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बच्चन और गांधी परिवार की दोस्ती में अमिताभ बच्चन की वजह से यूं आ गई थी दरार

अमिताभ बच्चन सदी के महानायक के तौर पर जाने जाते हैं। अमिताभ बच्चन ने जो पहचान फिल्मी जगत में बनाई है, वैसी पहचान बना पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। जितने महान अमिताभ बच्चन हैं, उतनी ही महान उनकी मां तेजी बच्चन भी थीं। तेजी बच्चन को भी लोग उतने ही आदर और सम्मान से देखते थे। तेजी बच्चन एक बहुत ही मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता रही थीं। उन्होंने समाज के लिए बहुत से काम किए थे।

तेजी बच्चन के और दो नाम

तेजी बच्चन का जन्म दरअसल पाकिस्तान में 1914 में हुआ था। तेजी बच्चन को तेजी सूरी या तेजवंत कौर के नाम से भी जाना जाता था। उन्होंने मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन से शादी की थी। जी हां, इन दोनों के बीच प्यार पनप गया था और दोनों ने इसके बाद शादी कर ली थी। तेजी बच्चन हरिवंश राय बच्चन की दूसरी पत्नी रही हैं। तेजी बच्चन के दो बेटे हुए थे। इनमें से एक अमिताभ बच्चन और दूसरे अजिताभ बच्चन हैं।

दोस्ती की गहराई

मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता होने की वजह से तेजी बच्चन की एक विशेष पहचान रही थी। जब भी तेजी बच्चन का नाम लिया जाता है तो इंदिरा गांधी का भी नाम जरूर सामने आता है। दोनों के बीच के ताल्लुकात बहुत ही अच्छे रहे थे। एक वक्त ऐसा भी था जब बच्चन परिवार और गांधी परिवार के बीच बड़ी ही नजदीकी हुआ करती थी। दोनों परिवारों के बीच गजब की दोस्ती थी। दोनों परिवारों के दरम्यान केवल स्नेह और प्यार था। दोनों परिवारों की दोस्ती की मिसाल भी दी जाती थी। आज के वक्त में यह जरूर है कि गांधी परिवार और बच्चन परिवार के रिश्ते में बड़ी सी खटास आ गई है, लेकिन एक वक्त दोनों परिवारों के रिश्ते में केवल मधुरिता के सिवा और कुछ भी नहीं था। इंदिरा गांधी और तेजी बच्चन के बीच का भी रिश्ता वाकई बहुत ही मजबूत था। दोनों एक-दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त थे और इनकी दोस्ती बहुत ही लंबे समय तक चली थी।

सोनिया गांधी को सिखाया

जब इंदिरा गांधी की 1984 में हत्या कर दी गई थी, उससे पहले इंदिरा गांधी के साथ तेजी बच्चन के रिश्ते बहुत ही घनिष्ठ हुआ करते थे। जिस तरह की गहरी दोस्ती तेजी बच्चन और इंदिरा गांधी के बीच हुआ करती थी, उसी तरह की दोस्ती तेजी बच्चन के बेटे अमिताभ बच्चन और इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी के बीच भी थी। दोनों ही एक-दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त हुआ करते थे। यहां तक कि जब राजीव गांधी एक विदेशी बहू यानी कि सोनिया गांधी को ब्याह करके ले आए थे तो भारतीय तौर-तरीके भी सोनिया गांधी को बताया जाता है कि तेजी बच्चन ने ही सिखाए थे।

चुनाव, इस्तीफा, हत्या और दरार

बच्चन और गांधी परिवार के बीच का रिश्ता तब और गहराने लगा जब 1984 में राजीव गांधी ने अमिताभ बच्चन को इलाहाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतार दिया। अमिताभ बच्चन के पक्ष में चुनाव प्रचार करने में गांधी परिवार की ओर से कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी गई। परिणाम क्या हुआ, अमिताभ बच्चन यहां से जीत गए। भारी मतों से उन्हें यहां से जीत हासिल हुई। अमिताभ बच्चन सांसद चुन लिए गये। इस तरह से राजनीति में उन्होंने अपने कदम रख दिए थे, मगर बाद में बोफोर्स घोटाले में अमिताभ बच्चन का नाम सामने आ गया, जिसकी वजह से उन्होंने इस्तीफा दे दिया। बस यही से राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन के बीच मतभेदों की शुरुआत हो गई। जब वर्ष 1991 में एक चुनाव प्रचार के दौरान राजीव गांधी की हत्या कर दी गई तो उसके बाद से गांधी परिवार और बच्चन परिवार के बीच के रिश्ते इसलिए खराब होने शुरू हो गए, क्योंकि गांधी परिवार ने यह समझा कि इस विपत्ति की घड़ी में, इस दुख के समय में भी बच्चन परिवार ने उन्हें पूरी तरह से अकेला छोड़ दिया। बस तभी से दोनों परिवारों के बीच दूरियां बढ़नी शुरू हो गई।

अलविदा तेजी बच्चन

अब तेजी बच्चन पर फिर से लौटें तो हम पाते हैं कि तेजी बच्चन को केवल समाज सेवा का ही जुनून नहीं था, बल्कि थिएटर में भी वे बड़ी रुचि लिया करती थीं। साथ में नाटकों में भी रोल करने का उन्हें बड़ा शौक था। एक नाटक में तो उन्होंने लेडी मैकबेथ की भी भूमिका निभाई थी। फिल्म फाइनेंस कारपोरेशन का तेजी बच्चन को 1973 में अध्यक्ष भी बना दिया गया था। तेजी बच्चन ने वर्ष 2007 में 93 वर्ष की उम्र में मुंबई के लीलावती अस्पताल में 21 दिसंबर को हमेशा के लिए अपनी आंखें मूंद लीं। अमिताभ बच्चन आज भी अपनी मां तेजी बच्चन को याद करके कई बार भावुक हो जाते हैं। सोशल मीडिया पर उनके द्वारा कई बार अपनी मां को लेकर लिखे गए पोस्ट देखने को मिल ही जाते हैं।