
भारतीय जनता पार्टी की सरकार इस बार यूपी के दंगल में प्रत्यक्ष रूप से सामने उतरी है| इस बार भाजपा पुरे प्रदेश में चुनाव लड़ रही है
डेढ़ दशक बाद यह पहला मौक़ा है जब बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के पिछलग्गू बानी पड़ी भारतीय जनता पार्टी की सरकार इस बार यूपी के दंगल में प्रत्यक्ष रूप से सामने उतरी है| इस बार भाजपा पुरे प्रदेश में चुनाव लड़ रही है , कहीं बहुजन समाज पार्टी से तो कही समाजवादी पार्टी से|
हालाँकि भाजपा ने अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार का काम उजागर नही किया है लेकिन भाजपा समर्थकों का कहना है कि यहाँ के लिए “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम ही काफी है “| ज्ञात हो कि बनारस जो कि धर्म की नगरी और मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है वो पूर्वांचल का एक बड़ा ही अभिन्न अंग है जहाँ विशेष तौर पर हिन्दू वोट बैंकिंग है| साथ ही यहाँ की आम जनता प्रधानमन्त्री के साथ दिखाई दे रही है|
पूर्वांचल में भाजपा के साथ गठबंधन की हुई दोनों ही पार्टी – अपना दल और भारतीय समाज पार्टी पर भाजपा को पूरा भरोसा है कि वे भी पूर्वांचल चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेंगी| ये दोनों ही पार्टियों का असल में पूर्वांचल में काफी दबदबा है| भाजपा के नेतृत्व में दोनों ही पार्टयों ने अपने कमियों को चिन्हित किया था जिसको ध्यान में रखते हुए अमित शाह ने बाकी कि सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों को उतारा|
कुछ हद तक ये सच है कि , २०१४ के लोकसभा चुनाव में मिली सफलता को २०१७ में विधानसभा चुनाव में दोहराना आसान नही है , लेकिन पूर्वांचल की राजनीति मूल रूप से सामाजिक समूहों पर आके विशेष रूप से रूकती है| और भाजपा अवाम उसके सहयोगी दल के उम्मीदवारों को ध्यान में रखा जाए तो कहा जा सकता है कि भाजपा इस बारे में पूरी तरह से सफल रही है|
भारत देश में पूर्वांचल को विशेष तौर पर धर्म परायण माना जाता है, इसलिए राजधर्म बचाने के लिए सभी पार्टी के राजनेता अपने अपने हिसाब से विशेष धर्म और समुदाय को मनाने में लगे हुए हैं| किन्तु इन सबके बीच भाजपा के इस बार के स्टार प्रचारक और सबसे विशेष चेहरा योगी आदित्यनाथ के सूबे को अगर ध्यान में रखा जाए तो ये कहना नामुमकिन होगा कि गोरखपुर-मऊ में उनके अलावा कोई और चेहरा भी है| योगी आदित्यनाथ लगातार अपने शहर से ५ बार सांसद रह चुके हैं और इस बार भाजपा के सबसे बड़े मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भी हैं| पूर्वांचल को विशेष रूप से योगी और हिन्दुओ का गढ़ माना जाता है तो कहा जा सकता है कि , योगी आदित्यनाथ बीजेपी के ब्रह्मास्त्र से कही भी कम नही हैं|