अपने मायके में सबसे छोटी और लाडली थी मैं | पिता जी और भाई के एक साल के अंदर ही गुजर जाने की वजह से अक्सर बड़ी ही परेशान रहती थी | किसी तरह २ -३ साल बीते कि मेरी शादी के लिए लड़का देखा जाने लगा | मुझे याद है कि कितना डरती थी मैं शादी से |
दरअसल मुझे लगता था कि शादी के बाद लड़कियों की आज़ादी ख़त्म हो जाती है पर जब मैं अपने ससुराल आयी तो मेरी ये ग़लतफ़हमी दूर हो गई | जिस दिन मेरे घर में शादी की बात होती थी तो मैं सुनकर टेंशन में आ जाती थी | और बड़ी ही असहजतापूर्वक ये सोचने लगती कि जहाँ मेरी शादी होगी वहां के लोग कैसे होंगे? वो लोग मेरी फीलिंग्स को समझ पाएंगे या नहीं?
इस तरह की कई सारी बाते दिमाग में चलती रहती थी।और सबसे ज्यादा टेंशन तो जीवनसाथी को लेकर ही रहता था कि वो कैसा रहेगा क्योंकि लड़कियों को सबसे ज्यादा उम्मीद तो जीवनसाथी से ही होती है।खैर ये सारे डर तो हर लड़की के अंदर रहता होगा।
दरसल मैंने अपने आस-पास कुछ ऐसे लोगों को देखा था जो अपनी शादी-शुदा जिंदगी से खुश नहीं थे कोई अपने परिवार तो कोई अपने पति से परेशान । उन्हें देखकर मेरे मन में और भी ज्यादा डर बैठ गया था । लेकिन शादी तो हर लड़की की होती है तो मेरी भी होनी ही थी।
आखिरकार वो समय भी आ ही गया जब कार्तिक से मेरी शादी फिक्स हो गयी । शादी से पहले हमलोगों ने एक दूसरे को देखा भी नहीं था| मन में तरह-तरह के ख्याल भी आते रहते थे कभी अच्छे वाले तो कभी-कभी बुरे ख्याल भी आ जाते । धीरे-धीरे शादी का डेट भी नजदीक आ गया। घर वालों ने भी अब धीरे-धीरे शादी की तैयारी शुरू कर दी थी। तैयारियों के साथ टाइम कब बीत गया कुछ पता ही नहीं चला और एक दिन हमारी दी की डेट आ ही गयी । शादी में हमने एक दूसरे को पहली बार देखा । शादी के बाद अगले दिन बिदाई हुई और मैं ससुराल उसी डर के साथ आयी कि पता नहीं वहां के लोग कैसे होंगे?
ससुराल में आने के बाद धीरे-धीरे करके मेरा सारा डर ख़त्म होता गया और कार्तिक ने भी एक अच्छे जीवनसाथी की तरह मेरा साथ दिया।
मेरी फॅमिली में ज्यादा लोग नहीं है । सास ससुर , झेठ जेठानी और मेरे पति |
मुझे आज भी वो दिन याद है जब मैंने पहली बार खाना बनाया था और भूले भी तो कैसे? बात ही कुछ ऐसी हुई थी। दरसल मुझे खाना बनाने तो आता था लेकिन मै पहले ही डर गयी कि पता नहीं मै खाना अच्छा बना पाऊँगी या नहीं और अगर नहीं बना पायी तो क्या होग, पता नहीं लोगों को मेरे हाथ का खाना कैसा लगेगा ? यही सारी बातें मन में चल रही थी । सबलोग खाना खाने बैठे और सबने खाना भी अच्छे से खाया और मेरी तारीफ भी करी| बाद में जब मैंने उस खीर को खाया तो मुझसे खाया ही नहीं गया। दरअसल टेंशन में मैंने उस खीर में चीनी की जगह नमक दाल दिया था |
फिर मैंने जब सबसे कहा कि, “आप लोग ये नमक वाली खीर क्यों खा लिए मुझे बताया क्यों नहीं?”
तो मम्मी जी ने कहा कि, “बेटा तुमने इतने प्यार से हम सारे लोगों के लिए खाना बनाया तो ये बताकर कि तुमने खीर में नमक डाल दिया है हम तुम्हे उदास नहीं करना चाहता थे ।”
हमारे कार्तिक तो हमें बहुत प्यार करते है | हम लोग मिलजुलकर रहते है।और सारे फेस्टिवल साथ मिलकर मानते है| सच में बहुत मजा आता है जब सारे लोग एक साथ इकठ्ठा होते है तो । शादी से पहले मेरे मन में ससुराल को लेकर जो डर था अब वो पूरी तरह से ख़त्म हो गया है।
आज मेरी शादी को हुए दो साल हो गया, और मैं अपनी जिंदगी से बहुत खुश हूँ कि मुझे एक अच्छे जीवनसाथी के साथ-साथ एक बहुत अच्छा परिवार भी मिला, ज़ो मेरे हर सुख-दुःख में हमारे साथ खड़ा रहता है। इनलोगों से मुझे इतना प्यार मिला कि मुझे ऐसा कभी महसूस ही नहीं हुआ कि मैं ससुराल में हूँ। सास-ससुर जिन्होंने हमेशा माँ-बाप का प्यार दिया। इसके अलावा जेठ-जेठानी जिन्होंने मुझे हमेशा अपनी छोटी बहन की तरह समझा मेरी गलतियों पे मुझे डाटने के बजाय हमेशा मुझे प्यार से ही समझाया।
दरअसल बात यह है कि शादी से पहले डर तो रहता ही है चाहे लड़का हो या लड़की, जिस तरह मै सोचती थी सायद कार्तिक भी ऐसे ही सोचते रहे होंगे|
मै तो भगवान से यही मनाती हूँ कि हर लड़की को ऐसा ही परिवार और जीवनसाथी मिले। क्योंकि जब परिवार का साथ रहता है तो इंसान को हमेशा कामयाबी मिलती है और जब सबका साथ रहता है तो हर दुःख कम लगने लगता है।