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एमपी के वे गवर्नर, जिन्होंने सीएम को खुले मंच से दे दी थी शूट करने की धमकी

भारत की लोकसभा में आज अधिकांश कार्य कंप्यूटरीकृत कर दिए गए हैं। इसका श्रेय पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ को जाता है। वे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। पूर्व राज्यपाल भी रहे और लोकसभा अध्यक्ष भी। पंजाब से नाता रखने वाले बलराम जाखड़ बचपन से ही पढ़ाई में बहुत ही आगे रहे थे। उन्होंने लाहौर के क्रिश्चियन कॉलेज से संस्कृत की पढ़ाई भी की थी और इसमें उन्होंने डिग्री हासिल की थी। बलराम जाखड़ कई भाषाओं के जानकार थे। न केवल उनकी हिंदी और पंजाबी बहुत अच्छी थी, बल्कि अंग्रेजी और उर्दू पर भी उनकी बहुत ही अच्छी पकड़ थी। राजनीति में तो बलराम जाखड़ ने जो अपना कद बना लिया था, वैसा कद पाना आम नेताओं के बस की बात नहीं। सामाजिक क्षेत्र में भी बलराम जाखड़ ने जो योगदान दिया था, उसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता है।

जाखड़ की पहली जीत

बलराम जाखड़ को पंजाब विधानसभा चुनाव में सबसे पहली बार 1972 में जीत मिली थी। इस जीत के साथ राजनीति में बलराम जाखड़ के औपचारिक सफर की शुरुआत हो गई थी। सबसे बड़ी बात यह रही कि पहली बार विधायक बनने के एक साल के भीतर ही बलराम जाखड़ को उपमंत्री बना दिया गया था। इसके बाद जब 1977 में अगला विधानसभा चुनाव हुआ था तो इसमें भी बलराम जाखड़ को जीत हासिल हुई थी। यह अलग बात है कि इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बहुमत से दूर रह गई थी। कांग्रेस जब विधानसभा में बहुमत साबित करने में नाकाम रही थी तो उसे विपक्ष में बैठना पड़ा था। ऐसे में कांग्रेस ने बलराम जाखड़ को उस वक्त विपक्ष का नेता बना दिया था।

लोकसभा चुनाव में जीत

वर्ष 1980 तक बलराम जाखड़ ने पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका बखूबी निभाई थी। इन तीन वर्षों में जिस तरीके से बलराम जाखड़ ने अपनी जिम्मेदारियां निभाई, उससे प्रसन्न होकर पार्टी नेतृत्व ने उन्हें 1980 में लोकसभा चुनाव के दौरान पंजाब के फिरोजपुर लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बना दिया था। पहली बार बलराम जाखड़ ने लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन इसमें उन्होंने 2 लाख से भी अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी।

इंदिरा गांधी ने कहा था

लोकसभा चुनाव तो बलराम जाखड़ ने अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार जीता था, लेकिन इसके ठीक बाद 22 जनवरी, 1980 को इंदिरा गांधी ने उन्हें बहुत बड़ा उपहार दिया। उन्होंने बलराम जाखड़ को लोकसभा का अध्यक्ष बना दिया था। इस वक्त इंदिरा गांधी ने जो टिप्पणी की थी उसे आज भी याद किया जाता है। बलराम जाखड़ को लेकर इंदिरा गांधी ने कहा था कि इस गरिमामय पद पर एक धरतीपुत्र को बैठा कर उन्हें वाकई बहुत ही गर्व और प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इसके बाद जब 1985 में लोकसभा चुनाव हुए तो इस बार कांग्रेस ने उन्हें राजस्थान के सीकर से अपना लोकसभा उम्मीदवार बनाया था। इस चुनाव में भी बलराम जाखड़ को जीत हासिल हुई थी और वे सांसद चुने गए थे। इस तरह से बलराम जाखड़ 1980 से 1989 तक लोकसभा के अध्यक्ष रहे थे। बाद में 1996 में कांग्रेस ने उन्हें केंद्रीय कृषि मंत्री की जिम्मेवारी दी थी।

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जाखड़ के लिए खास पलंग

मध्य प्रदेश के राज्यपाल की भी भूमिका वर्ष 2004 से 2009 तक बलराम जाखड़ ने निभाई थी। सार्थक मुद्दों पर लोकसभा में बहस करवाने में बलराम जाखड़ ने कभी भी गुरेज नहीं किया। उन्होंने बोफोर्स के मसले पर लोकसभा में 17 घंटे तक बहस करवा दी थी। बलराम जाखड़ के बारे में आपको यह जानकर हैरानी होगी कि वे जहां भी जाते थे उनके लिए विशेष पलंग बनवाया जाता था। वह इसलिए कि उनकी लंबाई 6.3 फीट की थी। एक बार बताया जाता है कि उज्जैन में जब उन्हें रुकना था तो रात में उन्हें एक साधारण पलंग दे दिया गया था। इससे उन्हें बहुत ही गुस्सा आ गया था। तब उनके लिए किसी तरह से नया पलंग मंगाया गया था।

बड़े बेबाक थे जाखड़

अपने सख्त मिजाज और बेहद बेबाकी से बोलने के लिए बलराम जाखड़ जाने जाते थे। जब वे मध्य प्रदेश के गवर्नर थे तो उस दौरान शिवराज सिंह चौहान यहां के मुख्यमंत्री थे। एक कार्यक्रम में बलराम जाखड़ ने भावनात्मक होते हुए मंच से शिवराज सिंह चौहान को लेकर यह भी कह दिया था कि शिवराज तुम काम करो नहीं तो मैं तुम्हें शूट कर दूंगा। बलराम जाखड़ के इस बयान के बाद उस वक्त राजनीति में खलबली मच गई थी। बलराम जाखड़ के बारे में यह भी बताया जाता है कि मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनाने के बाद उन्हें यहां मर्सिडीज कार भी दी गई थी, मगर उनकी लंबाई इतनी अधिक थी कि इसे देखते हुए कार में थोड़ा बदलाव करना पड़ा था। वर्ष 2016 में 3 फरवरी को ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी की वजह से जाखड़ की जान चली गयी थी।