भी आसान नहीं है।

आसान नहीं है पहुंचना

एक तो यहां ऊंची-ऊंची पहाड़ियां हैं। ऊपर से यहां तक पहुंचने का रास्ता बहुत ही तंग है। कई घंटे यहां पहुंचने में लग जाते हैं। मौसम भी यहां का अच्छा नहीं रहता है। इस वजह से रास्ता और दुर्गम हो जाता है। कई तरह की बाधाओं को पार करके यहां पहुंचना संभव हो पाता है। इसलिए यहां पहुंचने के लिए बड़े ही हिम्मत की जरूरत होती है।

वास्तव में इस गांव को देख कर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इसे सिर्फ देखने मात्र से लोगों को डर का एहसास होने लगता है। पुरातत्वविदों ने भी इसके बारे में काफी कुछ बताया है। उन्होंने यहां पर खुदाई भी की है।

मिली हैं नावें

कई नावें यहां पुरातत्वविदों को मिली हैं। ये नावें उनके मुताबिक कब्र के पास से बरामद हुई हैं। इन नावों के बारे में स्थानीय लोग तरह-तरह की बातें करते हैं। वे इसे आत्मा से जोड़ते हैं। उनका मानना है कि स्वर्ग तक पहुंचने के लिए एक नदी को पार करना होता है। इसी नाव पर सवार होकर आत्मा स्वर्ग तक पहुंचती है। यही वजह है कि नाव पर रखकर ही इन शवों को दफनाने के लिए ले जाया जाता था।

हर इमारत के सामने कुआं

पुरातत्वविदों ने इस जगह की अच्छी तरह से छानबीन की है। उन्होंने तहखानों की जांच की है। यहां की इमारतों के ढांचों का उन्होंने अध्ययन किया है। इस दौरान पुरातत्वविदों को एक कुआं भी मिला है। हर तहखाने के सामने एक कुआं बना हुआ है। इन कुओं के बारे में भी लोग कई तरह की बातें करते हैं। लोग बताते हैं कि इन कुओं में सिक्का फेंका जाता था। लोग जब अपने परिजनों को दफना देते थे, तो वे इसमें सिक्का भी फेंक देते थे।

सिक्कों की कहानी

नीचे तह में मौजूद पत्थरों से सिक्कों के टकराने का एक खास मतलब हुआ करता था। लोग यह मानते थे कि पत्थर से सिक्के टकराने का अर्थ आत्मा का स्वर्ग तक पहुंचना है। सिक्का यदि पत्थर से नहीं टकराया, तो इसका अर्थ यह हुआ कि आत्मा स्वर्ग तक नहीं पहुंच पाई है।

यहां के लोगों की बातों पर यकीन करना आसान नहीं है। ये बातें ज्यादा अंधविश्वास ज्यादा प्रतीत होती हैं। फिर भी ये मान्यताएं लंबे समय से चली आ रही हैं। रूस का दर्गाव्स अक्सर चर्चा में आ जाता है। इसे देखने की चाहत बहुत से लोग रखते हैं। हालांकि, हर किसी का यहां पहुंचना मुमकिन नहीं हो पाता।

Anupam Kumari

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