किसान आंदोलन में अब भावनाओं ने जगह ले ली है, एक तरफ जहां 26 जनवरी को सबकी देशभक्ति की भावनाएं जाग गई तो अब राकेश टिकैत के आंसुओं ने डूबते किसान आंदोलन को संजीवनी दे दी। भावनाओं के खेल को राकेश टिकैत भी समझ गए और उनकी आंख से आंसू छलकते ही सपोर्ट में किसानों की भावनाएं उमड़ पड़ीं और योगी सरकार को बैकफुट पर आना पड़ गया। पंजाब से आने वाले किसानों को तो पहले से ही खालिस्तानी बताया जा रहा था। दिल्ली हिंसा के बाद से किसान आंदोलन से जुड़े सभी लोग सोशल मीडिया पर देशद्रोही समझे और समझाये जाने लगे थे, लेकिन राकेश टिकैत के भावुक होते ही लोगों की भावनाओं ने राजनीति का खेल और उलझा दिया।
राकेश टिकैत को टीवी पर सिसकते हुए देखने के बाद माहौल ऐसा बदला कि मुजफ्फरनगर में महापंचायत का माहौल तो बना ही, नेताओं ने भी खुले में आकर सपोर्ट कर दिया। गाजीपुर बॉर्डर से पश्चिम बंगाल चुनाव तो दूर है ही, साल 2022 का विधानसभा चुनाव तो बहुत ही दूर है, लेकिन पंचायत चुनाव के नजदीक होने के चलते ही किसान आंदोलन ने राजनीति को बड़े ही नाजुक मोड़ पर पहुंचा दिया है।
खत्म होते होते कैसे आंदोलन ने जोर पकड़ लिया
26 जनवरी की हिंसा के बाद जैसे ही दिल्ली पुलिस हरकत में आने लगी, और किसान नेता पीछे हटने लगे ही थे तभी गाजीपुर बॉर्डर पर भी प्रशासन के हरकत में आते ही किसानों के बीच माहौल में निराशा के भाव देखे जाने लगे थे। सुरक्षा बलों की तैनाती के बीच पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी पहुंच चुके थे। जगह खाली करने का नोटिस दे दिया गया। माना जा रहा था कि राकेश टिकैत की गिरफ्तारी के साथ किसानों का जमावड़ा भी खत्म हो सकता है।
तभी मंच से राकेश टिकैत ने किसान साथियों से कहा कि हमारे खिलाफ साजिश रची जा रही है। बोले, मुझे यहां से गिरफ्तार कर लिया जाएगा और मेरे साथ आये किसानों को पिटवाया जाएगा। राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि भाजपा विधायक नीचे गुंडागर्दी कर रहे हैं और प्रशासन हमारे साथ बात कर रहा है। मंच पर बैठे किसानों स राकेश टिकैत बोल दिए कि अधिकारियों को जाने का रास्ता दे दिया जाये अब आंदोलन जारी रहेगा। राकेश टिकैत पूरे फॉर्म में थे, ‘मैं मंच पर ही फांसी लगा लूंगा, लेकिन अब ये मंच नहीं छोडूंगा, गोली खाएंगे, लाठी खाएंगे, लेकिन गुंडागर्दी नहीं करने देंगे। उन्होंने आत्महत्या करने तक की धमकी दे दी।
लगातार विपक्षी दलों के फोन आने लगे
फिर तो राकेश टिकैत के पास विपक्षी दलों के नेताओं के फोन पर फोन लगातार आने लगे। सबसे बड़ा सपोर्ट टिकैत को अपने इलाके से मिला। राकेश टिकैत के आंसू भरे वीडियो देखने के बाद आरएलडी नेता चौधरी अजीत सिंह ने फोन पर बात कि और सपोर्ट दिया, बाद में जयंत चौधरी गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे और किसानों के साथ बैठ कर बातचीत भी की।
राकेश टिकैत ने ये भी बताया कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से भी बात हुई है। राहुल गांधी ने भी फौरन ही किसानों के सपोर्ट में खड़े रहने का ऐलान कर दिया था। वहीं दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी गाजीपुर बॉर्डर पहुंच कर किसान आंदोलन में पार्टी की तरफ से हुई व्यवस्था का जायजा लिया। मनीष सिसोदिया ने बताया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भेजा है जिनसे किसान नेताओं की बात हुई थी। मनीष सिसोदिया ने बताया कि पानी के टैंकर और अन्य इंतजाम किये गये हैं और बाकी किसी भी जरूरत के लिए दिल्ली सरकार सेवा में तत्पर है।
राजनीति सीधे-सीधे सामने आ गई
किसान आंदोलन के दौरान गाजीपुर, सिंघु और टिकरी बॉर्डर खासे चर्चित रहे। गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन की वापसी के साथ ही, सिंघु बॉर्डर पर हिंसा का नया तांडव देखने को मिला है। सिंघु बॉर्डर बड़े अजीब नजारे दिखे। वहां आंदोलन कर रहे किसान और स्थानीय लोगों के आमने सामने आने से स्थिति बिगड़ गयी। वहां हिंसा और उपद्रव हुई लेकिन पुलिस बार मूकदर्शक बनी रही, जबकि स्थानीय लोगों की भीड़ किसानों की तरफ पत्थरबाजी करती रही। भीड़ के उपद्रव का शिकार पुलिसवाले भी हुए। एक एसएचओ तो तलवार से हमले में घायल हो गया। हमलावर को पुलिसवालों ने पकड़ तो लिया लेकिन कई और भी पुलिसवाले जख्मी हो गये। लेकिन सवाल ये है कि स्थानीय लोगों की भीड़ ने अचानक कैसे सिंघु बॉर्डर पर धावा बोल दिया?
अचानक क्यों गुस्से में आए लोग
ऐसा तो है नहीं कि किसानों का धरना अभी शुरू हुआ है कि लोगों को गुस्सा आया और हमला बोल दिये। ये किसान तो वहां धरने पर दो महीने से ज्यादा समय से बैठे हुए हैं। 26 जनवरी से पहले तो कहीं कोई ऐसी घटना सुनने को नहीं मिली थी, फिर अचानक क्या हुआ कि आस पास के युवकों ने सीधे हमला बोल दिया? ऐसा तो नहीं कि जैसे गाजीपुर बॉर्डर पर भाजपा विधायक पहुंचे थे और डांट पड़ने पर लौट गये, वैसे ही किसी और नेता के कहने पर सिंघु बॉर्डर पर भी लोग पहुंचे हों और फिर बेकाबू हो गये हों।
जैसे गाजीपुर बॉर्डर पर राजनीति की एंट्री हुई है, कुछ कुछ वैसे ही सिंघु बॉर्डर पर भी राजनीति की ही घुसपैठ हो रही है। गाजीपुर में राकेश टिकैत से मुलाकात के बाद जयंत चौधरी मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत का रुख कर लिया था। आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सांसद संजय सिंह भी महापंचायत में पहुंच गये और राहुल गांधी प्रेस कांफ्रेंस कर मोदी सरकार को फिर से टारगेट कर रहे हैं। पहले की बात और थी, लेकिन अब किसान आंदोलन का मिजाज बदल चुका है। पहले किसान राजनीतिक दलों को आस पास नहीं आने देते थे, लेकिन अब विपक्ष ने आंदोलन को करीब करीब हाइजैक कर लिया है।