प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके भक्तों की भाषा में कहें तो सबसे दबंग प्रधानमंत्री कहा जाता है। वो ऐसे ऐसे फैसले लेते हैं जिनसे तालियां और अब तो थालियां भी खूब बजती है, लेकिन बुद्धिजीवी अपने दिमाग खुजलाते रह जाते हैं। 2014 से ही ऐसे फैसले कई बार देखें जा रहे हैं। कुछ अच्छे तो कुछ बुरे लेकिन दबंगई पूरी रही है। ऐसा ही फैसला मोदी जी की तरफ से लिया गया अनलॉक करने का। जी हां 8 जून से लगभग पूरा देश खोल दिया गया है। कुछ ऐसा माहौल है कि अब कोरोना खत्म हो गया है और देश बहुत जल्द फिर से पहले की तरह भागेगा। लेकिन ये आंकड़े रंग में भंग डाल देते हैं। ये विपक्ष और पाकिस्तान की तरफ से जो दिखाया जा रहा है न कि देश में 250000+ आंकड़ें है ये गंदी राजनीति है।
एम्स के डायरेक्टर की बात न सुनें
मोदी जी कह रहे हैं कि सब ठीक है तो फिर सब ठीक है न, हमें क्या करना है कि एम्स के डायरेक्टर या आईसीएमआर क्या कह रहा है। हम क्यों मानें इनकी बात की जून और जुलाई में कोरोना अपना पीक पकड़ेगा। मोदी जी ने कहा है तो सही ही होगा, सवाल करने वाला देशद्रोही कहलाया जाएगा। अब अनलॉक 1 में मॉल, रेस्तरां, होटल, से लेकर सबकुछ खुल गया है। यहां तक की मंदिर-मस्जिद भी खोल दिए गए हैं। हां स्कूल, कॉलेज, मेट्रो वरा अभी बंद है। वो क्या है न डिजिटल पढ़ाई तो हो सकती है लेकिन डिजिटल पूजा नहीं।
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सरकार चुनाव में व्यस्त है आप अपना खुद देख लें
अब अगर इस बात पर हम दूसरा नजरिया देखें तो वो ये कहता है कि सरकार ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं और सबकुछ भगवान भरोसे छोड़ दिया है। क्योंकि अमित शाह के एक्शन तो यही कह रहे हैं कि आप कोरोना खुद देख लो सरकार तो अब बिहार विधानसभा चुनाव देखेगी। पूरे लॉकडाउन में गायब रहने वाले हमारे गृह मंत्री बिहार चुनाव में प्रचार करने के लिए और दो-तिहाई सीटों का दावा करने के लिए अचानक से सामने आ गए हैं। अब गुजरात से कांग्रेस के विधायक भी बिक रहे हैं। नहीं नहीं गलत न समझें दरअसल अमित भाई ये बताना चाहते हैं कि जिंदगी पटरी पर आ रही है। तभी तो देखो न विधायक बिकने लग गए हैं, चुनावों की तैयारियां शुरु हो गई है, पाकिस्तान और चीन पर बयानबाजी हो रही है। हिंदू-मुसलमान फिर से शुरु हो गया है।
अब आप लोग अपना देख लो कि कैसे करना है मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च खोल दिए गए हैं। आस्था में कोई कमी नहीं रहेगी, कोरोना हो भी गया तो भगवान पर भरोसा रखना क्योंकि सरकार तो चुनाव में व्यस्त है। अब कोई कुछ बोल भी नहीं सकता है क्योंकि मामला भगवान और अल्लाह से जुड़ गया है। आप उनके सीधे संपर्क में हैं, तो होशियार ही रहना नहीं तो कहीं भगवान सोशल डिस्टेंसिंग छोड़ कर अपने पास न बुला ले। सरकार के इस फैसले का कुछ मुर्ख विरोध भी कर रहे हैं, क्योंकि वो कह रहे हैं इससे कोरोना बढ़ेगा। इनसे पुछना चाहिए कि क्या आपको मोदी जी पर भरोसा नहीं है, क्योंकि उन्हें भगवान पर पूरा भरोसा है।
दूसरे देशों से नहीं सीखें हम
दूसरे देशों का उदाहरण देना ठीक है लेकिन खुद भी वहां के नागरिकों जैसा होना जरूरी है। हां स्पेन, जर्मनी, जैसे देशों ने लॉकडाउन तब खोला था जब वहां पर कोरोना केस कम होने लगे थे। लेकिन हम लॉकडाउन तब खोल रहे हैं जब हमारे यहां केस बढ़ रहे हैं। इस पर सवाल करना बनता है, लेकिन आप तब सवाल करेंगे न जब आपको जनता का साथ मिलेगा। लोग भक्ति में इतने अंधे हैं कि आपका सवाल करना उन्हें बिलकुल पसंद नहीं आएगा और आफ जल्दी ही कांग्रेसी चम्चे, पाकिस्तानी घोषित कर दिए जाएंगे। तो जब आपके साथी ही आपको नहीं समझ पा रहे हैं तो आप किसी दूसरे देश का उदाहरण साबित कर अपना मजाक बनवाने के अलावा और क्या कर रहे हैं।
अब क्या करें
अब जब सब कुछ खुल गया है तो ऐसे में सिर्फ एक ही चीज हो सकती है कि आप अपना ध्यान खुद रखें। सरकार के भरोसे न बैठें क्योंकि वो कहीं और ही व्यस्त है। अभी भी जितना हो सके घर में ही रहें, मंदिर-मस्जिद न जाएं भगवान आपके दिल में हैं वहीं से याद करेंगे तो भी वो आपकी बात सुनेगा, किसी मंदिर या गुरुद्वारे की जरूरत नहीं है। जब तक हालात नहीं सुधरते अपना नहीं तो अपने परिवार का ही ध्यान रखें। मॉल, रेस्तरां अभी न जाएं, जितना ज्यादा हो सके वर्क फ्रॉम होम करें, अपने साथ सैनेटाइजर हमेशा रखें, मास्क पहने बिना बाहर न निकलें। लोगों से दूरी बनाकर रहें, साफ सफाई का ध्यान रखें। क्योंकि कोरोना अभी भी है और पहले से ज्यादा सख्त है, सरकार की बातें नादानी दर्शाती है लेकिन अपने परिवार का ध्यान आपको खुद ही रखना है।