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सुशांत केस में सीबीआई की एंट्री से बिहार और महाराष्ट्र में सियासी भूचाल आ गया

सुशांत सिंह राजपूत केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच का फैसला सुना दिया है। ये लोगों के लिए एक छोटी सी जीत है, क्योंकि माना जा रहा है कि मुंबई पुलिस बहुत लोगों को बचाने की कोशिश कर रही है। लोगों ने इस छोटे से फैसले पर इतनी खुशी मनाई जैसे सुशांत के दोषियों को कोर्ट ने सजा सुना दी हो।

सुशांत के परिवार, करीबी और प्रशंसकों की प्रतिक्रिया ही नहीं, राजनीतिक गलियारों से भी एक जैसी बातें ही सुनने को मिली। महाराष्ट्र सरकार, मुंबई पुलिस और निशाने पर आईं रिया चक्रवर्ती ने विरोध न किया होता तो शायद सीबीआई जांच को लेकर ऐसा इंतजार भी नहीं होता। सुशांत सिंह केस में मुंबई पुलिस ने बिहार पुलिस की जांच में रोड़े अटका कर रहस्य गहरा कर दिया।

क्यों फंस रही थी मुंबई पुलिस

पटना में एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच के सिलसिले में मुंबई पहुंच कर क्वारंटीन हुए आईपीएस अफसर विनय तिवारी का बयान भी इसी तरफ इशारा कर रहा था कि सुशांत की मौत की वजह के साथ ये जानना भी जरूरी कि आखिर छिपाया क्या जा रहा है? सुशांत सिंह राजपूत के पिता कृष्ण किशोर सिंह ने पटना पुलिस को दर्ज करायी गयी अपनी शिकायत में रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के सदस्यों सहित 6 लोगों पर अपने बेटे को आत्महत्या के लिए मजबूर करने सहित कई गंभीर आरोप लगाये हैं।

सुशांत सिंह राजपूत को 14 जून, 2020 को बांद्रा में एक अपार्टमेंट में फंदे से लटका हुआ पाया गया था और मुंबई पुलिस का दावा है कि एक्टर ने खुदकुशी की है। जबकि लोगों को इस पर विश्वास नहीं हो रहा है आखिर जो लड़का कुछ वक्त पहले आत्महत्या से लड़ने की बात कर रहा ता वो खुद कैसे जान दे सकता है।

पहले तो रिया ने ही सरकार से और कोर्ट से मांग की थी सीबीआई जांच कराने की, लेकिन पटना में एफआईआर दर्ज हो जाने के बाद रिया चक्रवर्ती बिहार पुलिस ही नहीं बल्कि सीबीआई जांच के खिलाफ हो गयीं। ऐसे में जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुशांत सिंह केस में सीबीआई जांच की मांग की तो रिया ने कड़ा विरोध किया और सीबीआई जांच की सिफारिश को लेकर रिया के वकील ने बिहार सरकार के अधिकार पर भी सवाल उठा रहे थे।

रिया चक्रवर्ती का कहना था कि बिहार में की जा रही जांच को आधार मानते हुए सीबीआई को केस ट्रांसफर करना गैर-कानूनी है हालांकि, अगर अदालत सीबीआई से जांच कराने का फैसला लेती है, तो फिर कोई आपत्ति नहीं होगी।

महाराष्ट्र की राजनीति पर असर

वहीं जैसे ही सीबीआई जांच का फैसला आया तभी बिहार की राजनीति में भी एक उछाल आ गया। सभी राजनीतिक दलों ने सुशांत केस की सीबीआई जांच का बढ़ चढ़ कर स्वागत किया, लेकिन महाराष्ट्र की सियासत में सत्ता पक्ष पर हमले होने शुरु हो गए हैं। बिहार में क्रेडिट लेने की होड़ मची है तो महाराष्ट्र में विपक्ष को उद्धव ठाकरे की गठबंधन सरकार पर हमले करने का मौका मिल गया है। वैसे भी महाराष्ट्र सरकार पर विपक्ष की नजर टिकी हुई है।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि महाराष्ट्र सरकार सीबीआई को जांच से जुड़े दस्तावेज मुहैया कराने में भी मदद करे और सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि ये सुनिश्चित किया जाये कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के रहस्य की छानबीन के लिए सीबीआई सक्षम जांच एजेंसी है और कोई भी राज्य पुलिस उसकी जांच में दखल न दे। देखा जाये तो मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार के लिए ये बड़ा झटका है।

