
चालाक कौआ के बारे में आपने बचपन में तो पढ़ा ही होगा। यह एक ऐसी कहानी है, जिसे हम सबने पढ़ा है। कौए को प्यास लगी थी। घड़े में पानी बहुत नीचे था। उसने पास में पड़े छोटे-छोटे पत्थर देखे। एक-एक करके उसने इन पत्थरों को घड़े में डालना शुरू किया। आखिरकार घड़ा भर गया। पानी ऊपर आ गया। कौए की प्यास बुझ गई।
चालाक कौए की कहानी आपने कहानी की किताबों में पढ़ी है। यह एक काल्पनिक कहानी है, लेकिन ब्रिटेन में हकीकत में एक चालक हुआ हुआ था। यह बहुत ही मशहूर हो गया था। इसका नाम बेट्टी था। किसी तार को यह उठा लेता था। उसे मोड़ देता था। मोड़ कर हुक का शक्ल दे देता था। फिर इसे इस्तेमाल में लाता था। अपने लिए भोजन इसकी सहायता से वह जुटाता था।
वर्ष 2002 में ऐसा हुआ था। हर कोई इस कौए के बारे में जानकर हैरान था। सब यही सोचते थे कि यह कौआ आखिर ऐसा करता कैसे है? वैज्ञानिक भी इस पर मंथन कर रहे थे। उनके दिमाग में भी सवाल उठ रहे थे। कैसे एक कौआ इतनी पेचीदा समस्या का हल निकाल रहा था? कैसे इंसानों की तरह उसका दिमाग काम कर रहा था? पेचीदा सवालों के जवाब वह आसानी से तलाश रहा था।
वैज्ञानिक सोच रहे थे कि कितना चालाक था यह कौआ । बिल्कुल उसी किताब वाले चालाक कौआ की तरह था। वही कौआ जिसका किस्सा बचपन में हम पढ़ते थे। एकदम हकीकत में ऐसा कौआ सामने था। इंसानों जैसी उसकी हरकतें थी।
अब आपको एक हैरान करने वाली बात बताते हैं। दरअसल बेट्टी नाम था इस चालाक कौए का। वैसे बेट्टी ही सिर्फ नहीं था। और भी बहुत से ऐसे कौए हैं। ये बड़े ही चालाक होते हैं। इस पर एक रिसर्च किया गया। रिसर्च में चैंकाने वाली बातें सामने आईं।
बेट्टी नामक कौए का नस्ल पता चल गया। वह न्यू केलेडोनियन क्रो नस्ल का था। इस प्रजाति के कौवे बड़े ही खास होते हैं। ये काफी चतुर होते हैं। छोटी चीजों को ये कौए औजार बना लेते हैं। औजार बनाकर वे इन्हें इस्तेमाल में लाते हैं।
रिसर्च में और भी बातें पता चलीं। वैज्ञानिकों ने इसके बारे में एक नतीजा दिया। बताया कि प्राकृतिक रूप से ही ये चतुर होते हैं। ब्रिटेन की सेंट एंड्रयूज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक क्रिस्चियन रट्ज इस रिसर्च का हिस्सा थे। उन्होंने कहा कि बेट्टी के बर्ताव ने हमें चकित कर दिया। इसे देखते हुए कौए बारे में हम अपनी राय में बदलाव को मजबूर हो गए।
पिछले कई वर्षों से वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं। अलग-अलग नस्लों के कौओं के दिमाग पर खूब रिसर्च हुआ है। कौओं में भी ज्ञान होता है। इसे लेकर हैरान कर देने वाली उनकी क्षमताओं का पता चला है।
बुद्धिमता विकसित कैसे हुई? बुद्धिमता होती क्या है? कौए इन सवालों का जवाब तलाशने में बड़ी मदद कर रहे हैं। हमारे दिमाग में एक विशेष संरचना होती है। इसे नियोकॉर्टेक्स कहते हैं। हमारे दिमाग में ज्ञान से जुड़ीं नई संभावनाएं यही पैदा करता है। कौए के दिमाग में नियोकॉर्टेक्स नहीं पाया गया। पता चला कि उनके दिमाग में तंत्रिकाओं का जाल बिछा है। इसी से उनमें ज्ञान संबंधी क्षमता होती है।
दिमाग कौआ और इंसानों का अलग-अलग है। फिर भी समस्या का समाधान निकालने की क्षमता दोनों में एक जैसी है। क्रिश्चियन रट्ज नस्ले के कौए और बाकी परिंदों पर खूब रिसर्च हुआ है। पता चला है कि एक विशेष नस्ल के पौधे के जड़ की तलाश कौवे करते हैं। इसी से वे हुक जैसा औजार तैयार कर लेते हैं।
इस पौधे की जड़ को पत्तियों के बीच छुपा देने पर भी इन कौओ ने उसे ढूंढ़ कर निकाल लिया। इस तरीके से उन्हें यह मालूम था कि औजार बनाने के लिए उन्हें एक विशेष प्रकार के पौधे की जड़ चाहिए। इस वजह से वे जंगलों में अपने बिल में छुपे कीट-पतंगों को बाहर निकाल लेते हैं। फिर वे उन्हें अपना आहार बना लेते हैं। कौवे कितने चालाक होते हैं, यह जानने के लिए दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अब भी रिसर्च चल रहा है।