
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में जंग हुआ था। भारत के खिलाफ ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम पाकिस्तान ने चलाया था। अखनूर शहर पर पाकिस्तानी टैंक ने हमला किया था। उस वक्त एयर चीफ अर्जन सिंह थे।
पाकिस्तानियों को सबक सिखाने की योजना उन्होंने बना ली। भारतीय वायु सेना की उन्होंने अगुवाई की। इस लड़ाई में एयर मार्शल अर्जन सिंह ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
एयर मार्शल के पद पर सबसे लंबे वक्त तक अर्जन सिंह ने सेवा दी है। भारतीय वायु सेना के इतिहास में उनके नाम यह रिकॉर्ड है। भारत जब 1950 में गणराज्य बना तो अर्जन सिंह को ऑपरेशनल ग्रुप का कमांडर नियुक्त किया गया था।
एयर फोर्स की बहुत गहरी जानकारी अर्जन सिंह रखते थे। उन्हें किसी से डर नहीं लगता था। पाकिस्तान के खिलाफ 1965 की जंग में उनके नेतृत्व का खूब लाभ मिला। भारतीय वायुसेना ने उनकी अगुवाई में पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए।
पाकिस्तान की सीमा में घुसकर उसके कई एयर फील्ड्स को भारत ने नष्ट कर दिया था। अर्जन सिंह के कारण ही पाकिस्तानी वायु सेना को जीत नहीं नसीब हो सकी। अमेरिका जबकि पाकिस्तानी वायु सेना को सहयोग कर रहा था। फिर भी पाकिस्तानी वायु सेना की हवा निकल गई थी।
अर्जन सिंह को ऐसे अभियान का अच्छा अनुभव था। वे 1944 में जापान के विरुद्ध अराकान अभियान का भी हिस्सा थे। इस दौरान उन्होंने एक स्क्वाड्रन की अगुवाई की थी।
पाकिस्तान ने जब 1965 के युद्ध में अखनूर पर धावा बोला तब अर्जन सिंह ने भारतीय वायु सेना का नेतृत्व किया। पाकिस्तान के हमले की जैसे ही खबर मिली रक्षा मंत्रालय ने सभी सेना प्रमुखों को बुला लिया था। अर्जन सिंह से तब पूछा गया था कि कितने समय में वे पाकिस्तान के बढ़ते टैंकों पर धावा बोल सकते हैं।
अर्जन सिंह ने तब एक घंटा का समय मांगा था। उन्होंने अपना वादा निभाया। एक घंटे से भी कम समय में भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तानी टैंक पर हमला बोल दिया। पाकिस्तानी सेना की हालत भारतीय वायु सेना ने पतली कर दी। पाकिस्तान को इस युद्ध में हार का मुंह देखना पड़ा।
पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल अयूब खान के इरादे नापाक थे। उन्होंने 1965 की जंग में ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम चलाया था। इसके जरिए कश्मीर पर पाकिस्तान कब्जा जमाना चाह रहा था। कश्मीर को अपने कब्जे में लेने के लिए ही यह हमला किया गया था।
इसके बारे में बताया जाता है कि इस हमले के जरिए पाकिस्तान कश्मीर को हड़प सकता था। हालांकि, अयूब खान को भारतीय सेना की क्षमता का अंदाजा नहीं था। अयूब खान को यह भी नहीं मालूम था कि भारतीय वायु सेना कितनी ताकतवर है। तभी तो भारतीय वायु सेना ने जब हमला किया तो 1 घंटे में ही पाकिस्तान निबट गया। पाकिस्तान की पूरी योजना धरी की धरी रह गई। पाकिस्तान को 1965 की जंग कुछ भी नहीं मिल सका।
सभी जानते हैं कि पाकिस्तान को 1965 की जंग में अमेरिका से खूब सहयोग मिला था। अमेरिकी सहयोग के कारण पाकिस्तान की वायु सेना मजबूत हो गई थी। इसके बावजूद भारतीय वायु सेना का सामना करने में पाकिस्तानी वायु सेना के पसीने छूट गए। आखिरकार इस युद्ध में भारत की विजय हुई।
अर्जन सिंह को भारत की जीत का श्रेय तो जाता ही है। उन्होंने सर्वोच्च रैंक हासिल कर लिया था। फिर भी वे विमान उड़ाते रहे थे। यहां तक कि अपनी सेवानिवृत्ति से ठीक पहले तक अर्जन सिंह विमान उड़ाते थे। उन्होंने अपने करियर के दौरान लगभग 60 प्रकार के विमान उड़ाए थे।
द्वितीय विश्व युद्ध से पहले भी उन्होंने कई विमान उड़ाए थे। इसके अलावा परिवहन विमान उड़ाने में भी अर्जन सिंह सक्षम थे।
पंजाब के लायलपुर में अर्जुन सिंह का जन्म 15 अप्रैल, 1919 को हुआ था। इसी को आज पाकिस्तान में फैसलाबाद के नाम से जाना जाता है। भारतीय वायु सेना में अर्जन सिंह को अकेला फाइव स्टार रैंक अधिकारी होने का गौरव मिला था।
जो सर्वोच्च सम्मान उन्हें हासिल हुआ, आज तक सेना में केवल तीन अधिकारियों को ही वह मिल सका है। सैम मानेक शा और केएम करियप्पा को भी यह सम्मान दिया गया था।
भारतीय वायु सेना में अर्जन सिंह का बड़ा सम्मान रहा। पश्चिम बंगाल के पानागढ़ एयरबेस का नाम उनके सम्मान में अर्जुन सिंह एयरबेस कर दिया गया।