बिहार और महाराष्ट्र में बयानबाजी

सुशांत सिंह राजपूत केस में सीबीआई जांच के आदेश के साथ ही महाराष्ट्र और बिहार में राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश आते ही भाजपा नेता किरीट सोमैया महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार पर बरस पड़े हैं और अनिल देशमुख का इस्तीफा मांग रहे हैं। अनिल देशमुख एनसीपी कोटे से उद्धव सरकार में गृह मंत्री हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे नारायण राणे के बेटे नितेश राणे फिलहाल कांकावली से विधायक हैं। नितेश राणे ने पहले भी अपने ट्वीट में बेबी पेंग्विन का इस्तेमाल किया है और निशाने पर महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे लगते हैं।

ऐसी ही टिप्पणियों पर शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने भाजपा पर निम्न स्तर की राजनीति का आरोप लगाया था कि हिम्मत है तो नाम लीजिये, हिम्मत है तो नाम लेकर सबूत लाकर बोलिये, आप सिर्फ बदनामी की मुहिम चलाएंगे ये कैसे चलेगा? संजय राउत ने चैलेंज तो महाराष्ट्र भाजपा के नेताओं को किया था लेकिन चुनौती स्वीकार की बिहार भाजपा के नेता निखिल आनंद ने उन्होंने बोला कि अब तो सीबीआई को संजय राउत और आदित्य ठाकरे से भी पूछताछ करनी चाहिये। संजय राउत-आदित्य ठाकरे का नारको टेस्ट हो जाये तो रहस्य से परदा हट जाएगा।

वहीं आदित्य ठाकरे ने अपने बयान में कहा था कि लोग व्यक्तिगत रूप से मुझ पर और ठाकरे परिवार के सदस्यों पर कीचड़ उछाल रहे हैं और मेरा किसी भी प्रकार से सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु से कोई संबंध नहीं है। लोग सुशांत सिंह मामले की आड़ में डर्टी पॉलिटिक्स पर उतर आये हैं।

सीबीआई जांच और बिहार चुनाव

सुशांत सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से जवाब मांगे थे रिया चक्रवर्ती, सुशांत फैमिली और बिहार सरकार से भी। सीबीआई की तरफ से भी कोर्ट में जवाब दाखिल किया गया था जिसमें ED को भी अपना जांच जारी रखने की सलाह भी शामिल थी। बिहार सरकार का कहना रहा कि महाराष्ट्र में पुलिस पर राजनीतिक दबाव है और उसी वजह से एफआईआर दर्ज नहीं हो रही है।

बिहार सरकार ने पटना के एसपी सिटी विनय तिवारी को क्वारंटीन किए जाने का भी उदाहरण दिया था और कोर्ट ने माना भी था कि ऐसा करने से मैसेज गलत जाता है। रिया के खुद भी सीबीआई जांच की मांग का हवाला देते हुए बिहार सरकार के वकील का कहना रहा कि मुंबई पुलिस ने 56 लोगों के बयान दर्ज किए लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की आखिर क्यों?

बिहार के नेताओं में सीबीआई जांच का क्रेडिट लेने की होड़ तो मची ही है, यहां तक कि बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय की टिप्पणी भी पुलिसिया कम और राजनीतिक लहजे वाली ही है। उन्होंने भी नीतीश कुमार की तारीफों के पुल बांध दिए। वहीं संजय राउत ने कहा कि सीबीआई जांच की जरूरत नहीं थी क्योंकि मुंबई पुलिस की जांच सही दिशा में चल रही थी, साथ ही तंज भी कसा कि अगर स्क्रिप्ट पहले से तय है तो अब माथापच्ची करने से क्या फायदा।

सत्ता पक्ष के साथ साथ बिहार में विपक्ष भी सुशांत केस की सीबीआई जांच का श्रेय लेने की कोशिश कर रहा है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी और लोक जनशक्ति पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान भी। सुशांत सिंह केस को लेकर हो रही राजनीतिक जंग के बीच सुनवाई की दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी इंसाफ की राह में कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण लगती है।